धार्मिक भावनाओं के आहत होने पर इस्लामी धर्मगुरुओं की प्रतिक्रिया: यति नरसिम्हानंद के बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग

वाराणसी। यति नरसिम्हानंद सरस्वती द्वारा पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ दिए गए अभद्र बयान से उत्पन्न अशांति के संदर्भ में बनारस के प्रमुख इस्लामी धर्मगुरुओं की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता सदर काजी-ए-शहर मौलाना हसीन अहमद हबीबी ने की, जिसमें शहर के तमाम उलमा और प्रमुख वकीलों ने भाग लिया।
बैठक में उपस्थित मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना मोईनुद्दीन अहमद फारुकी (प्यारे मियां), मौलाना अब्दुल मोबीन नोमानी, मुफ्ती गुलाम अहमद अनवर, काजी फजले अहमद और अन्य प्रमुख धर्मगुरुओं ने यति नरसिम्हानंद के बयान की कड़ी निंदा की। उनके अनुसार, इस प्रकार के बयान देश की धर्मनिरपेक्षता और शांति व्यवस्था को भंग करने का प्रयास हैं।
धर्मगुरुओं ने साफ शब्दों में कहा कि अगर समय रहते इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे कानून के दायरे में रहकर हर संभव विरोध के लिए तैयार हैं।
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि एक प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, पुलिस महानिदेशक और अन्य उच्चाधिकारियों से मिलकर अपनी आहत भावनाओं और इस घटना के प्रति विरोध दर्ज करेगा। इसके साथ ही, यति नरसिम्हानंद के खिलाफ भारतीय कानून की विभिन्न धाराओं के तहत त्वरित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई।
धर्मगुरुओं का कहना है कि यह बयान कानूनी रूप से दंडनीय है और धार्मिक उन्माद फैलाने का घिनौना प्रयास है, जिसे नियंत्रित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।