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अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी रेस में एंट्री क्या ली, फंस गए ...

अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी रेस में एंट्री क्या ली, फंस गए ...

अमेरिकी मिड टर्म चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ने सदन की 435 में से 218 सीटें जीती हैं। भले ही पार्टी ने मामूली अंतर से बहुमत हासिल किया है लेकिन इसका सीधा असर 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिल सकता है।

 

अमेरिका: अमेरिका में 2024 में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई हैं। ट्रंप बुधवार को ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अपनी दावेदारी का ऐलान कर बिगुल बजा चुके हैं।

 

 

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उनके इस ऐलान के एक दिन बाद ही रिपब्लिकन पार्टी ने अमेरिकी मिड टर्म चुनाव में संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में बहुमत हासिल कर लिया है। इसे रिपब्लिकन पार्टी के लिए प्लस प्वॉइन्ट के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे ट्रंप की चुनावी यात्रा को लाभ हो सकता है।

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अमेरिकी मिड टर्म चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ने सदन की 435 में से 218 सीटें जीती हैं। भले ही पार्टी ने मामूली अंतर से बहुमत हासिल किया है लेकिन इसका सीधा असर 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिल सकता है।बता दें कि बीते चार सालों से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में डेमोक्रेट्स का बोलबाला था।

लेकिन अब रिपब्लिकन ने इस पर कब्जा जमा लिया है.रिपब्लिकन की इस जीत पर खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पार्टी को बधाई देते हुए कहा कि वह सभी के साथ मिलकर काम करने को तैयार है, फिर चाहे वह रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट्स लेकिन बाइडेन को अब स्वतंत्र रूप से फैसले लेने में दिक्कत होगी।

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अगले साल जनवरी में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर का चुनाव होना है, जिसमें सदन के सदस्य वोटिंग करेंगे। माइनॉरिटी लीडर केविन मैक्कार्थी को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से स्पीकर पद का उम्मीदवार चुना गया है। सदन में रिपब्लिकन के बहुमत से यह साफ है कि अगला स्पीकर रिपब्लिकन पार्टी का ही होगा।

नियमों के तहत रिपब्लिकन और डेमोकेटिक दोनों पार्टियों की ओर से स्पीकर पद के उम्मीदवारों को लेकर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में वोटिंग होती है। ऐसे में स्वाभाविक है कि रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य सदन में अपनी पार्टी के उम्मीदवार का ही चुनाव करेंगे। फिलहाल नैंसी पेलोसी हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव की स्पीकर हैं।

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रिपब्लिकन का 'चेहरा' ट्रंपरिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप को पता है कि राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचने की उनकी राह उतनी आसान भी नहीं होगी लेकिन वह अपने संभावित प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने के लिए जल्द ही कैंपेन शुरू करने जा रहे हैं। इसके लिए उनका स्टाफ पूरा रोडमैप तैयार कर चुका है।

वह अभी भी पार्टी के सबसे कद्दावर चेहरा हैं। उन्होंने पार्टी में ही अपने कई प्रतिद्वंद्वियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुटती रही है, जिससे पार्टी में उनका कद अपने आप ही बढ़ जाता है।

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बाइडेन की मुश्किलें बढ़ेगीराष्ट्रपति बाइडेन का लगभग दो साल का कार्यकाल अभी बचा है। ऐसे में संसद के निचले सदन में रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत से उनके बाकी बचे कार्यकाल के सामने कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।

दोनों दलों के बीच टैक्स स्लैब बढ़ाने और यूक्रेन को अधिक सहायता मुहैया करने सहित कई मामलों पर गतिरोध बढ़ने की आशंका है। इससे बाइडेन की मुश्किलें यकीनन बढ़ने वाली हैं और ऐसा करने में ट्रंप कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

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कनाडा वह देश है जहां पर अप्रवासी भारतीयों की संख्‍या ज्‍यादा है। सरकार का ऐलान भारतीयों को बड़े स्‍तर पर फायदा पहुंचायेगा। कनाडा में इस समय मजदूरों की कमी है

