Varanasi latest news: काशी में शिव के बालरूप Batuk Bhairav महराज का तामसी श्रृंगार, चढ़े 56 भोग

वाराणसी में बाबा काल भैरव के बाल रूप और तन-मन की पीड़ा हरने वाले बटुक भैरव की दो दिवसीय पूजा आज समाप्त हो रही है। आज बटुक पूजन और भंडारा में प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसमें शहर भर से लोग कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर उमड़ रहे हैं। इससे पहले बटुक महराज का श्रृंगार करके उनकी त्रिगुणात्मक भव्य झांकी सजाई गई है।
वाराणसी के कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर को फूल और झालरों से सजा दिया गया है। आज यहां पर प्रसाद का वितरण होगा।
यहां पर पंचामृत स्नान और मंगला आरती के बाद बाबा का श्वेत पुष्प से सात्विक श्रृंगार किया गया। साथ ही पंचमेवा, फल और मिष्ठान्न का भोग भी लगा। गुलाब के फूल, स्वर्ण और रजत आभूषण से श्रृंगार कर राजसी रूप में लाया गया। 56 व्यंजनों का भोग भी अर्पित हुआ। तामसिक स्वरूप बाबा को पंच मकार का भोग चढ़ाया गया।
कल रात बाबा बटुक महराज की शयनआरती की गई।
देर रात 1100 काला गंडा और 1100 रूद्राक्ष की मालाओं से तामसी श्रृंगार कर उनकी भव्य झांकी सजाई गई। देर रात वाली शयन आरती करने के बाद भक्तगणों ने आधी रात भजन आदि गाए। कार्यक्रम का आयोजन मंदिर के महंत जितेंद्र मोहन पुरी ऊर्फ विजय गुरू के आचार्यत्व में संपन्न हुआ। संयोजन महंत राकेश पुरी, भाष्कर पुरी ने किया।
क्या है मान्यता
धर्मशास्त्रों के अनुसार, श्री भैरव नाथ साक्षात् रुद्र हैं। देवो के देव महादेव का काशी में बाल रूप यानि बटुक भैरव भैरव के रूप में दिव्य मंदिर है। महाविद्याओं की साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए भैरव की भी अर्चना का विधान है।
बाबा बटुक भैरव की आराधना मात्र से समस्त शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर भाग जाती हैं। महादेव के कई रूपों के बारे में लोगों को जानकारी है, मगर बटुक भैरव बेहद दुर्लभ रूप है। इनके दर्शन मात्र से ही भक्तों का बेड़ा पार लग जाता है।