Varanasi News: BHU और विद्यापीठ में घुसे नक्सली, 130 की गतिविधि संदिग्ध मिली, जांच में जुटी ATS

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित पूर्वांचल के दो दर्जन महाविद्यालयों में अर्बन नक्सलियों ने अपनी पैठ गहरी कर ली है। इन सबका मकसद युवाओं में राष्ट्र विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देना है। सुरक्षा एजेंसियों ने 130 अर्बन नक्सलियों को चिह्नित किया है। अब तक की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि अर्बन नक्सल से जुड़े लोग धरना और विरोध प्रदर्शन के जरिये माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों में अपनी पैठ बनाने के बाद अर्बन नक्सली स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) व अन्य छोटे संगठनों के माध्यम से पूर्वांचल के अन्य जिलों में अपना विस्तार कर रहे हैं। इस संबंध में ठोस इनपुट मिलने के बाद प्रदेश की शीर्ष सुरक्षा एजेंसियों ने वाराणसी व पूर्वांचल भर में सक्रिय 130 अर्बन नक्सलियों को चिह्नित किया है।
लोकसभा चुनाव से पहले माहौल खराब करने की साजिश
साथ ही उनके नेटवर्क को तोड़ने के लिए कार्ययोजना बनाई है। नक्सलियों का मकसद आगामी लोकसभा चुनाव से पहले वाराणसी व आसपास के जिलों का माहौल खराब करना है। इसे ध्यान में रखकर सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही हैं। एजेंसियोें ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ही ठोस कार्रवाई की तैयारी की है।
इन शैक्षिक संस्थानों पर निगाह
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अर्बन नक्सलियों की निगाह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षण संस्थान पर ज्यादा है। कारण, यहां देशभर के अलग अलग विचारधाराओं वाले छात्र-छात्राएं आते हैं। ज्यादा मुखर भी होते हैं। अर्बन नक्सल से जुड़े लोग ऐसे छात्रों के जरिये छात्र संगठनों और उनके समूहों में सक्रिय होकर अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं। अर्बन नक्सल से जुड़े एक-एक व्यक्ति की गतिविधि पर निगाह रखी जा रही है।
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र से देश-दुनिया को संदेश देने की योजना
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। यहां की हर छोटी-बड़ी घटना पर देश-दुनिया की नजर रहती है। वाराणसी या इससे सटे पूर्वांचल के किसी जिले में खास एजेंडे के साथ मुखर तरीके से आवाज उठेगी तो उसका संदेश दूर तक जाएगा।
इस वजह से वाराणसी में चिह्नित लोग गुपचुप तरीके से अपने विचारों को एक-दूसरे से साझा कर उससे जुड़ने के लिए बुद्धिजीवियों के वर्ग को उकसा रहे हैं। वाराणसी के साथ ही पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों का लगातार भ्रमण कर रहे हैं। देख रहे हैं कि कहां और किस मुद्दे को हवा देकर सरकार विरोधी माहौल तैयार कर सकते हैं।
आजमगढ़ के धरने पर एजेंसियों की नजर
आजमगढ़ में हवाईअड्डे के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध किया जा रहा है। कुछ लोग धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि एयरपोर्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण नियमानुसार स्थानीय लोगों की सहमति से हुआ है। इसके बावजूद अर्बन नक्सल से जुड़े लोग मामले को तूल दे रहे हैं। समूह से जुड़े लोग गुपचुप तरीके से मदद भी कर रहे हैं, लेकिन मंशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल सकी है। उत्तर प्रदेश सरकार के सख्त रवैये व कड़ी कार्रवाई के डर से बहुत लोग अर्बन नक्सलियों से दूरी बनाए हुए हैं।
अर्बन नक्सल शब्द कहां से आया
महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा के बाद अर्बन नक्सल शब्द आम लोगों की जुबान पर आया। इसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया था। प्रदेश की शीर्ष सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अफसर ने बताया कि अर्बन नक्सली अब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उससे सटे पूर्वांचल के अन्य जिलों में अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं। इसमें अहम भूमिका कुछ विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों, छात्रों और कुछ एनजीओ संचालकों की है। इनमें से सूचीबद्ध किए गए लोगों की गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है। संबंधित लोगों के खिलाफ जल्द ही साक्ष्यों के साथ पुख्ता कार्रवाई की जाएगी।
हम लोग विश्वविद्यालय में सतर्क हैं। सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग के लिए भी तत्पर हैं। विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं को हम हमेशा जागरूक करते हैं कि वे संदिग्ध लोगों की सूचना हम तक पहुंचाएं। प्रो. एके त्यागी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
विश्वविद्यालय परिसर में धरना, प्रदर्शन और मारपीट की घटनाओं में हम बाहरी गतिविधियों को लेकर ज्यादा सतर्क रहते हैं। हमारी खुद की इंटेलीजेंस टीम भी समय समय पर जांच करती है और सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क करते हैं- प्रो अभिमन्यु सिंह, चीफ प्राक्टर, बीएचयू