Ganga Vilas cruise:विश्व के सबसे बड़े रिवर क्रूज में है 5 स्टार होटल जैसी सुविधाएं, देखें क्रूज के अन्दर की फ़ोटो और वीडियो...

गंगा विलास क्रूज की आधिकारिक जलयात्रा सितंबर से शुरू हो सकती है, फिर भी क्रूज की बुकिंग अगले दो वर्षों के लिए फुल हो गई। इसकी पुष्टि क्रूज के निदेशक राज सिंह ने भी की है।
निदेशक के मुताबिक, गंगा में क्रूज के संचालन से पर्यटक उत्साहित हैं। विदेशी पर्यटक भी खूब आ रहे हैं। गंगा विलास काशी से बोगीबिल की यात्रा पूरी करेगा, फिर कोलकाता से वाराणसी की सैर पर लौटेगा।
क्रूज से नदी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार बढ़ेगा। गंगा बेल्ट में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्राचीन संस्कृति और धरोहर पर्यटकों पसंद आते हैं। भारतीय खानपान भी विदेशी पर्यटकों को भा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत का जीवंत उदाहरण है गंगा विलास क्रूज
दुनिया की सबसे लंबी क्रूज यात्रा पर रवाना होने के लिए तैयार गंगा विलास क्रूज आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण है। क्रूज का इंटीरियर देश की संस्कृति और धरोहर को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
इंटीरियर में सफेद, गुलाबी, लाल और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है। वुडेन फ्लोरिंग और रंगों का बेहतर समन्वय पर्यटकों को सबसे अधिक पसंद आ रहा है। सितंबर से क्रूज का नियमित संचालन भी शुरू हो जाएगा।
अंतरा क्रूज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राज सिंह का कहना है कि क्रूज में तीन डेक हैं। तीनों डेक पर अलग-अलग सुविधाएं हैं। क्रूज पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। कचरों को एक जगह एकत्र कर सुरक्षित रूप से निस्तारित किया जाता है।
प्रदूषण का स्तर शून्य रखने के र्लिए इंधन के रूप में हाई स्पीड डीजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें लगे ऑयल स्प्रेडर्स डीजल को गंगा में जाने से बचाते हैं।
क्रूज में 60 हजार लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है। क्रूज को इस तरह डिजाइन किया गया है कि पर्यटकों को प्लास्टिक की बोतलों की जरूरत ही ना पड़े। क्रूज में आधुनिक उपकरणों से लैस एसटीपी लगाई गई है।
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राज सिंह ने बताया कि पहले अलग-अलग नदियों में यात्रा के लिए अनुमति लेनी पड़ती थी लेकिन अब एक बार ही अनुमति लेकर क्रूज यात्रा शुरू हो सकती है। इससे व्यापार, संस्कृति, शिक्षा, अनुसंधान सभी को मजबूती मिल रही है।
अपस्ट्रीम में 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार
गंगा विलास क्रूज की अपस्ट्रीम में रफ्तार 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा है। डाउनस्ट्रीम में इसकी रफ्तार दोगुनी हो जाती है। क्रूज के संचालन में एक दिन में एक हजार लीटर डीजल खर्च होता है। इसकी ईंधन क्षमता 40 हजार लीटर की है। इस लिहाज से 40 दिन तक यह लगातार पानी पर तैर सकता है।
पानी की गहराई 1.4 मीटर होना जरूरी
क्रूज के संचालन के लिए पानी की गहराई 1.4 मीटर ही चाहिए, इसलिए कोलकाता से वाराणसी आते समय कहीं भी पानी की गहराई को लेकर परेशानी नहीं हुई। खराब मौसम के कारण ही परेशान होना पड़ा। बनारस से डिब्रूगढ़ की यात्रा के दौरान पर्यटकों के लिए 40 शहरों में ठहरने और घूमने के इंतजाम किए गए हैं।
प्रमुख जलमार्ग
राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 वाराणसी बोगीबील
गंगा-भागीरथी-हुगली जलमार्ग
इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकाल रूट कोलकाता से धुबरी
राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2 ब्रह्मपुत्रा