कबीरचौरा मठ: भक्ति और समाज सुधार की धरोहर, वर्तमान चुनौतियों पर महंत का वक्तव्य

वाराणसी स्थित कबीरमठ मूलगादी, कबीरचौरा, कबीर साहब की साधनास्थली और कर्मभूमि के रूप में जानी जाती है। यह स्थान भारतीय भक्ति आंदोलन का केंद्र रहा है, जहाँ से संत कबीर ने समाज सुधार और भक्ति की अलख जगाई थी। लगभग 600 साल पहले कबीर साहब ने यहां से समाज के दबे-कुचले और उपेक्षित वर्ग के लोगों को एक नई दिशा दी, जो आज भी कबीरपंथ की परंपरा के रूप में देश और विदेश में प्रचलित है।
कबीरमठ की संपत्ति और संरक्षण की जिम्मेदारी
कबीरचौरा मठ के पास अकूत भू-संपदा है, जिसमें वाराणसी के शिवपुर और सारनाथ क्षेत्रों में व्यापक भूमि शामिल है। कबीर मठ की परंपरा और भू-संपदा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वर्तमान महंत को 1999 में सौंपी गई थी। महंत ने कबीरपंथ की विचारधारा को आगे बढ़ाने के साथ-साथ मठ की संपत्तियों को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया। महंत ने बताया कि शिवपुर में आठ एकड़ भूमि पर एक सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल का निर्माण प्रस्तावित था, जबकि सारनाथ में 12 एकड़ भूमि पर कबीर संत विद्यापीठ परियोजना भी शुरू की गई थी।
परियोजनाओं पर संकट और जेल जाने की घटना
महंत ने बताया कि साजिश के तहत उन्हें जेल भेजा गया, जिसके कारण ये दोनों परियोजनाएँ अधूरी रह गईं। चार महीनों तक जेल में रहने के बाद जब वे बाहर आए, तो इन योजनाओं को फिर से शुरू करने की कोशिश की। हालांकि, उनकी तबीयत खराब हो जाने के कारण अभी काम रुका हुआ है।
महंत ने चिंता जताई कि उनके न रहने के बाद इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने का कोई आश्वासन नहीं है। उनका मानना है कि कबीर साहब की कृपा से वे इन दोनों परियोजनाओं को पूर्ण करने में सफल होंगे।
मठ की संपत्ति को लेकर विरोधियों की साजिश
महंत ने जोर देकर कहा कि उन्होंने मठ की संपत्ति का कोई दुरुपयोग नहीं किया। मठ की संपत्ति से जुड़े कुछ पुराने मकानों को बेचा गया, जिन पर किराएदारों का कब्जा था, और यह बिक्री मठ के विकास कार्यों के लिए की गई थी। विरोधियों द्वारा मठ की जमीन बेचने की अफवाहें बेबुनियाद और गलत हैं। महंत ने बताया कि उनके विरोधी, जो पहले मठ के साथ मिलकर काम करते थे, अब भू-माफियाओं के साथ मिलकर मठ की संपत्ति हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कबीरपंथ की पहचान
महंत ने बताया कि उनके नेतृत्व में कबीर मठ मूलगादी को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली है। उन्होंने दिल्ली में कबीर भवन का निर्माण करवाया, जो मठ के लिए एक अनमोल संपत्ति है। इसके अलावा, विदेश यात्राओं के दौरान वेस्टइंडीज और अन्य देशों में कबीर मठ की शाखाएँ स्थापित की गईं।
भविष्य की योजनाएँ और चुनौती
महंत ने स्वीकार किया कि कोरोना महामारी और जेल जाने के कारण कई योजनाओं पर असर पड़ा। उन्होंने कबीर मठ के प्रबंधन के लिए एक युवा साधु को प्रशिक्षित किया है, लेकिन उनके उत्तराधिकारी के चयन में कुछ गलतियाँ हो गईं, जिन्हें जल्द ही सुधारा जाएगा। महंत ने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया में उनके खिलाफ चल रही गलत जानकारियाँ एकतरफा हैं, और सच्चाई को सामने लाने के लिए उन्होंने पत्रकारों को आमंत्रित किया है।
सांसदों और राजनीतिक षड्यंत्रों पर बयान
महंत ने बताया कि शिवपुर की जमीन को लेकर चंदौली के सांसद वीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें मठ की जमीन बेचने के आरोप लगाए गए थे। महंत ने इस आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान शिवपुर की जमीन पर कब्जे की कोशिश की गई थी, लेकिन मीडिया और कानून की मदद से उन्होंने इस जमीन को मठ के कब्जे में बरकरार रखा।
महंत ने कहा कि उन्होंने हमेशा कबीरपंथ और मठ की सेवा को प्राथमिकता दी है, और भविष्य में भी मठ की संपत्ति और परंपरा की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे सच्चाई को सामने लाने में उनकी मदद करें और बिना तथ्यों के अफवाहों पर विश्वास न करें।