×

BHU सही या कबीरचौरा अस्पताल? एक दिव्यांग की 2 अस्पतालों ने दी अलग-अलग रिपोर्ट

एक दिव्यांग की 2 अस्पतालों ने दी अलग-अलग रिपोर्ट

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक दिव्यांग के निःशक्तता प्रमाण-पत्र (Disability Certificate) को लेकर बवाल मचा हुआ है. यहां एक दिव्यांग की दो अलग-अलग अस्पतालों ने अलग-अलग रिपोर्ट (Report) दी है. इससे दिव्यांग डेढ़ साल से हैरान परेशान हैं कि आखिरकार सही कौन सी है।

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक दिव्यांग (Handicapped) के निःशक्तता प्रमाण-पत्र (Disability Certificate) को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. दिव्यांग ने एसएसपीजी अस्पताल के चिकित्सकों पर निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करने के बदले घूस मांगने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि एसएसपीजी अस्पताल के ईएनटी विभाग की ओर से  वर्ष 2023 में घूस न देने पर उनका नवीनीकरण गलत निशक्तता प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया. बाद में उसे संशोधन करवाने के लिए डेढ़ साल से चक्कर लगवाये जा रहे हैं. संशोधित सही रिपोर्ट भी जारी करने के लिए भी घूस मांगी जा रही है।

एक दिव्यांग की 2 अस्पतालों ने दी अलग-अलग रिपोर्ट

जानकारी के अनुसार राजातालाब के कचनार गाँव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता जन्म से ही सुनने में असमर्थ है. फ़रवरी 2018 में एसएसपीजी अस्पताल के ईएनटी विभाग (ENT Deapartment) में जांच करवाई तो उसे सुनने में असमर्थ बताया गया. इस बीच पीड़ित ने इलाज के लिए सर सुंदर लाल चिकित्सालय के ईएनटी विभाग बीएचयू भी गये. वहां चेकअप में बीएचयू ईएनटी विभाग ने उनको 45 फ़ीसदी सुनने में असमर्थ बताया. वही स्थिति कई निजी चिकित्सकों ने बताई. इस बीच जब कोई इलाज नहीं हुआ तो वापस वाराणसी के मंडलीय एसएसपीजी अस्पताल में निःशक्तता प्रमाण- पत्र बनाने के लिए आवेदन कर दिया।

एक दिव्यांग की 2 अस्पतालों ने दी अलग-अलग रिपोर्ट

पहले 2018 में एसएसपीजी अस्पताल अस्पताल ने ही सर सुंदर लाल चिकित्सालय के ईएनटी विभाग के जाँच रिपोर्ट के आधार पर दिया था 45 प्रतिशत अस्थायी 5 साल की वैधता का दिव्यांग प्रमाण-पत्र। निःशक्तता अधिनियम- 2016 के प्रावाधान के आधार पर 5 साल की वैधता समाप्त होने के बाद नवीनीकरण  कराने के लिए वर्ष 2023 में पुनः राजकुमार को दिव्यांगजन यूडीआईडी नंबर पहचान पत्र (UDID Number Identity Card) की जरूरत पड़ी. इस पर वे वापस एसएसपीजी अस्पताल के ईएनटी विभाग पहुंचे. वहां राजकुमार ने जांच रिपोर्ट देखकर वे हैरान रह गये. ईएनटी विभाग की डा. रचना सिंह ने निःशक्तता गाइडलाइंस के अनुसार राजकुमार को पात्र माना ही नहीं. जबकि 2018 में एसएसपीजी अस्पताल के ईएनटी विभाग ने ही राजकुमार को निशःक्तता प्रमाणपत्र जारी किया था.

सर सुंदर लाल चिकित्सालय के ईएनटी विभाग ने 49 फीसदी निःशक्त माना, तो एसएसपीजी अस्पताल ने 24  फ़ीसदी, पूरे मामले की फ़रवरी 2024 में राजकुमार ने लोकायुक्त में परिवाद दर्ज कराने के बाद सीएमओ संदीप चौधरी ने मई 2024 में सर सुंदर लाल चिकित्सालय के ईएनटी विभाग में मेडिकल बोर्ड का गठन करा कर राजकुमार की जांच कराई जाँच में 49 परसेंट निःशक्तता माना, जबकि एसएसपीजी अस्पताल के ईएनटी विभाग ने वर्ष 2018 में राजकुमार की जांच में 45 फीसदी और दोबारा वर्ष 2023 के जांच में 24 प्रतिशत निःशक्तता का ही प्रमाणपत्र जारी किया।

एक दिव्यांग की 2 अस्पतालों ने दी अलग-अलग रिपोर्ट

डॉक्टरों पर लगाये ये गंभीर आरोप एसएसपीजी अस्पताल के चिकित्सकों पर निःशक्तता प्रमाण पत्र के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि डेढ़ साल से अस्पताल के डॉक्टर उनको चक्कर कटवा रहे हैं. बिना पैसे कोई काम नही कर रहा. एसएसपीजी अस्पताल के ईएनटी विभाग के डॉ. महेश चन्द्र द्विवेदी ने बीएचयू की जांच रिपोर्ट पर चुप्पी साधे हुए है. पूरे मामले को डिजिटली सोशल मीडिया एक्स पर राजकुमार ने पीएम मोदी और सीएम योगी सहित उच्चाधिकारियों के संज्ञान में देकर सर सुंदर लाल चिकित्सालय के ईएनटी विभाग के मेडिकल बोर्ड के जाँच के आधार पर 49 प्रतिशत दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी कराने की माँग रखी है। अन्यथा न्याय हेतु हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की चेतावनी दी है।

Share this story