Varanasi News: रीता 21, पूनम 6 और इन्दु 4 पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित करने में रहीं सफल, पुरुष नसबंदी की भ्रांतियों को तोड़कर बदल रहीं हैं समाज की सोच
वाराणसी। परिवार नियोजन के अंतर्गत जिन दंपत्ति के परिवार पूरे हो चुके हैं और वह भविष्य में एक भी बच्चा नहीं चाहते हैं। ऐसे दंपत्ति को प्रेरित कर पुरुष व महिला नसबंदी के लिए प्रोत्साहन कार्य में आशा कार्यकर्ता बेहद खास भूमिका निभा रही हैं। इस विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा में जनपद में 175 पुरुष नसबंदी हुईं। इस उपलब्धि से वाराणसी प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा।
जबकि 1762 महिला नसबंदी के साथ वाराणसी प्रदेश में पहले स्थान पर रहा। महिला नसबंदी की तुलना में सबसे आसान और सुरक्षित पुरुष नसबंदी के बारे में प्रेरित करने में पाण्डेयपुर की आशा कार्यकर्ता रीता सिंह व पूनम और अर्दली बाजार की इन्दु देवी सबसे आगे रहीं। आशा रीता सिंह ने पखवाड़े में सबसे अधिक 21 पुरुष व 4 महिला नसबंदी कराने में सफल रहीं। पूनम ने 6 पुरुष व 2 महिला नसबंदी कराई। इन्दु ने 4 पुरुष और 3 महिला नसबंदी कराई। इस कार्य में सीएचसी-पीएचसी के अधीक्षक, सर्जन, स्टाफ नर्स समेत पीएसआई इंडिया संस्था की कृति पाठक व अखिलेश एवं यूपीटीएसयू संस्था ने पूरा सहयोग किया। आइए जानते हैं उनके प्रयासों के बारे में।
बदल रही है सोच, आगे आ रहे पुरुष - पाण्डेयपुर पहड़िया की आशा कार्यकर्ता रीता सिंह ने कहा – “मेरे क्षेत्र में जितने दंपत्ति हैं, उनसे मेरी बातचीत होती रहती है। ऐसे दंपत्ति जिनका परिवार पूरा हो चुका है और वह आगे बच्चा नहीं चाहते हैं। ऐसे में जब रीता उनसे मुलाक़ात करती हैं तो वह पुरुष नसबंदी के बारे में विस्तार से समझाती हैं। जब ये बातें उनकी समझ में नहीं हैं तो वह अपने पति के पुरुष नसबंदी कराने के बारे में बताती हैं।
इससे वह आश्चर्यचकित हो जाते हैं और मेरी बातों को समझने लगते हैं। महिलाओं और उनके रोज मर्रा के कार्य एवं उनके स्वास्थ्य को देखते हुए धीरे-धीरे पुरुषों की सोच बदल रही हैं और वह नसबंदी के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा – मैंने बहुत से संघर्षों का सामना किया है लेकिन उनके पति राघवेंद्र सिंह ने हमेशा साथ दिया है। अपनी पत्नी के काम को देखकर राघवेंद्र ने स्वयं की नसबंदी कराकर क्षेत्रवासियों को बेहतर संदेश दिया।
< script async src = 'https://securepubads.g.doubleclick.net/tag/js/gpt.js' >पुरुष नसबंदी की तोड़ रहीं भ्रांतियाँ - पाण्डेयपुर की आशा पूनम ने कहा “पखवाड़ा शुरू होने से पहले ही वह अपने क्षेत्र में समस्त दंपत्ति को जागरूक करने कार्य करती हैं। जिनका परिवार पूरा हो चुका है उन्हें महिला और पुरुष नसबंदी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हैं।
उनकी सभी शंकाओं को भी दूर करती हैं। पति और पत्नी से अलग अलग और अकेले में बात कर उन्हें समझाती हैं। इस दौरान पुरुष नसबंदी चैम्पियन के बारे में भी बताती हैं, जिससे उनका विश्वास बढ़ जाता है। इसके बाद पति पत्नी आपसी समझ से नसबंदी की सेवा लेते हैं।
अधिकतर पुरुष, नसबंदी कराने के लिए राजी हो जाते हैं। लेकिन कभी महिलाएं अपने आप को आगे कर लेती हैं।“ उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी को लेकर समुदाय कई भ्रांतियाँ हैं लेकिन इसको दूर कर पुरुष, नसबंदी के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। भ्रांतियों को तोड़कर समाज को बेहतर संदेश दे रहे हैं। पिछले वर्ष तीन पुरुष व तीन महिला नसबंदी की सेवा प्रदान करवाई थी।
आशा रीता सिंह के कार्य मिलती है प्रेरणा - अर्दली बाजार की आशा इन्दु ने कहा – “जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा हो या फिर पुरुष नसबंदी पखवाड़ा, उसके एक माह पहले से ही हम लक्षित दंपत्ति से बात चीत करते रहते हैं। उन्हे महिला और पुरुष नसबंदी के अंतर और फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
इसके अलावा आसपास के क्षेत्र के पुरुष नसबंदी चैम्पियन को साथ में लेकर जाती हैं जिससे दंपत्ति की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसी तरह से मैंने बहुत से लाभार्थी को प्रेरित कर नसबंदी की सेवा प्रदान की है।
पखवाड़े के बाद से दो से चार लाभार्थी पुरुष नसबंदी कराने के लिए खुद से आए हैं। पिछले वर्ष तीन पुरुष व तीन महिला नसबंदी करवाई थीं। उन्होंने कहा कि पाण्डेयपुर की आशा रीता सिंह से कार्य से उन्हें बहुत प्रेरणा मिलती हैं।“