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Varanasi News: पत्रकार आनन्द सिंह अन्ना हुए चन्दा हिंदी गौरव सम्मान 2024 से अलंकृत

Varanasi News: पत्रकार आनन्द सिंह अन्ना हुए चन्दा हिंदी गौरव सम्मान 2024 से अलंकृत

Varanasi News: पत्रकार आनन्द सिंह अन्ना हुए चन्दा हिंदी गौरव सम्मान 2024 से अलंकृत

वाराणसी चंद्रा साहित्य परिषद (ट्रस्ट) की संस्थापक स्व. चंद्रावती नरेश के 59 वें जन्म दिन के अवसर  पर  चंद्रा साहित्य परिषद कार्यालय, प्रभात नगर, इंदिरा नगर समीप चितईपुर वाराणसी में  रिश्तों का एहसास 'काव्य 'स्मारिका' का विमोचन और कवि सम्मेलन का  भव्य  आयोजन किया गया I
दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात स्व चंद्रावती नरेश के चित्र पर माल्यार्पण तथा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों को अंगवस्त्र,  प्रसस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह  देकर सम्मानित किया गया। 


इस मौके पर चंद्रावती नरेश के जीवन परिचय और व्यक्तित्व पर वक्ताओं द्वारा विस्तार से बताया गया, साथ ही शिक्षा के विकास की दिशा में और कार्य करने के उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने  को निर्देशित किया गया I


मुख्य अतिथि डॉ तार्केश्वर मिश्रा 'जिज्ञासु', सुप्रिसद्ध कवि एवं मंच संचालक अंबेडकर नगर, विशिष्ट अतिथिद्वय दिनेश चंद्र पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी पी डी डी यू मंडल चंदौली,जाने-माने गीतकार एवं शान ए काशी डॉ महेंद्र नाथ तिवारी 'अलंकार' और इंडियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट  (आईएजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ  कैलाश सिंह विकास वरिष्ठ पत्रकार की गरिमामयी उपस्थिति में प्रसिद्ध गजलकार सिद्धनाथ शर्मा "सिद्ध" के सफल संचालन में कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ और रात आठ बजे तक चलता रहाI जहाँ कवि राम नरेश 'नरेश' ने सरस्वती वंदना गाकर माहौल को काव्य मय बना दिया, वहीं डॉ  तारकेश्वर मिश्रा की गज़ल- "प्रेम की चादर हर तरफ फैला क्यों नहीं देते। नफ़रत का साया जहां से मिटा क्यों नहीं देते।। गोली बम बारूद का शौक है कुछ लोगों को। गीत मोहब्बत का उनको सुना क्यों नहीं देते"।।


डॉ महेंद्र नाथ तिवारी के गीत-"प्यार जिंदा है तो फिर राज महल बनते हैंI प्यार मरता है तो फिर ताज महल बनते हैं" II


दिनेश चंद्र की गज़ल-"उदासी की चादर तान कर रात में सो जाना आदत हो गयी। सच मे इस सच के साथ जीना आसान नही है"I माधुरी मिश्रा की गजल- "जहर ज़िंदगी का हम पिये जा रहे है। नशे में हैं हम और जिये जा रहे हैं।। शबनमी  बूँद से, तरबतर  जिस्मो जाँ। सर्द बरसात, आँसू   बयाँ कर  रहे"।।
संतोष प्रीत की गजल-"बहुत बड़ा यह देश है अपना, नही किसी से क्लेश है अपना। मिलजुल कर कैसे रहते है, दुनिया को संदेश दें अपना"II
दीपक दबंग का असरदार भोजपुरी व्यंग, भाई अखलाक  की रचना, आलोक बेताब की पक्तियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में बहुत साथ दियाI


मंच संचालक की भूमिका में रहे कवि सिद्धनाथ शर्मा ने अपने जादुई  संचालन के साथ अपनी सधी गजलें सुनाकर खूब तालियां बटोरीI "कठिन परीक्षा लेते हो तुम साधारण इंसा का। कलियुग में ऐसी माया रचते हो तुम गिरधारी"।।


उपस्थित कवियों में गिरीश पांडेय,झरना मुखर्जी, मधुलिका राय, ओम प्रकाश चंचल, नवल किशोर गुप्ता आदि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पत्रकार, समाज सेवी  जिसमें मुख्यतः पत्रकार  राजेश मिश्रा, डी डी सिंह, नूतन सिंह, डॉ. सुभाष चंद्रा, डॉ राजीव गौतम, योगेंद्र कुमार, छायाकार विनोद राव, आनंद सिंह अन्ना, विशाल  चौरसिया आदि उपस्थित रहेI


इस अवसर पर उत्तर प्रदेश, छत्तीस गढ़, बिहार आदि प्रांतों से आये अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं के लिए और हिंदी विद्वतजनों, सुप्रसिद्ध साहित्यकारों और पत्रकारों को अंगवस्त्र, प्रसस्ति पत्र, माल्यार्पण और  स्मृति चिन्ह देकर चंद्रा हिंदी गौरव सम्मान-2024 से अलंकृत किया गयाI


अतिथि कवियों, पत्रकारों, समाज सेवियों, छायाकारों सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं. राम नरेश 'नरेश'   ने कहा कि यह चंद्रा साहित्य  परिषद (ट्रस्ट) आपका है,  अपनी साहित्यिक सेवाएं देकर इसको ऊंचाई प्रदान करना आप सब के हाथों है I अंत में मधुर जलपान के  साथ कवि सम्मेलन  का समापन हुआ I

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