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एकल अभियान के तहत शिवगढ संच व महाराजगंज संच की आचार्यो का चल रहा तीन दिवसीय प्रशिक्षण

एकल अभियान के तहत शिवगढ संच व महाराजगंज संच की आचार्यो का चल रहा तीन दिवसीय प्रशिक्षण

शिवगढ रायबरेली। देश के कई गांवों में चल रहे एकल अभियान के तहत 3 दिवशीय प्रशिक्षण का  कार्यक्रम तहशील के सरस्वती विद्या मंदिर में चल रहा है, जिसमें मुख्य अतिथि रहे ब्लाक प्रमुख सतेंद्र प्रताप सिंह विशिष्ठ अतिथि के रूप में अवधेश मिश्रा की उपस्थिति रही कार्यक्रम की शुरुवात अवधेश मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर की। 

 

 


वहीं आचार्या सुभाषिनी ने गायत्री मंत्र आयुषी ने चौपाई के साथ प्रशिक्षण को और आगे बढ़ाया सभी ने अपनी बात रखते हुए कहा की एकल विद्यालय के माध्यम से छोटे छोटे गांवों के बच्चो को शिक्षा के माध्यम से संस्कार भी सिखाये जाते है, जिसमें रामनारायण सिंह ,लवकुश, अमर सिंह खण्ड संघ चालक शिवगढ, रामेश्वर सिंह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, जगमोहन खण्ड संघ चालक महाराजगांज, दिनेश कुमार अवस्थी प्रधानाचार्य, अतुल कुमार पांडेय,लवलेश शुक्ला संच प्रमुख शिवगढ आदि लोग मौजूद रहे। 

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भगवान देखते हैं भक्तों का ह्रदय: दिनेशाचार्य जी महाराज

अयोध्या। बीकापुर क्षेत्र के खौंपुर-कोदैला में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सप्तम पुष्प विसर्जित करते हुए कथाव्यास महंत दिनेशाचार्य जी महाराज ने बताया कि कथा केवल मनोरंजन के लिए नहीं अपितु मनोमंथनके के लिए है ।हृदय को द्रवित और नेत्रों को सजल करने के लिए हैं l

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प्रभु की कथा श्रवण कर यदि आपका ह्रदय द्रवित नहीं हुआ, नेत्र सजल नहीं हुए, प्रभु के प्रति आपका प्रेम दृढ़ नहीं हुआ तो समझिए आपने कथा सुनी ही नहींl निर्धन होना अपराध नहीं किंतु निर्धनता में ईश्वर को भूलना अपराध हैl

सुदामा जी निर्धन थे केवल इसलिए भगवान ने उनकी सेवा नहीं की बल्कि निर्धन होते हुए भी हृदय में भगवान के प्रति भक्ति, प्रेम था जिसके चलते भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी का सम्मान किया क्योंकि भगवान किसी के धन वैभव और पद को नहीं देखते भगवान तो भक्तों का हृदय ही देखते हैं जिसका हृदय निर्मल होता है वह भगवान की कृपा प्राप्त करता है।

व्यास महाराज ने बताया कि सुदामा जी प्रारब्ध के चलते निर्धन जरूर थे लेकिन एक ब्राह्मण का जो सबसे बड़ा धन है ज्ञान उससे सुदामा जी परिपूर्ण थे सुदामा जी के लिए शब्द आया है ब्रह्मवित्तमः सुदामा जी ज्ञानी थेl

ज्ञान का फल केवल पैसा कमाना नहीं सच्चा ज्ञानी वह है जो ईश्वर के प्रति अनुराग रखता हैl

ब्राह्मण का धन केवल भिक्षा नहीं, वास्तव में" बाभन को धन उत्तम शिक्षा" हैl कथा को विराम देते हुए कथाव्यासजी ने बताया की भागवत की कथा से परीक्षित महाराज का मोक्ष को देख कर ब्रह्मा जी को आश्चर्य हुआ मुक्ति देने वाले सभी शास्त्रों का ब्रह्मा जी ने तुलनात्मक अध्ययन किया और निर्णय किया कि श्रीमद्भागवत मुक्तिशास्त्र है।

मुख्य यजमान उमाशंकर तिवारी, प्रधान कृष्णानंद दुबे, संदीप तिवारी, मनोज तिवारी, अरुण सिंह, विजय शंकर, कृष्ण कुमार,राम नारायण तिवारी एडवोकेट, बृजभूषण, चंद्र भूषण आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहेl

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