×

Ramnagar Ki Ramlila: विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला, रामनगर की रामलीला में विद्युत बल्बों का होता है प्रयोग

Ramnagar Ki Ramlila: रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला को लेकर यह सर्वविदित है कि यह केवल पंचलाइट की रोशनी में होती है और इसमे कोई बल्ब, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आधुनिक तकनीक का प्रयोग नहीं होता।

Ramnagar Ki Ramlila: रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला को लेकर यह सर्वविदित है कि यह केवल पंचलाइट की रोशनी में होती है और इसमे कोई बल्ब, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आधुनिक तकनीक का प्रयोग नहीं होता। वहीं रामलीला में केवल पुरुष पात्र ही होते हैं। जो इसकी विशेषता है। लेकिन, रामलीला की दो लीलाएं ऐसी हैं, जिसमें विद्युत बल्बों का प्रयोग किया जाता है।

वहीं रामलीला में एक महिला पात्र भी भूमिका निभाती हैं। यही नहीं कहा जाता है रामनगर के राजा सभी लीलाएं देखते हैं, बिना उनके आए रामलीला शुरू नहीं होती। लेकिन दो लीलाएं ऐसी हैं जिन्हें महाराज नहीं देखते। वहीं हमेशा हाथी पर सवार रहने वाले राजा एक लीला में पैदल भी चलकर लीला स्थल पर आते हैं।

रामनगर की 221 वर्ष पुरानी रामलीला अपनी प्राचीनता, परंपरा और सहजता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहां आज भी पंचलाइट की रोशनी में सभी लीलाएं होती हैं, वहीं कोई इलेक्ट्रानिक उपकरण, माइक आदि प्रयोग नहीं किए जाते। यूं तो किसी भी लीला में विद्युत उपकरण का प्रयोग नहीं होता है। लेकिन दो प्रसंग ऐसे हैं जहां विद्युत बल्बों का प्रयोग किया जाता है।

एक धनुष यज्ञ के दिन यज्ञशाला की अग्नि को दिखाने के लिए सौ वॉट का बल्ब लगाया जाता है। वहीं दूसरा जब राम चित्रकूट से पंचवटी की तरफ जाते हैं तो मार्ग में इंद्रपुरी से इंद्र द्वारा रथ भेजा जाता था। यह रथ तार के माध्यम से नीचे आता है और इसके कई विद्युत बल्ब लगे रहते हैं। इस वर्ष की लीला में इंद्र के रथ में तीन एलईडी लाइटें लगी थीं। ऐसा मजबूरी वश प्रकाश के लिए किया जाता है।

रामलीला की एकमात्र महिला पात्र हैं मुन्नी देवी

रामनगर की रामलीला में सभी कार्य पुरूष करते हैं, एकमात्र महिला पात्र मुन्नी देवी हैं। जो 25 वर्षों से नर्तकी की भूमिका निभाती हैं। रामनगर के सुल्तानपुर गांव की रहने वाली मुन्नी देवी को रामजन्मोत्सव और रामजी के विवाह पर नृत्य करने के लिए बुलाया जाता है। इनके पति विजय कुमार रामलीला में ढोलक बजाते हैं। मुन्नी देवी से पहले रामनगर के रामपुर की रहने वाली उर्मिलाबाई यह कार्य करती थीं।

कोपभवन और सीताहरण की लीला नहीं देखते महाराज


रामलीला में राजसी परंपराओं का पूरा ख्याल रखा जाता है। परंपरा के अनुसार काशिराज कैकेयी कोपभवन और सीताहरण की लीलाएं नहीं देखते। ऐसी मान्यता है कि एक राजा दूसरे राजा का दु:ख नहीं देख सकता। उसी तरह श्रीराम राज्याभिषेक के दिन काशिराज पैदल चलकर लीला स्थर पर पहुंचते हैं और श्रीराम को राजतिलक लगाते हैं। क्योकि कोई राजा ही किसी होने वालो राजा का राजतिलक कर सकता है।

disclamer 

लाइव भारत न्यूज़ एक वैबसाइट पोर्टल है। लाइव भारत न्यूज वैबसाइट पोर्टल लोकल खबरों के साथ-साथ राजनीति, अपराध, मनोरंजन, व्यापार और खेल के तमाम खबरों को दिखाता है। हम प्रत्येक खबरों को सच्चाई के साथ आपके सामने प्रस्तुत करते हैं। हमारा उद्देश्य यह है कि हम आपके क्षेत्र से जुड़े हर मुद्दों को अपने चैनल के माध्यम से दिखाएं और उसपर तत्परता से कार्यवाही करवाएं।

About website portal:

Live Bharat News is a Hindi news website porta. Live Bharat News website porta shows all the news of politics, crime, entertainment, business and sports along with local news. We present each and every news to you with the truth. Our aim is to show every issue related to your area through our website porta and get prompt action taken on it.


Our News Website - https://www.livebharatnews.in


Our Facebook Page - https://www.facebook.com/livebhartnews


Our Twitter Page - https://twitter.com/livebharatnews


Our Instagram Page - https://instagram.com/livebharatnews


Our Koo Page - https://www.kooapp.com/profile/livebharatnews


Our Pinterest Page - https://in.pinterest.com/livebharatnews/


Our LinkedIn Page - https://www.linkedin.com/company/livebharatnews/

Share this story