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सम्पूर्ण विश्व के राष्ट्रवादियों के महानायक और प्रेरणास्त्रोत हैं महाराणा प्रताप

सम्पूर्ण विश्व के राष्ट्रवादियों के महानायक और प्रेरणास्त्रोत हैं महाराणा प्रताप

वाराणसी। महाराणा प्रताप की 485 वीं जयंती के उपलक्ष में राष्ट्रीय स्वावलंबन एवं स्वाभिमान में नागरिकों की भूमिका पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन प्रताप पैलेस में किया गया। इस अवसर पर संगोष्ठी का शुभारंभ हल्दीघाटी की मिट्टी के पूजन एवं महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया । संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि डॉ. नागेंद्र सिंह, निदेशक महामना पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ  ने कहा की आज के परिदृश्य में महाराणा प्रताप की प्रासंगिकता कहीं अधिक है ; महाराणा प्रताप शौर्य के ही नहीं सामाजिक समरसता के भी महानायक हैं। जितना इतिहासकारों ने नहीं संजोया उससे अधिक बंजारों ने अपने गीतों में महाराणा के शौर्य समर्पण और त्याग को संजोया है। बंजारों के इन गीतों और जनश्रुतियों पर शोध होने से महाराणा प्रताप के कई महत्वपूर्ण आयाम भी समाज के सामने आयेंगे।

वाराणसी।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के काय चिकित्सा आयुर्वेद विभाग के प्रोफेसर ओ. पी. सिंह ने कहा कि जिस प्रकार महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु  भील, वणिक, किसान सभी को मुख्य धारा में सम्मिलित किया उसी प्रकार से हम सबको एकजुट रहते हुए देश की सुरक्षा करनी है। मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर गुरु प्रसाद सिंह , राष्ट्रीय सलाहकार भारतीय सहकारी समिति एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष गौ सेवा प्रकोष्ठ विश्व हिंदू परिषद , ने कहा महाराणा प्रताप केवल क्षत्रियों के, केवल राजस्थान के या केवल भारत के ही महानायक नहीं है बल्कि वह पूरे विश्व के उन सभी राष्ट्रवादीयों के महानायक हैं जो अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं स्वावलंबन के लिए संघर्षशील हैं। प्रोफेसर गुरु प्रसाद ने वियतनाम का उद्धरण देते हुए कहा वियतनाम लगातार 30 वर्षों तक शक्तिशाली अमेरिका के साथ युद्धरत रहा और अमेरिका को वियतनाम छोड़कर जाना पड़ा।  वियतनाम के संघर्षों के प्रेरणा स्रोत महाराणा प्रताप रहे जिनकी प्रतिमा आज भी वियतनाम में स्थापित है।

प्रोफेसर गुरु प्रसाद सिंह ने कहा कि हमें अधूरा इतिहास पढ़ाया जाता है , यहां तक कि कई बार हमें गलत इतिहास भी पढ़ाया जाता है, और महाराणा प्रताप के संदर्भ में भी गलत तथ्यों के साथ इतिहास को रखा गया। उन्होंने कहा की भारतीय शौर्य के इतिहास को या तो पूरी तरह से छुपा दिया गया या उसे इतना संक्षिप्त रखा गया जिसकी जानकारी समाज को नही हो सके। आज के परिदृश्य में प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने स्वावलंबी व स्वाभिमानी इतिहास से परिचित होना अत्यंत आवश्यक है जिससे कि वह समझ सके कि भारत को जिस तथाकथित गुलामी में इतिहासकार बताते रहे वह कभी भी पूर्ण सत्य नहीं रहा और पूरा भारत वर्ष कभी भी एक साथ गुलाम रहा ही नहीं।

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 सामाजिक कार्यकर्ता एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर दृगविन्दु मणि सिंह ने कहा के महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के वह गौरव है जिन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर भारतवर्ष की अखंडता अक्षुण्ण रखने के लिए लगातार संघर्ष किया और विदेशी आक्रांताओं को कभी भी स्वच्छंद होकर शासन नहीं करने दिया। प्रत्येक भारतीय को हल्दी घाटी अवश्य देखना चाहिए जिससे कि स्वयं अंदाजा लगा सकें कि एक संकरे दर्रे में अगर आमने सामने की लड़ाई की जगह छापामार युद्ध महाराणा ने किया होता तो पूरी मुगल सेना गाजर मूली की भांति कट जाती परन्तु महाराणा ने अपने से पांचगुणी से अधिक सेना का मुकाबला आमने सामने के युद्ध में किया , मुगल सेना को भारी क्षति पहुंचाई और संपूर्ण नैतिकता का परिचय देते हुए प्राचीन राजपूत शैली में युद्ध किया। सनातन वैदिक संस्था के अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप के सपनों का भारत बनाने के लिए समस्त सनातनियों और राष्ट्रवादियों को एक होना होगा और अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार रहना होगा।


आयोजक प्रताप पैलेस एवं वरिष्ठ समाजसेवी अजय सिंह बॉबी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया और संचालन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, चंद्रशेखर फाउंडेशन के  अध्यक्ष हिमांशु सिंह ने किया। इस अवसर पर महेंद्र सिंह गौतम , पूर्व पार्षद कुँवरकान्त सिंह, ठाकुर कुश प्रताप सिंह, इंद्रजीत सिंह,  विनय सिंह हिटलर , अखिलेश सिंह, शुभम सिंह, पवन सिंह, अमितेश सिंह बाबू इत्यादि उपस्थित रहे।

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