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जानिए Beer को हिंदी में क्या कहते हैं ? 99 फीसदी लोग की तरह आप भी देंगे गलत जवाब

beer
मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता के समय से ही बीयर का इस्तेमाल करता आया है।

दुनियाभर में लोग बीयर को काफी पसंद करते हैं और इसका सेवन लोग पानी की तरह करते हैं। एक सर्वे में भी सामने आया था कि लोग चाय-कॉफी के सेवन के बाद बीयर को सबसे अधिक पसंद किया जाता है।

 

 

इस देश में पेशाब से बनाई जा रही है बीयर, चटकारे ले कर पी रहे लोग 

 

पार्टी हो या कोई जश्न मनाने का समय बीयर रौनक का काम करता है। मनुष्य प्राचीन मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता के समय से ही बीयर का इस्तेमाल करता आया है।

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वर्तमान में भी दुनियाभर में बीयर का कारोबार धड़ल्ले से चलता है। परंतु क्या आप जानते हैं इसे हिन्दी में क्या कहते हैं? हम दावे के साथ कह सकते हैं कि केवल एक फीसदी लोग ही इसका जवाब दे पाएंगे, इसलिए आज हम आपको इसका हिन्दी नाम बताएंगे।

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दरअसल, चीनी और जौ की मिलावट के साथ ही बीयर बनाने के प्रोसेस की शुरुआत की थी। बीयर को बनाने के प्रोसेस के दौरान फ्लेवर्स और नैचुरल प्रिजर्वेटिव मिक्स किए जाते हैं। इसके बनाने की विधि में ही बीयर का हिन्दी नाम छुपा है।

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संस्कृत में जौ को 'यव' कहते हैं और इसी यव पर बीयर का हिंदी नाम 'यवसुरा' पड़ा है। इसके अलावा बता दें कि भारतीय उपमहाद्वीप में बीयर को आब-जौ के नाम से भी मशहूर है। बीयर को सबसे पोषक अल्कोहल माना जाता है। इसमें विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स मिक्स होते हैं।

बता दें कि भारत में बीयर ब्रोकोड सबसे अधिक बिकता है जिसमें अल्कोहल की मात्रा 15 प्रतिशत होती है। दुनिया की सबसे स्ट्रॉन्ग बियर स्नेक वेनम (Sanke Venom) है जोकि एक ब्रिटिश बीयर भी है, जिसमें 67.5 फीसदी अल्कोहल पाया जाता है।

दुनिया की सबसे स्ट्रॉन्ग बियर स्नेक वेनम (Sanke Venom) है जोकि एक ब्रिटिश बीयर भी है, जिसमें 67.5 फीसदी अल्कोहल पाया जाता है। वहीं अगर बात करें कि भारत की तो बीयर ब्रोकोड सबसे अधिक बिकता है जिसमें अल्कोहल की मात्रा 15 प्रतिशत होती है।

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Liquor Shops Closed in Delhi: दिल्ली में इतने बड़े पैमाने पर दुकाने बंद होने की खबर से हर कोई हैरान है। कहा जाता है कि शराब के कारोबार में बहुत कमाई होती है। इसलिए लिकर शॉप का लाइसेंस लेने के लिए बहुत से लोग अपनी किस्मत आजमाते हैं। वहीं इस मिथ से इतनी दुकानें बंद होने की वजह शराब की इन दुकानों में हुए वित्तीय नुकसान बताया गया है। 

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दिल्ली में शराब के शौकीनों के लिए बुरी खबर हैं. प्रदेश में धीरे-धीरे शराब की करीब 200 दुकानें बंद हो गई हैं। इन दुकानों के मालिकों का कहना है कि कारोबार सही से न चलने और नई आबकारी नीति व्यवस्था की वजह से उन्हें अपनी दुकानों को बंद करना पड़ा है।

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बता दें कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल अपनी आबकारी नीति 2021-22 के तहत 849 शराब दुकानों को लाइसेंस जारी किया था। लेकिन इस साल मई के आखिर तक यहां सिर्फ 639 दुकानें ही खुली पाई गईं। 

