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अजीबों-गरीब परंपरा! यहां महिला शादी के 7 गैर मर्दों के साथ करती है ये काम...

अजीबों-गरीब परंपरा! यहां महिला शादी के 7 गैर मर्दों के साथ करती है ये काम...
Why do women make relationships with non-men?

इस दुनिया के लगभग हर देश की अपनी एक अलग परंपरा और संस्कृति है जिसका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी होता है। दुनियाभर में शादी-ब्याह से लेकर तीज-त्योहारों तक हर एक चीज से अजीबो गरीब परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। Read:- शारीरिक संबंध बनाने से जुड़ी अजीबो-गरीब मान्यता

आज हम आपको इंडोनेशिया के बाली द्वीप की एक अजीबो-गरीब परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। 

इस परंपरा के मुताबिक हर शादीशुदा महिला को कम से कम 7 गैर मर्दों से शारीरिक संबंध बनाना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस अजीबो-गरीब परंपरा के पीछे कौन सी मान्यता छुपी हुई है।

दरअसल इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर हर साल पॉन त्योहार मनाया जाता है। इस पॉन त्योहार के दौरान यहां की शादीशुदा महिलाओं को एक पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए अंजान मर्दों के साथ शारीरिक संबंध बनाना जरूरी होता है।

इस पॉन त्योहार को सालभर में करीब सात बार मनाया जाता है और इस परंपरा के तहत हर बार शादीशुदा महिलाओं को नए-नए साथी की तलाश करनी होती है और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने होते हैं।

इस रिवाज के अनुसार जो भी शादीशुदा महिला गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाती है तो इससे उसकी हर मुराद पूरी होती है। इसके साथ ही उनके निजी जीवन और परिवार में खुशियां बरकरार रहती है।

लेकिन इस दौरान महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना होता है कि हर बार पार्टनर नया होना चाहिए।

 कहा जाता है कि अगर कोई महिला किसी पुराने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो इससे उसकी मुराद अधूरी रह जाती है।

साल में सात बार मनाए जानेवाले इस त्योहार के पीछ एक कहानी काफी प्रचलित है। इस कहानी के मुताबिक इंडोनेशिया का एक युवा राजा अपनी ही सौतेली मां से प्यार करता था।

एक बार जिस वक्त दोनों शारीरिक संबंध बना रहे थे उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई और गुनुंग केमुकुस में माउंटेन के टॉप पर उन्हें दफना दिया गया।

इसलिए आज भी लोगों की ऐसी मान्यता है कि जो कोई इस माउंटेन के टॉप पर शारीरिक संबंध बनाता है उनका भाग्य चमकता है और मन की सारी मुराद पूरी होती है।

 गौरतलब है कि हर साल यहां की शादीशुदा महिलाएं कम से कम 7 अजनबी पुरुषों से संबंध बनाती हैं, ताकि अपनी निजी जिंदगी और परिवार को खुशियों से भर सकें।

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शादी के वक्त दुल्हन का रोना है जरूरी, अगर नहीं रोती तो...

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भारत में शादी के बाद जब दुल्हन की विदाई का समय आता है तो वह आमतौर पर खूब रोती है। अधिकतर शादियों में यही देखने को मिलता है। यह परंपरा लंबे समय से चल रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह की ही परंपरा पड़ोसी मुल्क चीन में भी है।

यहां भी एक जगह ऐसी है जहां दुल्हन को विदाई के वक्त रोना पड़ता है। अगर उन्हें रोना नहीं आता तो उन्हें पीटकर रुलाया जाता है। ऐसा करने के पीछे की वजह भी काफी दिलचस्प है।

आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के दक्षिण पश्चिमी प्रांत सिचुआन में तूजिया जनजाति के लोग रहते हैं। ये लोग यहां हजारों साल से रह रहे हैं। इनके यहां अगर किसी दुल्हन की शादी होती है तो उनका उस दौरान रोना जरूरी है। ये परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।

रिपोर्ट के अनुसार ये परंपरा 17वीं शताब्दी में चरम पर थी। बताते हैं कि इसकी शुरुआत 475 बीसी से 221 बीसी के बीच हुई थी। उस वक्त ज़ाओ स्टेट की राजकुमारी की शादी यैन राज्य में हुई थी।

शादी के बाद जब उनकी विदाई हो रही थी तब उनकी मां फूटफूटकर रोई थीं और बेटी को जल्दी घर लौटने को कहा था। इसी के बाद से यहां यह परंपरा शुरू हुई।

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर दुल्हन का रोना क्यों जरूरी है। दरअसल, जो दुल्हन विदाई पर नहीं रोती है, उसे इस जनजाति के लोग बुरी पीढ़ी मान लेते हैं और गांव में उस परिवार का मजाक उड़ाया जाता है।

समाज में मजाक बनने से बचने के लिए विदाई के दौरान जब दुल्हन नहीं रोती है तो उसे पीटकर रुलाया जाता है।

विदाई से पहले भी रोने की परंपरा

दक्षिण पश्चिमी प्रांत में विदाई के दौरान सिर्फ दुल्हन के रोने का रिवाज है, तो पश्चिमी प्रांत में रिवाज इससे अलग है. यहां जुओ टांग नाम की एक परंपरा है। इसका मतलब हॉल में बैठना होता है।

यहां शादी के एक महीने पहले, रात के वक्त दुल्हन को किसी बड़े हॉल में बैठकर करीब 1 घंटे तक रोना होता है। 

इसके 10 दिन बाद उसकी मां भी उसके साथ इसमें जुड़ जाती है और फिर 10 दिन बाद दादी-नानी, बहन, बुआ-मौसियां और अन्य महिलाएं उसके साथ जुड़ते हैं। रोने के दौरान क्राइंग मैरेज नाम का एक गाना बजता है।

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