ओटावा: कनाडा में मजदूरों की भारी कमी के चलते अप्रवासन को आसान बनाने की योजना है। देश के अप्रवासन मंत्री सीन फ्रेजर ने नई योजना का ऐलान किया है। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई है कि नए प्‍लान के बाद देश में अप्रवासियों की संख्‍या में भारी इजाफा होगा।

और मजदूरों की कमी को दूर किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि सरकार का यह ऐलान भारतीयों को बड़े स्‍तर पर फायदा पहुंचायेगा। कनाडा वह देश है जहां पर अप्रवासी भारतीयों की संख्‍या ज्‍यादा है।

60 फीसदी का लक्ष्‍य

सीन फ्रेजर ने कहा, 'कनाडा की जनता को यह समझना होगा कि उन्‍हें आबादी बढ़ाने की जरूरत है ताकि श्रमबल की समस्‍या को दूर किया जा सके।'

फ्रेजर ने कहा कि उम्‍मीद है इस नए कदम के बाद अप्रवासी मजदूरों की संख्‍या में इजाफा हो सकेगा। साल 2014 में कनाडा में चार लाख 31 हजार अप्रवासी मजदूर पहुंचे थे। साल 2025 तक इनकी संख्‍या पांच लाख करने की योजना है।

इससे साफ है कि देश में रहने वाले अप्रवासी मजदूरों की संख्‍या में तेजी से इजाफा होगा। फ्रेजर ने जानकारी दी कि कनाडा में साल 2025 तक आर्थिक प्रवासी श्रेणी के तहत अप्रवासियों की संख्‍या 60 फीसदी तक करने का लक्ष्‍य है।

कम आबादी और कम मजदूर

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस कदम का स्‍वागत किया है। उन्‍होंने लिंक्‍डइन पर एक पोस्‍ट लिखी। इसमें उन्‍होंने लिखा है कि इस योजना से साफ है कि सरकार किस तरह से आने वाले वर्षो में अपना लक्ष्‍य हासिल करने की तरफ बढ़ रही है।

उन्‍होंने कहा कि यह योजना कनाडा को दुनिया के उन टॉप देशों शामिल करेगी जो टैलेंट के लिए बेस्‍ट माने जाते हैं। कनाडा में इस समय मजदूरों की कमी है। यहां 10 लाख नौकारियों के लिए पद खाली हैं।

देश में जन्‍मदर दुनिया में सबसे कम है और प्रति महिला जन्‍मदर 1.4 है। देश की करीब 90 लाख की आबादी साल 2030 तक रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंच जायेगी। यह कुल जनसंख्‍या का एक चौथाई है।

ओंटारियो सबसे फेवरिट

कनाडा की सरकार का यह फैसला भारतीयों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। स्‍टैटिस्टि्क्‍स कनाडा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 से 2021 तक जो अप्रवासी कनाडा आये उनमें 18.6 फीसदी संख्‍या भारतीयों की थी।

इस दौरान 2.46 लाख भारतीय, कनाडा पहुंचे जिनमें से 1.28 लाख पुरुष और 1.18 लाख महिलायें थीं। भारतीयों के अलावा अफ्रीका और फिलीपीनो से भी लोग कनाडा पहुंचे थे।

नये आंकड़ें क्‍या कहते हैं?

26 अक्‍टूबर को आये आंकड़ों बताया गया है कि देश की आबादी में पिछले पांच सालों में 5.3फीसदी तक बढ़ गई है। इसके बाद आबादी 3.7 करोड़ तक पहुंच गई है। ओंटारियो भारतीयों की फेवरिट जगह है। 55 फीसदी अप्रवासी भारतीय टोरंटो, ओट्टावा, वॉटरलू, ब्रैम्‍पटन और दूसरे शहरों में रहते हैं।

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