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कैसे होता है जेंडर चेंज, महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा करवा रहे लिंग परिवर्तन, क्या कोई भी करा सकता है लिंग परिवर्तन?

कैसे होता है जेंडर चेंज, महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा करवा रहे लिंग परिवर्तन, क्या कोई भी करा सकता है लिंग परिवर्तन?

ऐसे लोग संतान को नहीं दे सकते जन्म

एक पुरानी कहावत है कि प्यार में सब कुछ जायज है। इतिहास में ऐसे हजारों किस्से हैं जहां अपने प्यार को पाने के लिए लोगों ने ऐसे कारनामे भी किए हैं जो मिसाल बने हुए हैं। 

ऐसी ही एक घटना राजस्थान में भी हुई है। यहां मीरा नाम की लड़की ने खुद का जेंडर चेंज करवाया और अपनी स्टूडेंट कल्पना फौजदार से शादी कर ली। यह ऐसी पहली घटना नहीं है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल की रहने वाली हिरण्यमय डे ने साल 2017 में सेक्स-रिअसाइनमेंट सर्जरी कराई थी। इसके जरिये उन्होंने अपना जेंडर बदल लिया था। वह लड़के से लड़की बनी थीं।

जेंडर चेंज कराना नहीं होता आसान


डॉक्टर बताते हैं कि जिन लोगों को जेंडर डायसफोरिया होता है, वो इस प्रकार का ऑपरेशन कराते हैं। इस बीमारी में लड़का, लड़की की तरह और लड़की, लड़के की तरह जीना चाहती है। 

कई लड़के और लड़कियों में 12 से 16 साल के बीच जेंडर डायसफोरिया के लक्षण शुरू हो जाते हैं, लेकिन समाज के डर की वजह से ये अपने माता-पिता को इन बदलावों के बारे में बताने से डरते हैं।

आज भी कई ऐसे लड़के-लड़कियां हैं, जो इस समस्या के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, लेकिन इस बात को किसी से बताने से डरते हैं। 

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लेकिन जो हिम्मत जुटाकर कदम उठाते हैं। वे जेंडर चेंज के लिए सर्जरी कराने का फैसला लेते हैं। हालांकि जेंडर चेंज कराने वालों को समाज में एक अलग नजरिए से देखा जाता है और उनसे लोग कई तरह के सवाल भी करते हैं।

जेंडर चेंज की प्रक्रिया होती हैं बेहद जटिल

सेक्स-रिअसाइनमेंट सर्जरी या फिर जेंडर चेंज सर्जरी कराना एक चुनौती पूर्ण काम होता है। 

इसका खर्च भी लाखों में है और इस सर्जरी को कराने से पहले मानसिक तौर पर भी तैयार रहना पड़ता है। ये सर्जरी हर जगह उपलब्ध भी नहीं है। 

कुछ मेट्रो सिटी के अस्पतालों में ही ऐसे सर्जन मौजद हैं जो सेक्स-रिअसाइनमेंट सर्जरी को कर सकते हैं।

सेक्स चेंज कराने के इस ऑपरेशन के कई लेवल होते हैं। ये प्रक्रिया काफी लंबे समय तक चलती है। फीमेल से मेल बनने के लिए करीब 32 तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। 

पुरुष से महिला बनने में 18 चरण होते हैं। सर्जरी को करने से पहले डॉक्टर यह भी देखते हैं कि लड़का और लड़की इसके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं या नहीं। इसके लिए मनोरोग विशेषज्ञ की सहायता ली जाती है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि शरीर में कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है।

ऐसे होती है जेंडर चेंज सर्जरी

इसमें सबसे पहले डॉक्टर एक मानसिक टेस्ट करते हैं। इसके बाद इलाज के विए हार्मोन थेरेपी शुरू की जाती है। यानी जिस लड़के को लड़की वाले हार्मोन की जरूरत है वो इंजेक्शन और दवाओं के जरिए उसके शरीर में पहुंचाया जाता है।

इस इंजेक्शन के करीब तीन से चार डोज देने के बाद बॉडी में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। फिर इसका प्रोसीजर शुरू किया जाता है।

