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भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में भव्य कार्यक्रम का आयोजन

भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में भव्य कार्यक्रम का आयोजन

वाराणसी। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में यूपी कॉलेज, वाराणसी के प्राचार्य एवं विधि वेत्ता प्रो• धर्मेन्द्र सिंह उपस्थित रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने की। कार्यक्रम में संविधान की महत्ता और उसके मूल्यों को रेखांकित करते हुए कई महत्वपूर्ण संदेश दिए गए।

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कार्यक्रम की शुरुआत

कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी के चित्रों पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके बाद छात्रों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया, जिसने समारोह के वातावरण को प्रेरणादायक और देशभक्ति से ओत-प्रोत बना दिया।

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कुलपति का अध्यक्षीय उद्बोधन

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने अपने संबोधन में संविधान को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का आधार बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की विविधता, समरसता और समावेशिता का प्रतीक है। यह हमारे अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन स्थापित करता है, और एक ऐसा समाज बनाने का मार्गदर्शन करता है, जहां समानता, स्वतंत्रता, और न्याय सभी को समान रूप से प्राप्त हो।


उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि वे संविधान की भावना को समझें और अपने जीवन में इसे आत्मसात करें। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया,
“देश का भविष्य आपके हाथों में है। यदि आप संविधान के सिद्धांतों का पालन करेंगे, तो भारत केवल एक सशक्त लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व का केंद्र बन जाएगा।

कुलपति प्रो शर्मा ने यह भी रेखांकित किया कि संविधान न केवल नागरिकों को उनके अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उनके कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा,“मौलिक अधिकार हमें स्वतंत्रता देते हैं, लेकिन मौलिक कर्तव्य हमें जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। हमें संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को हर दिन प्रकट करना चाहिए।

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मुख्य अतिथि, यूपी कॉलेज के प्राचार्य  एवं विधि वेत्ता प्रो धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए इसे एक अद्भुत दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा, “संविधान भारतीय लोकतंत्र का स्तंभ है। यह हर नागरिक को समानता और न्याय का अधिकार देता है।संविधान की आत्मा संविधान में निहित 22 चित्रों के द्वारा दिखाई देती है।जिसका उद्देश्य भारतीय संविधान के मूल्यों और आदर्शों को प्रदर्शित करना है, जो हमारे देश की एकता, अखण्डता और विकास के लिए सकारात्मक भाव है। यह संविधान बहुत पुराना नहीं है, आज 75 वर्ष के बाद तरुण हुआ हुआ है। 75 वर्षो में अन्य देशों मे संविधान की क्या स्थिति है, लेकिन भारतीय संविधान सुरक्षित और संरक्षित है। यह जिवंत लोकतन्त्र है।यह संविधान भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक है।


महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने बतौर विशिष्ट वक्ता कहा कि यह आयोजन केवल संविधान का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें उसके आदर्शों को  संविधान की गहराई और उसकी महत्ता को समझने के लिए युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में मार्गदर्शन दिया।


संविधान दिवस कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिक, पौराणिक मंगलाचरण किया गया। मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण, महात्मा गांधी, डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन किया गया। प्रो राजनाथ के द्वारा मंच पर आसीन अतिथियों का माल्यार्पण एवं अंग वस्त्र ओढ़ाकर स्वागत और अभिनंदन किया गया। संविधान दिवस के अवसर पर आज कुलपति प्रो शर्मा ने विश्वविद्यालय परिवार को शपथ दिलाया।


संविधान दिवस कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजक समाजिक विज्ञान के आचार्य शैलेश कुमार मिश्र ने संविधान दिवस के महत्व को प्रकाशित किया। सामाजिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो राजनाथ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अन्त मे राष्ट्रगान एवं भारत माता की जय उद्घोष के साथ कार्यक्रम समाप्त किया गया। प्रो हरिशंकर पाण्डेय,डॉ पद्माकर मिश्र, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो जितेन्द्र कुमार, प्रो महेन्द्र पाण्डेय,विधु द्विवेदी, प्रो हीरक कान्ति चक्रवर्ती, प्रो विद्या कुमारी, डॉ रविशंकर पाण्डेय, डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ सत्येन्द्र कुमार यादव,अधिकारी, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियो ने भारी संख्या में सहभाग किया।

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