वाराणसी में सहस्रबाहु जन्मोत्सव शोभायात्रा 2024 को लेकर की गई प्रेसवार्ता
वाराणसी। हैहयवंशीय कल्चुरी कलाल जायसवाल समाज अपने कुल आराध्य राज राजेश्वर कात्यवीर सहस्रबाहू भगवान श्री अर्जुन की जयंती कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सहस्रबाहु जयंती के रूप में पूर्ण भव्यता के साथ मनाता है जिसका मुख्य उद्देश्य स्वधर्म की रक्षा एवं स्वजातीय सामाजिक पहचान और पौराणिक तथा ऐतिहासिक गौरव की पुनस्र्थापना है।
इसी क्रम में जायसवाल समाज के कुल आराध्य राज राजेश्वर कार्त्यवीर सहस्रबाहु भगवान श्री अर्जुन के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में 10 नवंबर 2024, दिवस रविवार, समयकाल दोपहर 12:00 जायसवाल क्लब के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल के नेतृत्व में वाराणसी महानगर के ऐतिहासिक भरत मिलाप स्थल, नाटी इमली वाराणसी से आरंभ होकर एक भव्य शोभायात्रा राणी सती मंदिर, जगतगंज, लहुराबीर, चेतगंज, नई सड़क, गिरिजाघर, गोदौलिया, चौक, मैदागिन, लोहटिया, कबीरचौरा, पिपलानी कटरा होते हुए कसेरा भवन, चिंतामणि बाग, रामकटोरा में समाप्त होगी। 7 किमी लंबी यात्रा के समापन स्थल पर कसेरा समाज द्वारा शोभायात्रा का स्वागत, देश में हैहयवंशीय कल्चुरी समाज के सदस्यों की कुल अनुमानित जनसंख्या 18 करोड़ है। इनमें वाराणसी नगर में ही स्वजातीय जायसवाल समाज की संख्या 200,000 से ऊपर है।
पौराणिक ग्रंथों में राजा राजेश्वर कार्तवीर्य सहस्रबाहु भगवान अर्जुन को हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजय, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्वविपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम से संबोधित किए जाने का वर्णन मिलता है। अभिनन्दन। और जलपान का कार्यक्रम है तत्पश्चात मुख्य अतिथि एवं जायसवाल क्लब के मुख्य संरक्षक म राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जयसवाल के अगुवाई में कुल आराध्य सहस्रबाहु भगवान की पूजा अर्चना और भव्य आरती के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।
इस शोभायात्रा की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें वाराणसी के अतिरिक्त आसपास के 50 से ज्यादा नगरों से स्वजातीय समाज के लोग अपनी सहभागिता दर्ज करवा रहे है साथ ही प्रदेश स्तर से, अन्य राज्यों विशेषकर तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल जैसे सुदूर दक्षिण राज्य से भी विशिष्ट स्वजातीय अतिथि उपस्थित रहेंगे। अधिसंख्य उपस्थिति स्वजातीय महिलाओं की होगी जो पारंपरिक परिवेश में मस्तक पर पवित्र घट धारण कर यात्रा में शामिल होती है। 21 से ज्यादा हरित ऊर्जा चलित वाहनों पर सहस्रबाहु सहित स्वजातीय समाज की अतिविशिष्ट स्वनामधन्य विश्वप्रख्यात विभूतियों के आदमकद तैलीय चित्र प्रदर्शित होंगे, अश्वचलित पारंपरिक सजावट के साथ तांगे के शामिल रहेंगे, पारंपारिक नृत्य का प्रदर्शन करती कन्याओं का दल होगा, डमरू वादक दल अपनी ऊर्जावान कला का प्रदर्शन करेगा और वाराणसी नगर में 7 किमी लंबे आंतरिक मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक महत्व के सभी स्थलों पर यात्रा में शामिल बंधुओं का फूल मालाओं, वंदन अभिनन्दन और जलपान के साथ स्थानीय स्वाजातीय व्यवसाई बंधु स्वागत करेंगे। पूरा मार्ग स्वजातीय समाज द्वारा तैयार किए गए पोस्टर और बैनरों से आच्छादित रहेगा।
देश में हैहयवंशीय कल्चुरी समाज के सदस्यों की कुल अनुमानित जनसंख्या 18 करोड़ है। इनमें वाराणसी नगर में ही स्वजातीय जायसवाल समाज की संख्या 200,000 से ऊपर है। पौराणिक ग्रंथों में राज राजेश्वर कार्तवीर्य सहस्रबाहु भगवान श्री अर्जुन को हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजयी, सुदर्शन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम से संबोधित किये जाने का वर्णन मिलता है।