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World Rabies Day: विश्व रेबीज दिवस पर सीएमओ कार्यालय में गोष्ठी का आयोजन

विश्व रेबीज दिवस पर सीएमओ कार्यालय में हुई गोष्ठी  रेबीज व स्क्रब टायफस के संक्रमण, लक्षण, बचाव पर हुआ मंथन  टीकाकरण समेत क्या करें – क्या न करें के बारे में दी जानकारी   वाराणसी, 28 सितम्बर 2024   विश्व रेबीज दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की सभा कक्ष में गोष्ठी का आयोजन किया गया| रेबीज से बचाव के प्रति जागरूकता के लिए हर साल 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है|  गोष्ठी में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ बीपी पाठक के द्वारा पशुओं के टीकाकरण, डॉग बाईट के टीकाकरण, रेबीज के लक्षण तथा उनसे रोकथाम के बारे में विस्तृत चर्चा की गई| पशु चिकित्सा अधिकारी व प्रभारी डॉक्टर सुधीर राम सिंह के द्वारा रेबीज के बारे बचाव, क्या करें और क्या न करें आदि के बारे में चर्चा की गई| उन्होंने बताया कि रेबीज, एक वायरल संक्रमण है जो मनुष्य और जानवरो में हमेशा से घातक होता है| यह बीमारी संक्रमित कुत्तो, सियार, नेवले, एवं बंदर के काटने से लार द्वारा फैलता है। इन पशुओं के लार से रेबड़ो वायरस नामक विषाणु से यह रोग फैलता है। यह अत्यन्त घातक व लाइलाज बीमारी है। मनुष्यो में यह रोग किसी गर्म खून वाले रेबीज प्रभावित पशु के काटने से हो सकता है| अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया के द्वारा बताया गया कि रेबीज का इंजेक्शन सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल पर उपलब्ध है और कोई भी इस तरह के पशुओं को काटने पर यह इंजेक्शन लगाया जाता है| बताया गया कि यदि किसी को कुत्ते, बिल्ली, बंदर जैसे कोई भी जानवर काटता है तो उसे सबसे पहले बहते हुए साफ पानी में साबुन लगाकर साफ करना चाहिए| इसके बाद उसे पर एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए तथा कभी भी घाव को स्टिच नहीं करना चाहिए| रोग के लक्षण मिलने पर तत्काल चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क करें| कुत्ता काटने पर रेबीज का टीकाकरण ही एक मात्र बचाव है। कृषि विभाग से सुरेन्द्र कुमार सिंह ने स्क्रब टायफस के संक्रमण, लक्षण, बचाव आदि के बारे में विस्तृत चर्चा की| इस मौके पर एपिडोमोलोजिस्ट, पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे|    क्या करें- •	घाव को तत्काल साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह धोए एन्टीसेप्टिक लगाएं। •	तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें या इलाज के लिए अस्पताल जाएं। •	डॉक्टर की सलाह के अनुसार एण्टी रेबिज टीकाकरण कोर्स अवश्य पूरा करें। •	पालतू कुत्ते को एण्टी रेबिज के टीके लगवाएं। •	जानवर द्वारा गम्भीर रूप से काटने पर श्रेणी-3 के घाव में एण्टी रेबिज सीरम और एण्टी रेबीज वैक्सीन का कोर्स पूर्ण किया जाए। क्या न करें- •	जानवरों द्वारा मारे गए पंजे के घाव को नजरअंदाज न करें। •	झाड़-फूक या घरेलू उपचार पर समय न गंवाएं| •	घाव पर मिर्च, सरसों का तेल, या कोई अन्य तकलीफ देने वाले पदार्थों को न लगाएं। •	घाव की तुरन्त सफाई में लापरवाही न बरतें।

रेबीज व स्क्रब टायफस के संक्रमण, लक्षण, बचाव पर हुआ मंथनटीकाकरण समेत क्या करें – क्या न करें के बारे में दी जानकारी 

विश्व रेबीज दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हर वर्ष 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाने का उद्देश्य रेबीज से संबंधित जागरूकता फैलाना है।

इस गोष्ठी में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीपी पाठक ने पशुओं के टीकाकरण, डॉग बाइट के टीकाकरण, और रेबीज के लक्षणों पर विस्तृत चर्चा की। पशु चिकित्सा अधिकारी और प्रभारी डॉक्टर सुधीर राम सिंह ने रेबीज से बचाव, उचित उपाय और गलतियों के बारे में जानकारी साझा की।

उन्होंने बताया कि रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर संक्रमित कुत्तों, सियारों, नेवले और बंदरों के काटने से फैलता है। यह एक गंभीर और लाइलाज बीमारी है, जो गर्म खून वाले जानवरों के काटने से मनुष्यों में हो सकती है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसएस कनौजिया ने जानकारी दी कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में रेबीज का इंजेक्शन उपलब्ध है। किसी जानवर के काटने पर तुरंत साफ पानी से घाव को धोकर एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए। घाव को कभी भी टांके नहीं लगाने चाहिए। रेबीज के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करें। कुत्ता काटने पर रेबीज के टीके ही एकमात्र सुरक्षा उपाय हैं। 

कृषि विभाग के सुरेन्द्र कुमार सिंह ने स्क्रब टायफस के संक्रमण, लक्षण और बचाव के बारे में भी जानकारी दी। संगोष्ठी में एपिडेमियोलॉजिस्ट, पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

क्या करें:

- घाव को तुरंत साबुन और बहते पानी से धोएं, फिर एंटीसेप्टिक लगाएं।
- तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या अस्पताल जाएं।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार एंटी रेबीज टीकाकरण का पूरा कोर्स करें।
- पालतू कुत्तों को एंटी रेबीज के टीके लगवाएं।
- गंभीर घाव होने पर एंटी रेबीज सीरम और वैक्सीन का कोर्स पूरा करें।

क्या न करें:

- जानवर के काटने के घाव को नजरअंदाज न करें।
- झाड़-फूक या घरेलू उपचार पर समय बर्बाद न करें।
- घाव पर मिर्च, सरसों का तेल या अन्य हानिकारक पदार्थ न लगाएं।
- घाव की सफाई में लापरवाही न करें।

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