VaranasiNews: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में 17 से भागवत साधना करेंगे स्वामी हरिदास जी महाराज

VaranasiNews: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में 17 से भागवत साधना करेंगे स्वामी हरिदास जी महाराज
स्वनामधन्य गोलोकवासी श्रीश्रीश्री शुकदेवावतार रामचन्द्र डोंगरे जी महाराज की कथावाचन परम्परा व विरासत के महान आचार्य परम विरक्त ब्रह्मचारी सन्त स्वामी हरिदास जी महाराज अपनी अमृतमयी वाणी से श्रीमद्भागवत महापुराण के आध्यात्मिक एवं सांसारिक पक्ष को जन-जन के मानस पटल पर अंकित करने के उद्देश्य को लेकर विविध तीर्थों में भ्रमण करते हुए भागवत साथ कर रहे हैं।
इसी क्रम में कल १२ दिसम्बर को महान आचार्य परम विरक्त ब्रह्मचारी सन्त स्वामी हरिदास जी महाराज का प्राकट्य दिवस है, ऐसे में हरि आश्रम पलवल, वृन्दावन, हरिद्वार, हरि गौशाला विलियाला गुजरात, चम्बलाधीश मंदिर चम्बलघाटी उदी-इटावा में महोत्सव के रूप में हरिबोल परिवार द्वारा गुरुदेव का प्राकट्य दिवस मनाया जायेगा, पलबल आश्रम में गुरुदेव के सानिध्य में हरिबोल परिवार की साधना चल रही है। गुरुदेव के प्राकट्य दिवस पर कल चारों ओर उत्सव होगा, और भारी संख्या में हरिबोल परिवार के साधक गुरुदेव के चरणों साष्टांग प्रणाम करने पलबल आश्रम पहुंच रहे हैं।
"वाराणसीपुर पतिं भजविश्वनाथं" गुरुदेव ने इससे पहले पुण्य शूकर क्षेत्र, नैमिषारण्य एवं महाकाल की नगरी उज्जैन में श्रीमद्भागवत कथा साधना की। अब गुरुदेव स्वामी हरिदास जी महाराज आगामी १७ दिसम्बर से बाबा विश्वनाथ की नगरी बाराणसी में भागवत साधना करने जा रहे हैं। भोलेनाथ की तपस्थली, जहां शिव एवं शक्ति का एकात्म हुआ, अर्द्धनारीश्वर रूपधारी काशी विश्वनाथ के समक्ष भागवत कथा साधना- होना, वह भी कोपीनवन्त सन्त के मुखारविन्द से, अपने आप में महत्वपूर्ण है, उसका श्रवण भी अवमुक्ति धाम काशी में श्रद्धालु श्रोताओं के
जन्मजन्मान्तर के पुण्यों का प्रभाव ही है। भागवत मोक्ष का ग्रन्थ है और काशी अविमुक्त क्षेत्र। गुरुदेव कथावाचक नहीं, बल्कि अद्भुत साधक है, वे अन्तर्मुखी होकर नेत्रों का बन्द कर तन्मय होकर आत्मानुभूति में ही रम जाते और मानो उनकी वाणी से साक्षात् भगवती शारदा ही प्रकट हो जाती है। सत् चित् और आनन्द की अनुभूति ही गुरुदेव के वैशिष्ट्य की सिद्धावस्था ।