वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गर्भ समापन दिवस के अवसर पर शनिवार को दुर्गाकुंड स्थित शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं को गर्भधारण करने, शिशु के पालन-पोषण एवं असुरक्षित गर्भसमापन आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भसमापन दिवस विश्व भर में मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं के प्रति जनसमुदाय में जानकारी बढ़ाना एवं दम्पत्तियों को सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं एवं गर्भपात पश्चात परिवार नियोजन के बारे में जानकारी देना है, जिससे वे सही निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
गर्भसमापन सेवाएं सेवाप्रदाताओं द्वारा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य इकाईयों पर कानूनी दायरे के अंतर्गत सुरक्षित तकनीक का उपयोग करते हुए असुरक्षित गर्भसमापन से होने वाली मातृ मृत्यु को काफी हद तक रोका जा सकता है।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरिश्चंद्र मौर्य ने कहा कि देश में गर्भसमापन कानूनन वैध है तथा सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं को सुदृढ़ बनाने हेतु चिकित्सकीय गर्भसमापन अधिनियम 2021 के अंतर्गत 20 सप्ताह तक गर्भसमापन समापन की सेवाएं प्रदान की जाती है एवं विशेष परिस्थितियों में 24 सप्ताह तक की गर्भसमापन सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
* यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म या अनाचार।
* कम उम्र या नाबालिग ।
* गर्भवस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति परिवर्तन हुआ हो जैसे कि तलाक या विधवापन।
* शारीरिक अक्षमताओं वाली महिलाएं ।
* मानसिक रूप से रुग्ण महिलाएं।
* भ्रूणीय विकृति का इसके जीवन के साथ असंगत होने का जोखिम है या यदि शिशु का जन्म होता है तो वह ऐसी शारीरिक एवं मानसिक असामान्यताओं से पीड़ित हो सकता है जिससे वह गंभीर रूप से अक्षम हो।
* मानवीय स्थितियों या आपदा या सरकार द्वारा घोषित आकस्मिक परिस्थितियो में गर्भवस्था वाली महिला।
बताया गया कि असुरक्षित गर्भसमापन एवं मातृ मृत्यु को कम करने के लिए महिलाओं की सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाना आवश्यक है। जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता पूनम गुप्ता ने परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों कंडोम, अंतरा इंजेक्शन, छाया गोली एवं माला एन के बारे में जानकारी दी। इस कार्यशाला में अपर शोध अधिकारी नीरज अस्थाना सहित अन्य चिकित्साकर्मी उपस्थित रहे।