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पूर्वाञ्चल में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, अफसरों की आईडी हैक कर करते थे किसानों का फर्जी सत्यापन

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भदोही। अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर और पासवर्ड बदलकर किसानों का फर्जी तरीके से पंजीकरण और सत्यापन करने वाले गिरोह का शनिवार को पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया। साइबर सेल, औराई और ज्ञानपुर कोतवाली पुलिस ने गिरोह के सरगना सहित चार को गिरफ्तार कर कंप्यूटर सेट, इंटरनेट राउटर, पांच मोबाइल फोन और 5100 रुपये बरामद किए।

पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने रविवार को सरपतहां स्थित पुलिस कार्यालय पर बताया कि जिला खाद्य विपणन अधिकारी ने अपने कार्यालय, एडीएम, एसडीम ज्ञानपुर, भदोही, औराई का यूजर आईडी पासवर्ड अनाधिकृत रूप से परिवर्तित कर 1106 किसानों के फर्जी तरीके से सत्यापन किए जाने का मुकदमा नौ दिसंबर को ज्ञानपुर कोतवाली में दर्ज कराया था।

धान खरीद में किया फर्जीवाड़ा

मामले के पर्दाफाश के लिए साइबर सेल, औराई और ज्ञानपुर कोतवाली पुलिस की टीम लगाई गई थी। सूचना पर पुलिस टीम ने शनिवार को गिरोह के सरगना मिश्रा राइस मिल के मालिक अनिल मिश्र, बेटे और भतीजे शिवम मिश्र, गोविंद मिश्र को महाराजगंज, जबकि संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर शुभम पांडेय को भिदिउरा से गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों ने बताया कि धान खरीद का लक्ष्य मिलने के बाद परिचित व्यक्तियों का आधार लगाकर फर्जी तरीके से किसान बनाकर रजिस्ट्रेशन कर सत्यापन कर दिया। बताया कि विपणन कार्यालय के कंप्यूटर आपरेटर से पासवर्ड से लेकर एडीएम, एसडीएम ज्ञानपुर, भदोही, औराई का पासवर्ड रिसेट कर सत्यापन कर दिया। इस काम में कई अन्य लोग भी सहयोग करते थे। लेकिन नवंबर में जांच शुरू होने पर सत्यापन बंद कर दिया गया।

एक बार फिर सवालों में घिरा विपणन विभाग

आईडी हैक करने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने पर विपणन विभाग एक बार फिर सवालों में घिर गया है। लक्ष्य के मुकाबले खरीद न होने के पीछे यह भी कारण सामने आ रहा है। राइस मिलरों से तालमेल बिठाकर सरकारी एजेंसियों का बंटाधार कर दिया जाता है। कंप्यूटर आपरेटर की संलिप्तता ने मामले को और भी बल दे दिया । करीब दो साल पूर्व मिर्जापुर में एक व्यापारी की हत्या के बाद भी कार्यालय की धुकधुकी बढ़ गई थी, हालांकि बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। साइबर सेल और पुलिस मामले की तह तक पहुंचे तो कई निरीक्षकों संग अफसरों की गर्दन फंसनी तय है।

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