ज्ञानवापी मामला - हिंदू पक्ष ने कहा – यह हिंदू अस्मिता का सवाल है! मसाजिद कमेटी ने कहा- जाएंगे हाईकोर्ट..!

वाराणसी के ज्ञानवापी-मां शृंगार गौरी के मुकदमे की सुनवाई होगी। यह आदेश आज वाराणसी के जिला जज डॉ. एके विश्वेश की अदालत ने दिया है। इसे लेकर सिविल कोर्ट में मुकदमा दाखिल करने वालों में शामिल मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक आज सिविल कोर्ट में खुशी से झूमती नजर आई।
उन्होंने कहा कि हमें पता था कि अदालत हमारे पक्ष में ही अपना आदेश सुनाएगी और हमारी आराध्य देवी मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन का मार्ग प्रशस्त होगा। यह अभी शुरुआत है। भगवान आदि विश्वेश्वर की कृपा से एक दिन पूरा ज्ञानवापी सनातन धर्मियों का होगा।
आज का फैसला मील का पत्थर है
वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा कि फिलहाल हम लोग केस का अध्ययन करेंगे। आज का फैसला मील का पत्थर है। वर्ष 1993 तक ज्ञानवापी परिक्षेत्र में मां शृंगार गौरी, हनुमानजी, गणेशजी और नंदीजी की पूजा होती थी।
मुलायम सिंह यादव की तत्कालीन सरकार ने मुसलमानों के दबाव में व्यासजी को बाहर निकाल दिया। व्यासजी तहखाने में पूजा करते थे और वही मुख्य पुजारी भी थे। अब कोर्ट में आगे कमीशन की कार्रवाई पर चर्चा होगी। अभी तक कमीशन की कार्रवाई पर कोई बहस ही नहीं हुई है।
हम लोग मांग करेंगे कि जो दो तहखाने हैं उनका भी कमीशन सर्वे हो। वहां खुदाई, कार्बन डेटिंग और एएसआई के सर्वे की मांग भी करेंगे। हम लोग डिक्लेयर कराएंगे कि पूरा ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं का है और वहां मस्जिद नहीं रह सकती है।
22 सितंबर की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को जवाब देना है। मुस्लिम पक्ष प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाए तो हम उसका स्वागत करेंगे। हम चाहते हैं कि मसला सुप्रीम कोर्ट तक जल्द पहुंचे और उसका पूरी तरह से निस्तारण हो। हिंदू अस्मिता का सवाल है। गुलामी काल के अत्याचारों को आखिरकार हिंदू कब तक सहता रहेगा।
जल्द ही आगे की रणनीति तय करेंगे
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता शमीम अहमद ने कहा कि निश्चित तौर पर फैसला हमारे पक्ष में नहीं है। फैसले की कॉपी मिलते ही हम उसका विस्तार से अध्ययन करेंगे। जो चूक हुई होगी उसे दुरुस्त करेंगे। इसके बाद जिला अदालत से पारित हुए आदेश के खिलाफ हम इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिवीजन दाखिल करेंगे।