ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में आया नया मोड़, मुस्लिम पक्ष ने कहा- 8 हफ्ते बाद हो सुनवाई

ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई 22 सितंबर को ना हो। बल्कि, सुनवाई की डेट आठ हफ्ते बाद की तय की जाए। यह एप्लिकेशन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए शनिवार को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दी गई है। अदालत ने कहा है कि वह मसाजिद कमेटी के एप्लिकेशन पर 22 सितंबर को सुनवाई कर अपना आदेश सुनाएगी।
12 सितंबर को सुनवाई का आया था ऑर्डर
वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने बीती 12 सितंबर को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई की अगली डेट 22 सितंबर तय की थी।
मसाजिद कमेटी के एडवोकेट मेराजुद्दीन सिद्दीकी और एखलाक अहमद ने बताया कि आगामी 22 सितंबर को श्रृंगार गौरी केस में पक्षकार बनने के लिए जो एप्लिकेशन दी गई हैं, उन पर सुनवाई होनी है। इसके साथ ही जवाबदेही दाखिल होनी है और ईशू फ्रेम होना है।
हमारी ओर से आज एक एप्लिकेशन दी गई है। हमने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि श्रृंगार गौरी केस को जिला जज स्तर के न्यायाधीश सुनेंगे। अगर उनके आदेश से कोई पक्ष असहमत होता है तो वह उसके खिलाफ उच्च अदालत में जा सकता है। इसके लिए उसे 8 हफ्ते का समय दिया जाना चाहिए।
इसलिए हमने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए हमें 8 हफ्ते का समय देने पर विचार करें। कोर्ट ने हमारी एप्लिकेशन पर सुनवाई के लिए 22 सितंबर की डेट फिक्स की है।
वादिनी महिलाओं ने दाखिल की है कैविएट
श्रृंगार गौरी केस में जिला जज की कोर्ट के आदेश के खिलाफ मसाजिद कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन फाइल करेगी। इसके मद्देनजर श्रृंगार गौरी केस की वादिनी महिलाओं की ओर से हाईकोर्ट में पहले ही कैविएट पिटीशन दाखिल की जा चुकी है। इसके चलते हाईकोर्ट अब वादिनी महिलाओं का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं सुनाएगी।