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जल्द मिलेगा डिजिटल नक्शा, खतियान और राजस्व रिकॉर्ड, भूमि विवाद के मामलों में आएगी कमी

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केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में डिजिटल नक्शा, खतियान व राजस्व रिकॉर्ड लोगों को उपलब्ध कराएं। श्री सिंह ने शनिवार को शास्त्रीनगर स्थित सर्वे भवन में पंचायतीराज विभाग, कृषि विभाग एवं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा बैठक की।

बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सभी नक्शों को डिजिटलाइज कर दिया गया है किंतु इसके लिए केंद्र से राशि मिलनी है। राज्य में सर्वे का कार्य तेजी से चल रहा है, इसके लिए भी केंद्र से फंड की जरूरत है। राज्य सरकार जल्द आधुनिक अभिलेखागार की मदद से डिजिटल नक्शा, खतिहान एवं राजस्व रिकॉर्ड लोगों को उपलब्ध कराएगी। वहीं, केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने कहा कि केंद्रीय योजनाओं के लिए फंड की कोई कमी नहीं होगी। बैठक में पंचायती राज मंत्री, बिहार सम्राट चौधरी, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह, कृषि सचिव एन सरवन कुमार, पंचायतीराज विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार, ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव हुकुम सिंह मीणा, निदेशक, भू-अभिलेख एवं परिमाप जय सिंह, निदेशक, पंचायतीराज रंजीत कुमार सिंह, निदेशक, भू-अभिलेख सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी समीक्षा बैठक में मौजूद थे।

नल-जल योजना के क्रियान्वयन पर बल

पंचायतीराज विभाग की योजनाओं की समीक्षा के क्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह ने राज्य में नल-जल योजना के क्रियान्वयन पर बल दिया और कहा कि पानी घरों तक पहुंच गयी है। अब इस योजना के लिए बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके लिए वित्त आयोग के माध्यम से राशि उपलब्ध कराया जाएगा।

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खेती योग्य भूमि बनाने की दिशा में कार्रवाई हो

कृषि विभाग से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा के बाद केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने कहा कि अनुपयोगी भूमि को राज्य में खेती योग्य भूमि में बनाने की दिशा में कार्रवाई की जाए। देश में 27 मिलियन हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया जाना है, जिसमें 30 मिलियन हेक्टेयर भूमि को 2024 तक कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य है। कहा कि वर्ष 2050 तक देश की बढ़ी हुई आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में यह जरूरी है। उन्होंने इसके लिए जलस्तर को बढ़ाने, पानी को रोककर इसके अन्य उपयोग करने पर भी जोर दिया। 

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