Shardiya Navratri 2022: काशी में माँ दुर्गा की इस प्रतिमा को हिलाने में छूटे पहलवानों के पसीने, 255 साल से बिना विसर्जन ही हो रहा मूर्ति पूजन
वाराणसी। पुराने दौर में बंगाल से काशी तमाम परिवार आए और यहीं के होकर रह गए। लगभग तीन सदी पूर्व बंगाल के हुगली से काशी निवास करने के लिए आए प्रसन्न मुखर्जी नाम के एक अनन्य दुर्गाभक्त ने मदनपुरा के गुरुणेश्वर महादेव मंदिर के पास मान मनौतियों और आस्था से ओत-प्रोत होकर देवी की प्रतिमा नवरात्रि के पहले दिन स्थापित की।
मुद्ददत बीत गई तब से आज तक 255 साल हो गए हैं लेकिन दुर्गा की प्रतिमा नवरात्र में भी विदा नहीं होतीं। मां दुर्गा की इच्छा के मुताबिक उनको केवल चना और गुड़ का भोग लगाया जाता है। कोशिशे हजार हुईं, साठ-साठ पहलवान भी 254 साल पहले लगाए गए ताकि मां को मान्यताओं के मुताबिक विसर्जित कर दिया जाए लेकिन क्या मजाल प्रतिमा किसी प्रयास से इंच मात्र हिली भर हो।
आपको सुनने में थोड़ा अजीब सा लग सकता है लेकिन यह सच है कि काशी में सन 1767 में स्थापित एक दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन आज तक महज इसलिए नहीं हो सका है क्योंकि प्रतिमा को उसके स्थान से उठाया ही नहीं जा सका है। विसर्जन के दौरान प्रतिमा हिलाने का पुरजोर प्रयास कई बार हुआ लेकिन वह टस से मस नहीं हो सकीं। आज काशी में यह प्रतिमा देवी भक्तों की आस्था का प्रतीक बन गई है।
https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2953008738960898" crossorigin="anonymous">बंगाल के हुगली जिले से काशी जमींदार परिवार के काली प्रसन्न मुखर्जी बाबू मदनपुरा क्षेत्र में गुरुणेश्वर महादेव मंदिर के निकट दुर्गा पूजा का आरंभ किए थे। उन्होंने बंगीय परंपरा के अनुसार काशी में एक मिट्टी की मूर्ति नवरात्र के मौके पर स्थापित की थी। सिंदूर खेला की परंपरा के बीच विसर्जन की बेला में दर्जनों लोगों ने प्रयास किया मगर प्रतिमा नहीं उठी। अंतत: उसी स्थान पर छोड़ना पड़ा।
परिजन बताते हैं कि रात में परिवार के मुखिया को सपने में मां ने दर्शन दिया और कहा कि मुझे विसर्जित मत करो, मैं अब यहीं रहूंगी। तब से प्रतिमा उसी स्थान पर विराजमान है। नवरात्र में इसी प्रतिमा का हर सात तबसे पूजन होता आ रहा है।
मान्यता मुताबिक नवरात्र के समापन बाद विसर्जन के लिए प्रतिमा को उठाने का उपक्रम किया जाता है मगर साल भर बाद भी जब वह हिलाई न जा सकी तो स्थापना के बाद अब तक बंगाली ड्योढ़ी की इस प्रतिमा जस की तस आभा से युक्त ढाई सदी के बाद भी नजर आती है।
शारदीय नवरात्र के मौके पर पुआल, बांस, सुतली और मिट्टी की बनी मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा-अर्चना विधि-विधान पूर्वक की जाती है। नवरात्र भर पुरानी दुर्गा बाड़ी में चंडीपाठ का आयोजन चलता रहता है।
इस बार भी सप्तमी, अष्टमी व नवमी को विशेष पूजा अनुष्ठान की तैयारी में मंदिर की साज सज्जा परिवार की ओर से की जा रही है। दुर्गा प्रतिमा की विशेषता यह है कि बांग्ला तरीके से बनी मूर्ति की तरह यह भी एक ही सांचे में है।
Shardiya Navratri 2022: इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही मां दुर्गा, देश के लिए है शुभ संकेत
Shardiya Navratri 2022: मां दुर्गा के भक्तों को उनकी आराधना करने के लिए पूरे साल शारदीय नवरात्रि का इंतजार रहता है। यह 9 दिन हर माता के भक्त के लिए बहुत विशेष होते हैं।
देश भर में माता के जयकारे गूंजते हैं, रतजगों को माता की आराधना होती है, हवन और यज्ञ करके लोग माता को प्रसन्न करते हैं। इस साल भी अब ये शुभ दिन आने ही वाले हैं।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से यह व्रत शुरू होते हैं। इसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस साल यह 9 दिन का उत्सव किस तारीख से शुरू हो रहा है।
साथ ही जानते हैं कि व्रत और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि क्या है।
ये नवरात्रि पर्व है काफी खास
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल का शारदीय नवरात्रि बहुत विशेष है। क्योंकि इस बार नवरात्रि की शुरूआत सोमवार के दिन हो रही है।
भोलेनाथ की भक्ति के साथ यह दिन चंद्र ग्रह का दिन है, इसलिए इसे पूजा-पाठ के लिए काफी शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं ऐसी मान्यता है कि जब भी नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पधारती हैं।