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आबकारी विभाग द्वारा अपनी वेबसाइट पर शेयर किए गए खुदरा शराब दुकानों की नई लिस्ट के मुताबिक, जून के शुरुआती दिनों में ये आंकड़ा घटकर 464 रह गया है। 

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वहीं आबकारी विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि आबकारी नीति 2021 को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था, लेकिन 32 में से नौ क्षेत्रों में लाइसेंसधारियों ने अलग-अलग वजहों से अपना लाइसेंस रीन्यूअल नहीं करवाया। 

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अधिकारियों ने ये भी कहा, '272 नगरपालिका वार्डों में से 100 गैर-अनुरूप थे जहां दिल्ली मास्टर प्लान नियमों के उल्लंघन के खिलाफ नगर निकायों की कार्रवाई के कारण दुकानें नहीं खुल सकीं।'

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गौरतलब है कि 31 मई को समाप्त हुई आबकारी नीति 2021-22 को आबकारी विभाग ने दो महीने के लिए आगे बढ़ाया था। इस बीच शराब के व्यापारियों ने दावा किया कि बहुत से लाइसेंस धारकों ने एक्सटेंशन लेने का विकल्प नहीं चुना और अपनी दुकानें बंद कर दीं क्योंकि वो पहले से ही ज्यादा लाइसेंस फीस का भुगतान कर रहे थे। 

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 शराब व्यापारी ने ये भी कहा, 'दुकान बंद करने के कई कारण थे। जैसे नॉन कंफिर्मिंग वार्डों में शराब की नई दुकानों को खोलना, शराब पर भारी छूट से धंधे में कंपटीशन बढ़ गया और नए ब्रांडों के आ जाने से भी उन्हें दुकान बंद करने जैसा मुश्किल कदम उठाना पड़ा।

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एक शराब कारोबारी ने कहा कि खुदरा विक्रेताओं को उपभोक्ताओं को छूट देने की मंजूरी के बाद कुछ बड़ी कंपनियों ने 'एक खरीदें एक मुफ्त पाएं' जैसी स्कीम लाकर बाजार में नए ब्रांड्स को बढ़ावा दिया। फिर 40 फीसदी की भारी छूट देकर उनके बिजनेस की कमर तोड़ दी गई। 

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सिंगापुर की एक ब्रूवरी में इन दिनों एक अलग टाइप की बीयर मिल रही है। वैसे तो बीयर फलों और जौ के पानी के सड़ाकर एल्कोहल मिलाकर बनाई जाती है, लेकिन सिंगापुर में सीवेज यानी गंदे नाले के पानी और यूरीन बीयर बनाई जा रही है। न्यू्ब्रू नाम के इस बीयर को फिलहाल दुनिया के सबसे इको-फ्रेंडली बीयर के रूप में प्रमोट किया जा रहा है। बता दें कि बीयर बनाने वाली जगह को ब्रूवरी कहते हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूब्रू को एक खास तरीके से लिक्विड से बनाया जाता है। इसमें नालों के पानी और अपशिष्ट को रिसाइकल किया जाता है और फिल्टर करके तैयार किया जाता है। इस खास लिक्विड का नाम नीवॉटर है। ये सिंगापुर में 20 साल से मौजूद है। वहां के बीयर में 95 फीसदी नीवॉटर ही मिलाया जाता है। 

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सिंगापुर की वॉटर अथॉरिटी ने देश की पानी की कमी की समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने और उन समस्याओं के समाधान के तौर पर दुकानों और बार में उपलब्ध पेय पदार्थ लॉन्च किए हैं।  रिपोर्ट के मुताबिक, NeWater को कई तरह के जांच प्रोसेस से गुजना पड़ता है। इससे ये पानी सुरक्षित हो जाता है।

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पानी की कमी के कारण सिंगापुर, सालों से मलेशिया से पीने का पानी खरीद रहा है। बारिश के पानी को भी स्टोर करके रिसाइकल किया जाता है। इसके बाद भी सिंगापुर को जरूरत का सिर्फ 50 फीसदी पानी ही मिल पाता है। बाकी जरूरत के काम के लिए नाले या सीवेज के पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है।

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एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2060 तक सिंगापुर में आबादी बढ़ने के साथ ही पानी की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है। ऐसे में नीवॉटर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है।

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