काशी हिंदू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक संगोष्ठी का आयोजन

वाराणसी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाज विज्ञान संकाय की संकायाध्यछ प्रोफेसर वृंदा डी परांजपे ने कहा की श्रीमद् भागवतगीता मानव मूल्य सृजन का एक अद्भुत ग्रंथ है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण स्वयं मानव के चरित्र निर्माण हेतु उसे तैयार करने हेतु अपने विश्वस्वरूप का दर्शन अर्जुन को कराया था। और अर्जुन उनकी शिक्षा पाकर के अपने ज्ञान के विस्तार से अधर्म का नाश करता है और धर्म की संस्थापना करता है।उन्होंने कहा अगर गीता की किसी एक शिक्षा का अवलम्ब मानव ले ले तो उसका परम् कल्याण हो सकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान नई दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि भारत का जो महान लक्ष्य *एक भारत श्रेष्ठ भारत* का है उसकी प्राप्ति लिए श्रीमद्भागवत गीता ही एकमात्र विकल्प है,जो मानव को आत्म ज्योति प्रदान कर सकती है और जब आत्मज्योति आ जाएगी तो स्वमेव सुरक्षा समाज में आ जाएगी।
यह आत्मज्ञान पहले व्यक्ति के अंदर आएगा फिर वह समाज में आएगा,जिसके परिणाम स्वरूप राष्ट्र की सुरक्षा के लिए व्यक्ति सदा सदा के लिए तैयार रहेगा। उन्होंने कहा कि कर्म धर्म और कर्तव्य तीनों का समन्वय अगर व्यक्ति के जीवन में है तो निश्चित रूप से सफल होता है उन्होंने कहा कि काशी ज्ञान की नगरी है अयोध्या राम की नगरी है और मथुरा श्री कृष्ण की नगरी है जो इन दोनों नगरी को प्राणवान बनाती है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्वी जोन के परिवहन आयुक्त श्री भीमसेन सिंह जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता की शिक्षा आज की युवाओं की मार्ग दर्शक है, युवा जब भी किसी समस्या में हो श्रीमद्भागवत गीता को आधार बनाकर के अपनी उस समस्या का समाधान कर सकते हैं। इतिहास विभाग के श्री प्रवेश भारद्वाज ने कहा सत्य और चरित्र ही मानव निर्माण की दो पूंजी है।
वाणिज्य विभाग के श्री शैलेंद्र उपाध्याय ने श्रीमद् भागवत गीता की महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि मानव जीवन में अगर किसी को कहीं से भी कोई शिक्षा मिलती है जो परिपूर्ण हो और उसके जीवन का आधार बन सकती है तो शिक्षा श्रीमद् भागवत गीता से ही प्राप्त हो सकेगी। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ सैयद अली नादिर ने कहा कि गीता के किसी अध्याय को आधार बनाकर मानव जीवन की पूर्णता हासिल की जा सकती है। यह किसी धर्म सप्रदाय की नहीं मानव आचरण का ग्रन्थ है।
अंत में कार्यक्रम के आयोजके प्रोफेसर आर एन त्रिपाठी समाजशास्त्र विभाग ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता में स्पष्ट है कि जितने वेद ,उपनिषद, शास्त्र हैं सारे उपनिषद और वेद शास्त्रों को गाय समझिए भगवान श्री कृष्णा जो हैं उसके कुशल ग्वाला अर्थात दूध दुहने वाले हैं अर्जुन उसका बछड़ा है जो जिज्ञासु है,वही दुग्धामृत गीता है तो ऐसे अमृत को पीकर के कौन सुखी नहीं हो सकता।
अर्थात गीता अध्ययन से कौन सुखी नहीं होगा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्लोगन में विद्या अमृतमश्नुमते जो विष्णु पुराण का एक श्लोक है ज्ञान से ही अमृत की प्राप्ति होती है और उस परम ज्ञान की प्राप्ति हेतु हमें श्री श्रीमद् भागवतगीता का ही आश्रय लेना पड़ेगा कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ राजीव दुबे डॉक्टर शरद् धर शर्मा, श्री अमरनाथ पासवान,स्वप्ना मीणा, डॉक्टर विमल लहरी, शुभम मिश्र, मानस चटर्जी, विपिन गुप्ता,शिव कुमार मौर्य, आशीष चौरसिया आदि उपस्थित रहे।
रंगभरी एकादशी के मौके पर छात्रों में अजीब उत्साह देखा गया और श्रीमद् भागवत गीता का जब उनके बीच में वितरण किया गया तो अति उत्साह भाव से उन्होंने स्वीकार किया और श्रीमद् भागवत गीता के बारे में प्रश्न उत्तर में भी काफी प्रश्नों का समाधान उनके द्वारा किया गया।