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Varanasi News: बीएचयू में आयुकॉन 2023 का आयोजन, मेनस्ट्रीमिंग ऑफ आयुर्वेद इन प्राइमरी हेल्थ केयर पर नेशनल कांफ्रेंस

Varanasi News: बीएचयू में आयुकॉन 2023 का आयोजन, मेनस्ट्रीमिंग ऑफ आयुर्वेद इन प्राइमरी हेल्थ केयर पर नेशनल कांफ्रेंस


Varanasi News: ऑल इंडिया आयुर्वेदिक स्पेशलिस्ट पी.जी. एसोसिएशन के वाराणसी ब्रांच द्वारा दिनांक 4 नवंबर 2023 को "आयुकान 2023 नेशनल कांफ्रेंस ऑन मेनस्ट्रीमिंग आफ आयुर्वेद इन प्राइमरी हेल्थ केयर"  का आयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के सेमिनार कांपलेक्स में द्रव्यगुण विभाग, आयुर्वेद संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त रूप से किया जा रहा है। ऑल इंडिया आयुर्वैदिक स्पेशलिस्ट पी.जी. एसोसिएशन, देश की प्राचीनतम आयुर्वेद के संगठनों में से एक है। इसके स्थापना के पीछे का मूल उद्देश्य आयुर्वेद का प्रचार प्रसार एवं देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुर्वेद को महत्वपूर्ण स्थान दिलाना है। वर्तमान में देश एवं विदेश में इसके लगभग हजारों सदस्य हैं। 

 आयुर्वेद भारत के लिए बहुत ही प्राचीनतम पद्धति है।  युगों - युगों से आयुर्वेद पद्धति से ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य लाभ समाज के लोगों को मिल रहा था। आयुर्वेद के  जनक भगवान धन्वंतरि जी को कहा जाता है। भगवान धन्वंतरि जी का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन के समय हुआ था। समुद्र से जो 14 रत्न निकले थे, उनमें से एक भगवान धन्वंतरि जी भी थे।  जो लोक कल्याण के लिए आयुर्वेद पद्धति से लोगों के स्वास्थ्य और चिकित्सा की सेवा को व्यवहार में लाया और इसको सतत पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाने का आशीर्वाद दिया।  उनके द्वारा दिए गए आशीर्वाद के फल स्वरुप ऋषियों मुनियों के माध्यम से हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी यह आयुर्वेद की पद्धति आगे बढ़ती रही। जो कि आज भी  जिस युग में हम लोग जी रहे इस युग में भी आयुर्वेद पद्धति कायम है। 

ऑल इंडिया आयुर्वैदिक स्पेशलिस्ट पी.जी. एसोसिएशन इसको सतत आगे बढ़ाने हेतु प्रयत्नशील है। आजादी के बाद से देश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में देश ने बहुत तरक्की की है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की अत्यधिक विकाश के बावजूद भी हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं समुचित रूप से उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। पिछले दो-तीन दशकों का आंकड़ा देखने से पता चलता है कि पहले जहां 70 के दशक में संक्रामक रोगियो की संख्या अत्यधिक थी और गैर संक्रामक या जीवन शैली जन्य  लोगों की संख्या कम होती थी।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में एंटीबायोटिक्स  की खोज के कारण संक्रामक रोगों पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा चुका है। लेकिन गैर संक्रामक और जीवन शैली जन्य रोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसी उद्देश्य से आयुष मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा तेजी से प्रयास किया जा रहा है। जिससे जीवन शैली जन्य रोगों में आयुर्वेद को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए। क्योंकि आयुर्वेद ही सबसे बेहतर और हानि रहित इलाज है। इसके लिए आयुष हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की स्थापना की जा रही है। इसके माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर पर लोगों को आयुर्वेद का इलाज मिल सके।  पिछले 5 सालों में लगभग 12500 हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की स्थापना की जा चुकी है। जो कि आज भी  निरंतर जारी है।  हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर ही लोगों को आयुर्वेद का इलाज उपलब्ध हो सके। आयुर्वेदिक इलाज के माध्यम से ही गैर संक्रामक रोगों या जीवन शैली रोगों पर काबू पाया जा सके।

 इसी उद्देश्य से 4 नवंबर 2023 को होने वाले सेमिनार का विषय इसी पर आधारित है।  जिसमें देश के  विभिन्न राज्यों से आने वाले  विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करेंगे, कि प्राइमरी हेल्थ केयर में आयुर्वेद की कौन-कौन सी दवाए तथा आयुर्वेद के कौन-कौन से सिद्धांत के आधार पर रोगो  पर नियंत्रण किया जा सकेगा।


आयोजक समूह के अनुसार अब तक लगभग 250 लोगों ने इस  कांफ्रेंस के लिए पंजीकरण कर लिया है। इसमें लगभग 200 शोध पत्र भी पढ़े जाएंगे।  इसका लाभ इसमें भाग ले रहे प्रतिभागियों को भी मिलेगा।

कान्फ्रेंस आयोजन समूह के अध्यक्ष  प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद, सचिव डॉ राशी शर्मा, संयोजक एवं वाराणसी ब्रांच के सचिव डॉक्टर अजय कुमार है। आयोजको के अनुसार यह कार्यक्रम दिनांक 04 नवम्बर 2023 को प्रातः 8:00 बजे से शुरू होकर शाम की 8:00 बजे तक चलेगा। इसमें भिन्न-भिन्न सेशन में शोध पत्र पढ़े जाएंगे।

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