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चन्दौली में विश्वकर्मा गौरव एवं स्वाभिमान सम्मेलन के रूप में मनाया गया पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि

Chandauli

चंदौली। विश्वकर्मा उत्थान मंच जनपद चंदौली के तत्वाधान में भारत के सातवें राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह जी की पुण्यतिथि को विश्वकर्मा गौरव एवं स्वाभिमान सम्मेलन के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित अरविंद वाटिक लान में स्वाभिमान एवं स्मरणजलि सम्मेलन संपन्न हुआ। सम्मेलन संबोधित करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य हंसराज विश्वकर्मा ने कहा कि विश्वकर्मा समाज के लिए 25 दिसंबर का विशेष महत्व है।एक और जहां समूची मनवता को प्रेम एकता और भाईचारक संदेश देने वाले महान विभूति ईसा मसीह का जन्म विश्वकर्मा वंशज जोसेफ बढ़ई के यहां हुआ था जिसे दुनिया भर में क्रिसमस दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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वहीं दूसरी ओर विश्वकर्मा समाज के गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक भारत के सातवे राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह का पुण्यस्मृति दिवस भी मनाया जाता है। समाज के इन महापुरुषों के गौरवशाली स्मृतियों की विरासत को संजोने का संकल्प भारतीय जनता पार्टी ने लिया है।उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा और राष्ट्र के विकास में विश्वकर्मा समाज के उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्होंने ज्ञानी जैल सिंह के संघर्ष त्याग और बलिदान की चर्चा करते हुए कहा ज्ञानी जी का संपूर्ण जीवन संघर्षों में ही व्यतीत हुआ। वह भारतीय राजनीति में अपने ही पार्टी कांग्रेस में सबसे उपेक्षित राजनेता रहे हैं। ज्ञानी जी का कांग्रेस ने हमेशा से ही घोर उपेक्षा किया, ज्ञानी जी निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी और विलक्षण प्रतिभा के धनी राजनेता थे, उनकी अप्रतिम राष्ट्रसेवा, त्याग, और बलिदान के गुणों ही ने उन्हें भारत के सर्वोच्च पद तक पहुंचा।

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उन्हें किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला, फिर भी उनके ज्ञान का भंडार विशाल थाज़ वह हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रबल समर्थक थे, उनका असली नाम जरनैल सिंह था, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेलेर ने उनका नाम पूछा तो उन्होंने सीना तानकर कहा मेरा नाम जेल सिंह है, जेलर क्रोधित होते हुए पूछा क्या मतलब? जरनैल सिंह ने फिर कहा जेल सिंह मतलब जेल का शेर जेलर बौखला गया।

और उसने डंडों से इनके ऊपर बर्बर प्रहार किया। जरनैल सिंह निर्भीकता से डंडों की मार सहते हुए। कहते रहे तुम चाहे जितना भी पीटो मेरी भावना नहीं बदल सकते हो।और जैल सिंह जैल सिंह चिल्लाते रहे,बाद में इन्हें जैल सिंह के नाम से ही लोग पुकारने लगे। यही नाम आगे चलकर जैल सिंह बना।

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 भारत का गृह मंत्री बनते ही उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली पेंशन की शर्तों को उदार बनाया।और इसे स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन का नाम दिया। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया, और यह परंपरा डाली की स्वतंत्रता एवं गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में भोज या आयोजन हुआ करेगा। ज्ञानी जी व्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रबल पक्षधर थे।


संसद द्वारा पारीत डाक विधेयक अनुमोदन के लिए जब उनके पास आया तो उन्होंने उसपर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया।इस विधेयक में प्रावधान था की सरकार किसी भी व्यक्ति के पत्र को खोल सकती है, सरकार इस विधेयक के द्वारा अपने आलोचकों का मुंह बंद करना चाहती थी। सम्मेलन के संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि विधायक रमेश जायसवाल, विधायक कैलाश आचार्य, विधायक सुशील सिंह ने कहा कि विश्वकर्मा समाज के मान सम्मान की रक्षा सुरक्षा करने का भरोसा जताया।

और कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में विश्वकर्मा समाज के साथ कहीं जुल्म उत्पीड़न, अत्याचार नहीं हो सकता। उनके साथ पूरी पार्टी माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खड़ी है।कार्यक्रम के आरंभ में भगवान विश्वकर्मा, ज्ञानी जैल सिंह,एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।

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इस अवसर पर संगठन के जिला अध्यक्ष श्रीकांत विश्वकर्मा,महिला सभा के जिला अध्यक्ष अनीता शर्मा,सभासद मीना विश्वकर्मा,महामंत्री कालिका विश्वकर्मा,मनीता विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्माज़ नगीना विश्वकर्मा, रामप्रवेश विश्वकर्माज़ सुनील विश्वकर्मा, सोनू विश्वकर्मा, घनश्याम विश्वकर्मा, लाल बहादुर विश्वकर्मा, आकाश विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, शैलेश विश्वकर्मा, विजय विश्वकर्मा सभासद, नीरज विश्वकर्मा, प्रदीप विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा, विष्णु विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, नंदलाल विश्वकर्माज़ नगीना विश्वकर्माज़ सुभाष विश्वकर्मा, रिंकू विश्वकर्माज़ रामावतार विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, सहित हजारों की संख्या में स्वजातीय बंधु उपस्थित रहे।


कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वकर्मा उत्थान मंच के अध्यक्ष श्यामलाल विश्वकर्मा फौजी साहब एवं संचालन राजेश विश्वकर्मा और राजू कभी ने किया।

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