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Navratri 2023: दुर्गा पूजा पंडाल, वाराणसी में आज से बढ़ेगी नवरात्र की रौनक

Navratri 2023: दुर्गा पूजा पंडाल, वाराणसी में आज से बढ़ेगी नवरात्र की रौनक

 Navratri 2023: दुर्गा पूजा की परंपरा तो अनवरत चली आ रही है लेकिन आयोजनों के स्वरूप में समय के साथ बदलाव नजर आ रहा है। डिजिटल इंडिया के दौर में दुर्गा पूजा के पंडाल भी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। वाराणसी शहर के पंडालों ने चंदा और दान के लिए डिजिटल पेमेंट पर जोर दिया है। क्यूआर कोड, यूपीआई के साथ ही ऑनलाइन खाते में चंदे की राशि ली जा रही है।

मिनी बंगाल के रूप में मशहूर बनारस में दुर्गा पूजा के उत्सव का रंग अब धीरे-धीरे चटख होने लगा है। षष्ठी तिथि पर मूर्तियों की स्थापना के साथ ही तीन दिवसीय नवरात्र उत्सव की शुरुआत पंडालों में हो जाएगी। दुर्गा पूजा के आयोजन में डिजिटल इंडिया का असर साफ नजर आ रहा है। पूजा कमेटियां चंदा इकट्ठा करने के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर रही हैं।


कई कमेटियों ने चंदे की रसीद बुक पर अपनी कमेटी का क्यूआर कोड लगा दिया है। तो कई ने पूजा पंडाल के पास बैनर बनाकर क्यूआर कोड लगा दिया है, ताकि लोग आसानी से चंदा ऑनलाइन दे सकें। पूजा कमेटियों का मानना है कि इस सुविधा का इस्तेमाल होने से कई ऐसे श्रद्धालु हैं, जिनके पास जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। उनके व्हाट्सएप पर रसीद का फोटो, क्यूआर कोड भेजने पर वह सहयोग राशि ऑनलाइन भेज दे रहे हैं।

वरुणा पार पूजा कमेटी के अरविंद ने बताया कि कई बार चंदे की रसीद देने के बाद घरवाले खुदरा नहीं होने या रुपये नहीं होने के कारण बाद में आने को कहते हैं। लेकिन, यूपीआई और ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा होने के कारण लोगों की आधी परेशानी समाप्त हो गई है। इसे अलावा चंदा देने वाले का डिजिटल डाटा भी तैयार हो जाता है। जिसे मिलान करने में काफी सहूलियत होती है।


डिजिटल लेनदेन के लिए मोबाइल यूपीआई और क्यूआर कोड पूजा पंडाल में लगाया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो गई। नवरात्र की षष्ठी पर माता के विराजमान होने के साथ ही क्यूआर कोड भी लग जाएगा। - संजय श्रीवास्तव, संरक्षक, न्यू लाइट क्लब अर्दली बाजार


इस बार चंदा व रसीद के लिए 90 फीसदी से अधिक डिजिटल लेनदेन किया जा रहा है। इससे सहूलियत होने के साथ ही समय की भी बचत हो रही है। श्रद्धालुओं को भी दान करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। - नीलाद्री भट्टाचार्य, संयुक्त सचिव, ईगल क्लब

दुर्गा पूजा के चंदे का डिजिटल और खाते में लेनदेन किया जा रहा है। डिजिटल होने से चंदा लेने में आसानी हो रही है और देने वालों को भी काफी सहूलियत हो गई है। - सूरज जायसवाल, कार्यवाहक अध्यक्ष, सनातन धर्म दुर्गोत्सव समिति

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