Varanasi News: वाराणसी सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का 42वां दीक्षान्त समारोह, राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल करेंगी अध्यक्षता
वाराणसी। प्राध्य विद्या के सिद्धपीठ के रूप में सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त सम्पूर्णनिन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणशी अपने गौरवशाली परम्पराओं को अक्षुण्ण रखते हुये अहर्निश सेवा पथ पर अग्रसर है। सन् 1791 में सस्कृत पाठशाला या संस्कृत कालेज के रूप में स्थापित यह संस्था 22 मार्च, 1958 से वाराणसँय संस्कृत विश्वविद्यालय एवं 1973 से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में अनेक सोपानों को पार करते हुरो सम्झत्ति अपनी स्थापना के उद्देश्यों की पूर्ति में अवसर है। वर्तमान में इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हमारे संस्कृत महाविद्यालय उत्तर प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों में कमश नई दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र. हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, सिक्किम् पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड लेह एवं अरुणाचल प्रदेश आदि में संचालित है।
विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह अत्यन्त गरिमामय होता है। दीक्षान्त का पर्यायवाची समावर्तन है. जो 16 संस्कारों में अति महत्वपूर्ण है। ब्रह्मचर्याश्रम से गृहस्थाश्रम में प्रवेश का मार्गे भी दीक्षान्त ही है। इस वर्ष विश्वविद्यालय का 42वीं दीक्षान्त महोत्सव 26 सितम्बर 2024 को विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक मुख्य भवन में पूर्वाण 10.00 बजे मनाया जा रहा है, जिसमें कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महामहिम आनन्दीबेन पटेल अध्यक्षता करेंगी। समारोह के मुख्य अतिथि उक्त समारोह में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद् (NAAC.EC) एवं राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो० अनिल सहस्त्रबुद्धे मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर अपने दीक्षान्त भाषण से स्नातकों को प्रोत्साहित करेंगे। संक्षिप्त परिचय- प्रो० अनिल सहस्त्रबुद्धे, एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने जीवन शिक्षा और सामाजिक सेवा के लिये समर्पित किया है। वर्तमान में वे राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (एनईटीएफ) के अध्यक्ष, ईसी राष्ट्रीय मूल्याकन और प्रत्यायन परिषद् (एनएएसी) और एनबीए के अध्यक्ष है।
शैक्षिक योग्यता प्रो० सहस्त्रबुद्धे ने अपनी शिक्षा भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और बीवीबी कालेज ऑफ इंजीनियरिंग, हुबली से प्राप्त की है, जहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई, स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे विभिन्न पेशेवर निकायों समाजों के सदस्य रहे है जिनमें एकॉस्टिकल सोसाइटी ऑफ इण्डिया, भारतीय तकनीकी शिक्षा सोसाइटी, इंस्टीयूशन ऑफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी और भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी शामिल है। पुरस्कार-आपने एम्स से रवि जे मथाई राष्ट्रीय फेलोशिप पुरस्कार प्राप्त हुआ है। जो उनकी शैक्षिक और सामाजिक सेवाओं की सराहना करता है। इसके साथ ही अनेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हो चुके है। भूमिकाएँ-प्रो० सहस्त्रबुद्धे ने विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं में कार्य किया है। जिनमें कालेज ऑफ इंजीनियरिंग, पूणे के निदेशक एआईसीटीई बोर्ड के सदस्य और उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, ईटानगर चैप्टर के अध्यक्ष भी रह चुके है।
प्रो० सहस्त्रबुद्धे एक प्रसिद्ध और सम्मानित व्यक्ति है जिन्होंने अपने जीवन को शिक्षा और सामाजिक सेवा के लिये समर्पित किया। उनकी उपलब्धियों और सदस्यता के साथ वे एक सच्चे शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता है। उक्त महोत्सव के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार के योगेन्द्र उपाध्याय तथा सारस्वत अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी जी होगी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० बिहारी लाल शर्मा जी स्नातकों को उपाधि-पत्र प्रदान करेंगे।