इसमें पुरुष या महिला के प्राइवेट पार्ट और चेहरे की शेप को बदला जाता है। महिला से पुरुष बनने वाले में पहले ब्रेस्ट को हटाया जाता है और पुरुष का प्राइवेट पार्ट डेवलप किया जाता है।

पुरुष से महिला बनने वाले व्यक्ति में उसके शरीर से लिए गए मांस से ही महिला के अंग बना दिए जाते हैं। इसमें ब्रेस्ट और प्राइवेट पार्ट शामिल होता है। ब्रेस्ट के लिए अलग- से तीन से चार घंटे की सर्जरी करनी पड़ती है. ये सर्जरी चार से पांच महीने के गैप के बाद ही की जाती है।

कई डॉक्टरों की टीम होती है शामिल


जेंडर चेंड सर्जरी की पूरी प्रक्रिया में कई डॉक्टर शामिल होते हैं. इसमें मनोरोग विशेषज्ञ, सर्जन, गायनेकोलॉजिस्ट और एक न्यूरो सर्जन भी मौजूद रहता है।

डॉक्टर बताते हैं कि ये सर्जरी 21 साल से अधिक उम्र के लोगों पर ही की जाती है। इसके कम उम्र में माता-पिता की ओर से लिखित में सहमित लेने के बाद ही ऑपरेशन किया जाता है, हालांकि 21 से कम उम्र में ये सर्जरी कराने वालों की संख्या ना के बराबर ही है।

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इस दुनिया के लगभग हर देश की अपनी एक अलग परंपरा और संस्कृति है जिसका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी होता है। दुनियाभर में शादी-ब्याह से लेकर तीज-त्योहारों तक हर एक चीज से अजीबो गरीब परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। Read:- शारीरिक संबंध बनाने से जुड़ी अजीबो-गरीब मान्यता

आज हम आपको इंडोनेशिया के बाली द्वीप की एक अजीबो-गरीब परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। 

इस परंपरा के मुताबिक हर शादीशुदा महिला को कम से कम 7 गैर मर्दों से शारीरिक संबंध बनाना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस अजीबो-गरीब परंपरा के पीछे कौन सी मान्यता छुपी हुई है।

दरअसल इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर हर साल पॉन त्योहार मनाया जाता है। इस पॉन त्योहार के दौरान यहां की शादीशुदा महिलाओं को एक पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए अंजान मर्दों के साथ शारीरिक संबंध बनाना जरूरी होता है।

इस पॉन त्योहार को सालभर में करीब सात बार मनाया जाता है और इस परंपरा के तहत हर बार शादीशुदा महिलाओं को नए-नए साथी की तलाश करनी होती है और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने होते हैं।

इस रिवाज के अनुसार जो भी शादीशुदा महिला गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाती है तो इससे उसकी हर मुराद पूरी होती है। इसके साथ ही उनके निजी जीवन और परिवार में खुशियां बरकरार रहती है।

लेकिन इस दौरान महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना होता है कि हर बार पार्टनर नया होना चाहिए।

 कहा जाता है कि अगर कोई महिला किसी पुराने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो इससे उसकी मुराद अधूरी रह जाती है।

साल में सात बार मनाए जानेवाले इस त्योहार के पीछ एक कहानी काफी प्रचलित है। इस कहानी के मुताबिक इंडोनेशिया का एक युवा राजा अपनी ही सौतेली मां से प्यार करता था।

एक बार जिस वक्त दोनों शारीरिक संबंध बना रहे थे उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई और गुनुंग केमुकुस में माउंटेन के टॉप पर उन्हें दफना दिया गया।

इसलिए आज भी लोगों की ऐसी मान्यता है कि जो कोई इस माउंटेन के टॉप पर शारीरिक संबंध बनाता है उनका भाग्य चमकता है और मन की सारी मुराद पूरी होती है।

 गौरतलब है कि हर साल यहां की शादीशुदा महिलाएं कम से कम 7 अजनबी पुरुषों से संबंध बनाती हैं, ताकि अपनी निजी जिंदगी और परिवार को खुशियों से भर सकें।

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