BHU's 102nd Convocation: दीक्षांत समारोह में 35,832 छात्रों को मिलेंगी उपाधियां, खाना डिलीवर करने वाले युवक को गोल्ड मेडल समेत 80 मेधावियों को मिलेगा पदक...

BHU का 102वां दीक्षांत समारोह
Bhu Convocation 2022: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में 10 दिसंबर को 102वें दीक्षांत समारोह में इस बार तीन साल के 35,832 छात्रों को उपाधियां दी जाएंगी। इसके अलावा तीनों साल परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले 81 मेधावी विद्यार्थियों को पदक भी दिया जाएगा। सबसे अधिक 2022 में 12,050 उपाधियां हैं जबकि 29 मेधावियों में पदक का वितरण होगा।
विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के लिए होने वाले समारोह के लिए मुख्य अतिथि के नाम पर आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र नीलेश पर मुहर लगने के बाद अब अन्य तैयारियां शुरू हो गई हैं। स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी, एमफिल, डीलिट आदि में स्वर्ण पदक पाने वालों की सूची भी फाइनल हो गई है।
तीनाें शैक्षणिक सत्रो की उपाधियों का वितरण मुख्य समारोह के बाद संबंधित संकायों में किया जाएगा। रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला की अध्यक्षता में दीक्षांत समारोह के लिए गठित समितियों के संयोजकों की बैठक में तैयारियों पर चर्चा कर समीक्षा की गई। रेक्टर ने संयोजकों को समय से सभी तैयारियां पूरी करने का निर्देश दिया। उपाधि के बारे में छात्रों को संकायों से विस्तृत जानकारियां मिलेंगी।
एक नजर में आंकड़ा
वर्ष उपाधि पदक
2020 11750 26
2021 12032 26
2022 12050 29
डिलीवरी ब्वॉय का काम करने वाले छात्र को मिलेगा पदक
बीएचयू में दस दिसंबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक पाने वाले मेधावियों की सूची जारी हो चुकी है। प्राचीन इतिहास विभाग के छात्र अभिषेक यादव को गोल्ड मेडल दिया जाएगा। बुधवार को छात्रों ने अभिषेक को सम्मानित किया। अभिषेक ने एक कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय का काम कर यहां तक का सफर तय किया।
बीएचयू में दस दिसंबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक पाने वाले मेधावियों की सूची जारी हो चुकी है। प्राचीन इतिहास विभाग के छात्र अभिषेक यादव को गोल्ड मेडल दिया जाएगा।
बुधवार को छात्रों ने अभिषेक को सम्मानित किया। अभिषेक ने एक कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय का काम कर यहां तक का सफर तय किया। प्राचीन इतिहास विषय से एमए में सबसे ज्यादा अंक पाने वाले छात्र अभिषेक यादव को गोल्ड मेडल प्रदान किया जाएगा। अभिषेक यादव एक गरीब परिवार से आते हैं और खुद स्विगी और जोमैटो कंपनियों में डिलीवरी ब्वाय की नौकरी भी करते हैं।
प्राचीन भारतीय इतिहास में गोल्ड मेडलिस्ट बनने पर छात्रों ने अभिषेक यादव को सम्मानित किया। छात्रनेता विवेक सिंह ने बताया कि 'किस प्रकार एक गरीब परिवार से आने वाले युवक ने, जो कि डिलीवरी बॉय का काम करते हुए यहां तक पहुंचा, उन्होंने कैसे ये सफर तय किया।
कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा होगा। कितनी रातें सोए नहीं होंगे। अभिषेक ने महामना के बगिया में जिस प्रकार से संघर्षों के साथ मुकाम हासिल किया है वो आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं।'
मामूली किसान हैं अभिषेक कि पिता
अभिषेक के पिता सुशील कुमार सिंह यादव एक किसान हैं। अभिषेक पढ़ना चाहते थे लेकिन पिता की कमाई इतनी नहीं थी तो अभिषेक ने नौकरी के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी।
शाम को पांच बजे तक पढ़ना, फिर जाते थे खाना डिलीवर करने
अभिषेक सुबह से पढ़ाई करने बैठ जाते थे फिर शाम को पांच बजे खाना पहुंचाने जाते थे। इस तरह से अभिषेक ने परिवार की कमान भी संभाली और खुद की पढ़ाई जारी रखते हुए सफलता पाई।