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वाराणसी के कक्षा 8 के छात्रों ने बनाया सेना के लिए वाकीटॉकी हेलमेट...हेलमेट से ही चार्ज कर सकेंगे फोन

वाराणसी के कक्षा 8 के छात्रों ने बनाया सेना के लिए वाकीटॉकी हेलमेट...हेलमेट से ही चार्ज कर सकेंगे फोन

Helmet will work like walkie talkie: इस वाकीटॉकी हेलमेट को वाराणसी सुसुवाही के आयुष यादव और प्रगन्य सिंह ने बनाया है। दोनों बच्चे वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करते हैं। इन्होंने कहा, ''ये हेलमेट 12 वोल्ट से 220 वोल्ट तक का करेंट जरनेट कर सकता है l इसमें आप अपने मोबाइल फोन और वाकीटॉकी को चार्ज कर सकेंगे।

 

Helmet will work like walkie talkie: वाराणसी के 8वीं कक्षा के दो छात्रों ने सेना के जवानों और NDRF टीम के लिए वाकीटॉकी हेलमेट तैयार किया है। 50 मीटर की दूरी पर खड़े दो जवान आपस में बात कर सकेंगे। दावा है कि इसका नेटवर्क सिस्टम 5G की तरह मजबूत है।

 

 

किसी भी सूरत में नेटवर्क सिग्नल वीक नहीं होगा। वहीं, यह हेलमेट आपके लिए चार्जिंग स्टेशन की तरह से काम करेगा।

 

 

इस वाकीटॉकी हेलमेट को वाराणसी सुसुवाही के आयुष यादव और प्रगन्य सिंह ने बनाया है। दोनों बच्चे वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करते हैं।

 

 

 

इन्होंने कहा, ''ये हेलमेट 12 वोल्ट से 220 वोल्ट तक का करेंट जरनेट कर सकता है l इसमें आप अपने मोबाइल फोन और वाकीटॉकी को चार्ज कर सकेंगे।

 

 

क्योंकि कई बार युद्ध क्षेत्र में धूप नहीं होती और न ही इलेक्ट्रिसिटी। इसमें डायनमो और एक इंडिकेटर लगाया है। यह कई साल तक बिना बैटरी के ही 6 से 12 वोल्ट तक के छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज कर सकता हैl''

आयुष ने बताया कि यह हेलमेट बॉर्डर एरिया में तैनात जवानों या फिर आपदा ग्रस्त इलाकों में NDRF की टीम को एक कम्युनिकेशन सिस्टम में बांध सकेगी। साथ ही, इमरजेंसी चार्जिंग की भी सुविधा देगी।

इस हेलमेट में लगे रेडियो की मदद से कम्युनिकेशन किया जाता है। इस हेलमेट को तैयार करने में एक हाफ हेलमेट, रेड इंडीकेटर, 12 वोल्ट डायनेमो, रेड़ियों वॉकी, टॉकी सर्किट, 9 वोल्ट की बैटरी की जरूरत पड़ी थी।

दूसरे छात्र प्रगन्य सिंह ने कहा कि उन लोगों ने हेलमेट का एक प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया है। इसलिए, खर्च थोड़ा ज्यादा 2 हजार रुपए आए हैं। इसे हमने 7 दिन में तैयार किया है। यदि, यह हेलमेट बल्क में बनाया जाए तो रेट हजार रुपए तक भी आ सकता है।

स्कूल की डायरेक्टर सुबीना चोपड़ा ने कहा कि यह प्रोटोटाइप स्कूल के जूनियर कलाम इन्नोवेशन लैब में तैयार हुआ है। छोटे -छोटे आविष्कार की प्रेरणा से बच्चे एक दिन देश के लिये कुछ बड़ा कर सकेंगे।

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