
मंदिर के गेट से लेकर मेन रोड ही नहीं घाटों तक सैकड़ों पोंगा पंडितों ने बनाया व्यापार
स्थानीयों से ज्यादा बाहरियों की है तादाद, जिनका कोई पता ठिकाना नहीं
पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे लुटे जा रहे दर्शनार्थी, इस पर किसी का ध्यान नहीं
जबरन टीका लगाकर करते हैं वसूली, न देने पर लड़ने को होते हैं आमदा
बाहरी करते हैं यजमानों का सामान पार, फंसते हैं निरीह पंडा, पुजारी और घाट पुरोहित
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट "श्री काशी विश्वनाथ धाम" जब से बनकर तैयार हुआ है, तब से लोगों को कुछ न कुछ "काम" भी मिल गया है। यहाँ काम का अर्थ धन कमाने से है। अब वह काम सही है कि गलत यानि वाजिब है कि फर्जी इससे मतलब नहीं। बस, माया कैसे भी हो आनी चाहिए। कॉरिडोर बनने के बाद से जिस कदर कुकुरमुत्ते की तरह हर कोई माला-प्रसाद की दुकान सजाकर बैठ गया। ठीक उसी तरह दर्शन को लाइन में लगे दर्शनार्थियों को जबरन टीका-चंदन लीपकर अवैध वसूली करने वाले फर्जी पंडितों की भी भरमार हो गई है। हो भी क्यों न आज के युग कलिकाल में पांडित्य परम्परा ही जो खतरे में पड़ गई है। और यह पांडित्य परंपरा हर किसी के भी लिए धंधा करने का सुलभ और सुगम मार्ग बन गया है। मतलब "हींग लगे न फिटकरी फिर भी रंग चोखा"।
बस, धोती-कुर्ता लपेट,माथे पर त्रिपुंड लगाया, कंधे पर गमछा रखा, और बन गए प्रकांड पंडित। ऐसा ही नज़ारा विगत एक साल से काशी में दिख रहा है। गंगा घाट से लेकर मंदिर के गेट तक त्रिपुंड धारी पंडितों की भरमार दिख रही है, जो दर्शनार्थियों को जबरन चंदन-टीका लगाकर वसूली कर रहे हैं। अगर किसी ने टीका लगवाई दक्षिणा नहीं दिया तो सड़क पर हूरा-फाइटिंग तक हो जा रही है। और यह सब हो रहा है पुलिस की नाक के नीचे। मगर गरीब ब्राह्मण समझकर इन को छोड़ दिया जाता है, जिससे इनके हौसले और भी ज़्यादा बुलंद हो गए हैं। इन फर्जी पंडितों में अधिकांश युवा लड़के हैं जो बाहर से आए हैं और वास्तव में जाति से पंडित नहीं किसी अन्य जात के हैं। ऐसे ही यात्रियों को जबरदस्ती टीका लगाकर पैसे न देने पर झगड़े पर उतारू नशे में धुत एक युवक से पूछने पर पता चला कि वह मध्यप्रदेश से आया है। पुलिस का नाम लेने पर कबूल किया कि वह जात से शुद्र है और ऐसे ही धन कमाकर बहुत बड़ा पैसे वाला आदमी बनने आया है। जब उसे पुलिस को सौंपने की बात हुई तो वह तेजी से फरार हो गया।
ऐसे ही सैकड़ों युवक हैं जिनका एक गैंग सक्रिय है। जो टीका-चंदन लगाने की आड़ में खुद तो नशे में रहते ही हैं और गांजा, हेरोइन समेत अन्य मादक नशीले पदार्थों की चोरी-छिपे बिक्री भी करते हैं। यही नहीं यह युवक घाटों पर नहा रहे स्नानार्थियों का सामान भी धोखे से पार कर दे रहे हैं। जिसका खामियाजा गरीब घाट पुरोहितों को पैसे देकर भुगतना पड़ता है। क्योंकि घाट पुरोहितों की चौकियों पर सामान रखकर स्नान कर रहा यात्री सबसे पहले यही समझता है कि घाट पुरोहित ने ही उसका सामान उड़ाया है। यही नहीं यह फर्जी युवक यात्रियों को बिना लाइन के दर्शन कराने के नाम पर भी पहले तो मोटी रकम वसूल लेते हैं फिर उन यात्रियों को गेट के मुहाने पर लाइन में लगाकर फरार हो जाते हैं। उचक्कागिरी का शिकार हुआ तीर्थ यात्री पुलिस के पास कम्प्लेन करता है कि एक पंडे ने ऐसा किया। बस, फिर क्या आ जाती है शामत निरपराध पण्डों की।
यह सभी अनैतिक, अनाचारी और अधम कृत्य पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम धड़ल्ले से हो रहा है लेकिन इन फर्जी पंडित बने युवकों की धर-पकड़, पूछताछ और जाँच की क्या कहे ? किसी की सोच में भी यह शामिल नहीं कि यह बाहरी फ़र्जीकर ऐसा भी कर सकते हैं। पुलिस-प्रशासन को तो दोषी वही पंडा, पुरोहित और पुजारी ही नज़र आते हैं।
विडम्बना तो इस बात की भी है कि यदि अधिकृत, वास्तविक और प्रमाणित पंडा, पुजारी व पुरोहित इन अवैध पंडितों को रोके या इनकी स्वयं पड़ताल करें तो पुलिस-प्रशासन उल्टा उनसे ही अपराधियों जैसा सुलूक करती है।
पुलिस-प्रशासन को चाहिए कि वह इन युवकों और बाहरियों की हर सिरेवसे पूरी जाँच-पड़ताल करे। उनके ,ग्राम,काम और पृष्ठभूमि की भी पूरी जानकारी हासिल करके उनसे इस फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी हासिल करें। इससे न केवल चोरी, अवैध वसूली, नशाखोरी और तमाम अनैतिक कृत्य का पता चल सकेगा और दर्शन को आए पर्यटकों संग मारपीट की घटना से धूमिल हो रही काशी की छवि भी सुधारी जा सकेगी।
श्री काशी तीर्थ पुरोहित सभा के महामंत्री और कार्यवाहक अध्यक्ष पं. कन्हैया त्रिपाठी ने एक अनौपचारिक बैठक में कहा कि यह पाण्डित्य परम्परा और काशी की तीर्थ पुरोहिती प्रथा पर कुठाराघात है। यदि प्रशासन न चेता और इन छद्मभेषियों पर कार्रवाई न हुई तो काशी की कानून व्यवस्था बिगड़ने की प्रबल संभावना है। सभा में अन्य वक्ताओं ने कहा कि यदि पुलिस-प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो तीर्थ पुरोहित सभा खुद पाण्डित्य परम्परा और तीर्थ पुरोहितों के हितों की रक्षा के लिए इन बहरूपियों को खदेड़ने का काम करेगी। जिसकी जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की होगी।