Varanasi News: स्वर्वेद महामंदिर की दीवारें कराएंगी सतयुग से कलयुग की यात्रा, तस्वीरों में देख भव्यता हो जायेंगे मंत्रमुग्ध

Varanasi News: स्वर्वेद महामंदिर की दीवारें कराएंगी सतयुग से कलयुग की यात्रा, तस्वीरों में देख भव्यता हो जायेंगे मंत्रमुग्ध
Varanasi News: भव्यता ऐसी की बस नजर देखती रह जाए। संत सदाफल देव महाराज के स्वर्वेद की संकल्पना। गुलाबी पत्थरों से साकार स्वर्वेद महामंदिर श्रद्धालुओं को सतयुग से कलयुग तक की यात्रा कराएगा। दीवारों पर उकेरी गई आकृतियां महामंदिर में आने वालों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा से अवगत कराएंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वज्र योग और शतभिषा नक्षत्र में 10:40 बजे दुनिया के सबसे बड़े योग साधना केंद्र का उद्घाटन किया। मंदिर में प्रवेश द्वार से लेकर शिखर तक भारत की कला, संस्कृति, विरासत और सभ्यता की समृद्धि का भाव नजर आ रहा है। चरक संहिता के सूत्रों के साथ, पाणिनी का अष्टाध्यायी, आर्यभट्ट के गणित के सूत्र, उपनिषद के साथ ही रामायण, गीता और महाभारत को भी उकेरा गया है।
मंदिर के खंभों पर महीन नक्काशियां और सफेद मकराना पत्थरों से सजी छत की खूबसूरती तो देखने लायक है। 180 फीट ऊंचाई वाले महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के चार हजार दोहों को अंकित किया गया है जो साधकों की साधना में सहयोगी होगा। संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज ने बताया कि फिलहाल मंदिर के प्रथम तल को श्रद्धालु और साधकों के लिए खोला गया है। दूसरे चरण के कार्य का शिलान्यास पीएम मोदी ने कर दिया है। दुनिया में योग साधना का सबसे बड़े केंद्र को पूरी क्षमता के साथ शुरू होने में अभी दो साल का समय लगेगा। यहां पर एक साथ 20 हजार साधक जब विहंगम योग की साधना करेंगे तो यह दृश्य अद्भुत होगा।
सबसे पहले होंगे सदगुरु सदाफल देव महाराज के दर्शन
स्वर्वेद महामंदिर में प्रवेश करते ही सबसे पहले सदगुरु सदाफल देव महाराज की सफेद प्रतिमा के दर्शन होंगे। ध्यान मुद्रा में विराजमान प्रतिमा के सामने साधक विहंगम योग साधना कर सकेंगे। गुरु परंपरा को समर्पित इस महामंदिर को योग साधकों को साधना के लिए तैयार किया गया है।
मंदिर की विशेषताएं
- 64 हजार स्क्वायर फीट में सात मंजिला मंदिर।
- तीन लाख स्क्वायर फीट में गुलाबी सैंड स्टोन।
- तीन लाख वर्गफीट में श्वेत मकराना संगमरमर।
- मंदिर का कुल क्षेत्रफल है ढाई लाख वर्गफीट।
- 80 हजार वर्गफीट पर हुआ है मंदिर का निर्माण।
- 20 हजार साधक एक साथ कर सकेंगे साधना।
- चार हजार स्वर्वेद के दोहों को दीवार पर किया गया है अंकित।
- 180 फीट है सात मंजिला मंदिर की ऊंचाई।
- 135 फीट ऊंची सदगुरुदेव ककी सैंडस्टोन की प्रतिमा होगी स्थापित।
- 19 साल तक लगातार छह सौ कारीगर, दो सौ मजदूर और 15 इंजीनियर ने किया काम।
- शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर उमरहा में स्थित स्वर्वेद महामंदिर।
- दिसंबर 2004 में शुरू हुआ था महामंदिर के निर्माण का काम।
सदगुरू सदाफलदेव महाराज ने अपने जीवन काल में ही अपने प्रथम परंपरा उत्तराधिकारी सद्गुरु अनंत आचार्य धर्मचंद्रदेव को स्वर्वेद का भाष्य करने का निर्देश दिया था। उन्होंने इसका प्रचार प्रसार किया। उनके पदचिन्हों पर सदगुरू आचार्य स्वतंत्र देव महाराज व संत प्रवर ने 2015 से अब तक स्वर्वेद का प्रचार प्रसार देश ही नहीं विदेश के 35 देशों तक किया। इसमें अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी जैसे देश शामिल हैं।
पहले दिन पौने तीन लाख लोगों ने किया मंदिर में दर्शन
स्वर्वेद मंदिर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उदघाटन करने के बाद पहले दिन सोमवार को विभिन्न जगहों से आए करीब पौने तीन लाख लोगों ने मंदिर में दर्शन किया। दोपहर से शुरू दर्शन का दौर देर रात तक चलता रहा। दूर दराज से आए लोगों ने इस पल को अपने कैमरे में कैद कर आयोजन को यादगार बना दिया।
सदगुरु सदाफल की प्रेरणा से निर्मित मंदिर का प्रधानमंत्री ने रिमोट से जैसे ही उदघाटन किया, आयोजन स्थल सदगुरु की जय से गूंज उठा। इसके अलावा मंच से बार-बार हम सबका संकल्प महान, स्वर वेद महामंदिर निर्माण का उदघोष भी होता रहा। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने भी हाथ उठाकर अपनी सहमति दी।
विहंगम योग के वार्षिकोत्सव के बाद निकले अनुयाई लगा जाम
स्वर्वेद महामंदिर उमरहां शताब्दी वार्षिकोत्सव में भाग लेने वाले अनुयायियों का रेला देर शाम घर जाने के लिए निकला । इससे उमरहां नहर पर इस कदर जाम लगा कि लोग परेशान हो उठे। घंटों मशक्कत के बाद विहंगम योग सेवा दल के स्वयं सेवकों ने किसी तरह जाम छुड़ाया। तब श्रद्धालु अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। श्रद्धालुओं की भीड़ से उमरहां, डुबकियां, चौबेपुर, कादीपुर रेलवे स्टेशन, संदहां हर जगह भीड़ ही भीड़ लगी रही।
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