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Happy Birthday Varanasi: वरुणा और असी के बीच बसी वाराणसी आज 67 साल की हुई

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वाराणसी गजेटियर, जो कि 1965 में प्रकाशित किया गया था, उसके दसवें पृष्ठ पर जिले का प्रशासनिक नाम वाराणसी किए जाने की तिथि अंकित है। इसके साथ ही गजेटियर में इसके वैभव संग विविध गतिविधियां भी इसका हिस्सा हैं। गजेटियर में इसके काशी, बनारस और बेनारस आदि नामों के भी प्राचीनकाल से प्रचलन के तथ्य व प्रमाण हैं मगर आजादी के बाद प्रशासनिक तौर पर 'वाराणसी' नाम की स्वीकार्यता राज्य सरकार की संस्तुति से इसी दिन की गई थी।

 

वाराणसी (जिसे बनारस या काशी भी कहा जाता है) एक प्राचीन शहर है जो भारत में स्थित है। यह शहर हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है और यह भारतीय धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र है। वाराणसी को कई नामों से जाना जाता है, जैसे काशी, बनारस, अविमुक्त, आनंदवन, रुद्रवास आदि। इसका प्रशासनिक नाम वाराणसी के रूप में 24 मई 1956 को स्वीकृत किया गया था।

 

वाराणसी का इतिहास बहुत प्राचीन है और पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसकी स्थापना हिंदू भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। इसलिए यह शहर हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां कई प्रमुख मंदिर स्थित हैं। यहां के मंदिरों में काशी विश्वनाथ मंदिर, भगवान विश्वेश्वर मंदिर, आनंदमयी माता मंदिर, संत रामानंद समाधि स्थल, संत रविदास गुरुद्वारा, काल भैरव मंदिर आदि शामिल हैं।

 

वाराणसी का जन्मदिन और महत्वपूर्ण वार्षिकोत्सव में धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव काशी के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण हिस्सा है और विदेशी पर्यटकों को अपनी संस्कृति, धर्म और शिल्प के माध्यम से वाराणसी के प्रकाश में लाने का एक अवसर प्रदान करता है।वाराणसी का दृश्य भी अत्यंत प्रभावशाली है। गंगा घाटों पर आरती का दृश्य, प्रदूषण मुक्त जल में स्नान करने वाले श्रद्धालु, पुराने हवेलियों और लहरों के बीच बसे घाट और उन्हें चारों ओर से घेरे हुए प्राचीन मंदिर, सभ्यता और अर्थव्यवस्था का गहरा संबंध दिखाते हैं।

 

वाराणसी का खाना-पीना भी विख्यात है। यहां परंपरागत भोजन के साथ-साथ विभिन्न विधानों के स्वादिष्ट व्यंजन भी उपलब्ध हैं। मलाई का दूध, बेनारसी पान, थंडई, चाट, कचौरी, लस्सी आदि वाराणसी की स्थानीय खाद्य पदार्थ हैं जो आपकी जीभ को संतुष्टि प्रदान करेंगे। वाराणसी अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्वता के लिए भी प्रसिद्ध है। यह एक पवित्र स्थान है जहां हिन्दू धर्म के लिए महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन हनुमान मंदिर, तुलसी मनस मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, काल भैरव मंदिर आदि प्रमुख मंदिर हैं जिन्हें श्रद्धालु दौरे पर जाते हैं।

इस वार्षिकोत्सव के दौरान वाराणसी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में भी रंगबिरंगी रंगों की धूम मचती है। शहर के प्रमुख मंदिरों और घाटों को पूरी तरह सजाया जाता है और उन्हें दीपों की रौशनी से भर दिया जाता है। साथ ही, नाच-गान, कवि सम्मेलन, कविता वाचन और संगीत आदि कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जिनमें स्थानीय कलाकारों और कला संस्थाओं की प्रदर्शनी भी होती है।

यदि आपने अभी तक वाराणसी का वार्षिकोत्सव नहीं देखा है, तो यह एक अद्वितीय और प्रशंसनीय अनुभव हो सकता है। इस उत्सव में शामिल होकर आप वाराणसी की रिच धरोहर, धार्मिकता, संस्कृति और विविधता का आनंद ले सकते हैं। तो, इस वर्ष वाराणसी के र्ण वार्षिकोत्सव का आनंद लें और इस अद्वितीय उत्सव के अनुभव को जीवन भर के लिए संग्रहीत करें।

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आत्मीयता की खोज: जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति की प्राप्ति

ब्रह्मा, विष्णु और महेश - ये देवाधिदेव भगवान महादेव और पार्वती के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध हैं। भारतीय मान्यताओं के अनुसार, वाराणसी नगरी में इन महादेवी-देवताओं का निवास है और यहां के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। यह नगरी, संसार के सभी तत्त्वों के विलय स्थल के रूप में भी जानी जाती है।

वाराणसी अपने 3000 से अधिक वर्षों से चर्चा में है, और विविधताओं और अनुभवों का आदान-प्रदान करने वाली नगरी के रूप में मशहूर है। यहां प्रतिदिन कई लाख प्रवासी यात्री आते हैं ताकि वे अपने आत्मा को शुद्ध कर सकें और उच्चतम पूज्य उस परम सत्य को प्राप्त कर सकें।


वाराणसी में एक अद्भुत विश्वास है कि जो भी यहां मरते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां के घाटों पर जन्म और मृत्यु का चक्र निरंतर चलता रहता है। शायद ही कोई और स्थान हो जहां मरने और जन्म लेने की इतनी गहराई और पवित्रता की चर्चा हो। यहां के धार्मिक स्थलों पर प्रवासी यात्री आत्मा को शुद्ध करने के लिए स्नान करते हैं और पिंड दान करते हैं, जिससे वे अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति दे सकें। जीवन के चक्र के अंत में, इस पवित्र नगरी में मरने वाले व्यक्ति को मुक्ति मिलती है और उनकी आत्मा शाश्वत सत्य के साथ विलीन हो जाती है।

अनंत विश्राम स्थल:


वाराणसी में अनंत विश्राम स्थल हैं, जहां यात्री ध्यान और ध्येय के आदान-प्रदान के माध्यम से अपनी आत्मा को अंतिम आवास स्थल तक ले जाते हैं। यहां अनेक आश्रम और मंदिर स्थित हैं, जहां योग और ध्यान के माध्यम से अपनी आत्मा को पवित्रता की ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास किया जाता है। वाराणसी में पुनर्जन्म के चक्र में मुक्ति के लिए आदर्श स्थल है और यहां पर्यटकों को आत्मानुभव और मनोयोग का एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है। वाराणसी नगरी में यात्रा करने से मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन का एक अद्वितीय अनुभव मिलता है, जो एक पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति और आत्म-उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

वाराणसी: एक आत्मीय पथ परिप्रेक्ष्या


वाराणसी, या काशी, एक अद्वितीय और पवित्र स्थान है जहां जीवन और मृत्यु के चक्र की आधारभूत सत्यता आवश्यक है। इस प्राकृतिक और धार्मिक संसार में, वाराणसी आत्मा के उच्चतम सत्य की खोज करने के लिए एक अद्वितीय पथ परिप्रेक्ष्या प्रदान करती है। यहां आने वाले प्रत्येक यात्री के लिए एक अनुभव है, जो उन्हें आत्म-समझ, पवित्रता और मुक्ति की ओर आगे बढ़ाने का प्रेरणा देता है।

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