हाथी की सवारी से सीधा संबंध सुख सम्पन्नता से माना जाता है। इसलिए यह नवरात्रि का त्योहार विश्वभर शांति और सुख लेकर आएगा।
प्रारंभ तिथि और घट स्थापना
आपको बता दें कि इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होकर, 5 अक्टूबर तक चलेगी। वहीं प्रतिपदा तिथि 26 अक्टूबर को है, तो घटस्थापना का मुहूर्त 26 सितंबर की सुबह 06 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
आपको बता दें कि प्रतिपदा का प्रांरभ 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट को होगा। प्रतिपदा तिथि 27 सितंबर की सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
अभिजीत मुहूर्त-
26 सितंबर सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक।
Durga Puja 2022: Varanasi में Pashupatinath Mandir में विराजेंगी Mahishasura Mardini, Hathwa Market में बन रहा भव्य पंडाल
वाराणसी। 26 सितंबर यानि सोमवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। वहीं इस बार नगर में दुर्गा पूजा की धूम दिखाई पड़ने वाली है।
इन दिनों शहर में जगह -जगह पर पूजा पंडाल बनाये जा रहे हैं। वहीं इन पंडालों को बनाने में कारीगर दिन रात एक कर जुटे हुए हैं।
इसी कड़ी में हथुआ मार्केट में बनने वाला पूजा पंडाल नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Mandir) की प्रतिकृति है। जो भव्य आकार में बन रहा है।
बता दें कि बीते दो सालों में कोरोना की वजह से सभी त्यौहार फीके हो गए थे। मगर इसबार हर त्यौहार को मनाया जा रहा है। इन दिनों शहर में जगह -जगह पूजा पंडाल बनाये जा रहे। बंगाल से आये कारीगर पंडाल को अंतिम रूप देने में शोर से जुट हैं।
इस दौरान हथुआ मार्केट के कोषाध्यक्ष संजय गुप्ता ने बताया कि इस बार भव्य पंडाल बनाया जा रहा है। जिसके लिए कारीगर बंगाल से बुलाये गए हैं। पंडाल में कलश पूजा की जाएगी। पंडाल बनाने में 20 कारीगर लगे हुए हैं। जो पंडाल को जल्द पूरा कर लेंगे।
क्या आपको भी है मंगल दोष तो यहां करें पूजा, मत्स्य पुराण में भी है इस मंदिर का जिक्र
Shardiya Navratri 2022: इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही मां दुर्गा, देश के लिए है शुभ संकेत
Shardiya Navratri 2022: मां दुर्गा के भक्तों को उनकी आराधना करने के लिए पूरे साल शारदीय नवरात्रि का इंतजार रहता है। यह 9 दिन हर माता के भक्त के लिए बहुत विशेष होते हैं।
देश भर में माता के जयकारे गूंजते हैं, रतजगों को माता की आराधना होती है, हवन और यज्ञ करके लोग माता को प्रसन्न करते हैं। इस साल भी अब ये शुभ दिन आने ही वाले हैं।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से यह व्रत शुरू होते हैं। इसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस साल यह 9 दिन का उत्सव किस तारीख से शुरू हो रहा है।
साथ ही जानते हैं कि व्रत और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि क्या है।
ये नवरात्रि पर्व है काफी खास
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल का शारदीय नवरात्रि बहुत विशेष है। क्योंकि इस बार नवरात्रि की शुरूआत सोमवार के दिन हो रही है।
भोलेनाथ की भक्ति के साथ यह दिन चंद्र ग्रह का दिन है, इसलिए इसे पूजा-पाठ के लिए काफी शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं ऐसी मान्यता है कि जब भी नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पधारती हैं।
हाथी की सवारी से सीधा संबंध सुख सम्पन्नता से माना जाता है। इसलिए यह नवरात्रि का त्योहार विश्वभर शांति और सुख लेकर आएगा।
प्रारंभ तिथि और घट स्थापना
आपको बता दें कि इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होकर, 5 अक्टूबर तक चलेगी। वहीं प्रतिपदा तिथि 26 अक्टूबर को है, तो घटस्थापना का मुहूर्त 26 सितंबर की सुबह 06 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
आपको बता दें कि प्रतिपदा का प्रांरभ 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट को होगा। प्रतिपदा तिथि 27 सितंबर की सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
अभिजीत मुहूर्त-
26 सितंबर सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक।
नोट : यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। लाइव भारत न्यूज़ एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।