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नमामि गंगे ने गंगा तट पर बटुकों के साथ साधा योग, दिया संदेश - रोगों के लिए संजीवनी है योग

नमामि गंगे ने गंगा तट पर बटुकों के साथ साधा योग, दिया संदेश - रोगों के लिए संजीवनी है योग

वाराणसी। विश्व मानवता को भारत द्वारा दिए गए श्रेष्ठतम उपहार योग को गंगा तट पर बटुकों के साथ साध कर नमामि गंगे ने रोगों संग जंग का संदेश दिया। बुधवार को सिंधिया घाट स्थित महर्षि योगी विद्याश्रम में ॐ का उच्चारण, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, वृक्षासन और शंख बजाकर स्वस्थ मन, स्वस्थ शरीर, आनंदपूर्ण जीवन के लिए योग को आधार बनाने की अपील की गई। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे योग सप्ताह के तहत सर्वप्रथम मां गंगा के तट की साफ-सफाई के पश्चात सदस्यों ने गंगा किनारे योग साधना की।

नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि योग संपूर्ण स्वास्थ्य का विज्ञान है। यह हिंदू जीवन दृष्टि का शोध और बोध है। काशी ने पूरे विश्व को योग का अमृत प्रदान किया है। योग का आविर्भाव भी गंगा तट पर ही हुआ है। योग हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाता है। कई असाध्य रोग को साधने की क्षमता योग में है। योग, भारतीय संस्कृति और दर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। योग साधना में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, पूजा मौर्या, महर्षि योगी विद्याश्रम के प्रभारी सीमंत केसरी स्वाइं, सुनील श्रीवास्तव, उत्कर्ष त्रिपाठी, दुर्गेश मिश्रा, शिवम पाठक सहित सैकड़ो की संख्या में वेदपाठी बटुक शामिल रहे।

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