विश्व कल्याण एवं देववाणी संस्कृत के अभ्युदय के लिये नवरात्रि पूजन

वाराणसी। नवदुर्गा पूजन एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 09 दिनों तक चलता है। यह पर्व संवत् 2081 में भी विश्वविद्यालय में संस्कृत समाज और विश्व कल्याण हेतु आयोजित किया जा रहा है। उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा जी ने आज विश्व कल्याण एवं देववाणी संस्कृत के अभ्युदय के संकल्प के साथ पूजन के दौरान व्यक्त किया।
भारतीय संस्कृति के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है
कुलपति प्रो शर्मा ने इस पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "नवदुर्गा पूजन हमारी सांस्कृतिक परंपराओं और भारतीय संस्कृति के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व शक्ति के रूप में देवी की आराधना का अवसर प्रदान करता है, जो हमें साहस, शक्ति, और ज्ञान की प्रेरणा देती है।"
यह पर्व हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करता है
उन्होंने आगे कहा "इन 09 दिनों में, हम माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों का पूजन करेंगे, जो हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में शक्ति और साहस प्रदान करते हैं। यह पर्व हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करता है और हमें उनका सम्मान करने की प्रेरणा देता है।"
यह पर्व हमें सामाजिक एकता, समर्थन, और सांस्कृतिक संरक्षण की महत्ता को समझने का अवसर
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने नवदुर्गा पूजन के महत्व पर जोर देते हुए कहा "यह पर्व हमें सामाजिक एकता, समर्थन, और सांस्कृतिक संरक्षण की महत्ता को समझने का अवसर देता है। हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए एकजुट होना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।"
12 मार्च से विश्व कल्याण हेतु संवत्सर व्यापी महायज्ञ--
कुलपति प्रो शर्मा ने बताया कि वेद विभाग के यज्ञशाला में अग्निहोत्र के द्वारा विश्व कल्याण एवं संस्कृत उत्थान के लिये संकल्पित भाव से 12 मार्च से संवत्सर व्यापी महायज्ञ अनवरत प्रारम्भ है जो कि एक वर्ष तक चलता रहेगा।इससे शुद्ध वातावरण का निर्माण एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का पोषण भी हो रहा है।
नवदुर्गा पूजन के दौरान, विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं--
- - माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों का पूजन
- - हवन और यज्ञ
- - सांस्कृतिक कार्यक्रम
- - विशेष भाषण और व्याख्यान
यह पर्व हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करता है और हमें उनका सम्मान करने की प्रेरणा देता है।