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भारत माला परियोजना के निर्माण कार्य से किसानों की फसलें जलमग्न, ग्रामीणों ने उठाई मुआवजे की मांग

भारत माला परियोजना के निर्माण कार्य से किसानों की फसलें जलमग्न, ग्रामीणों ने उठाई मुआवजे की मांग

चंदौली। जनपद चंदौली में भारत माला परियोजना के अंतर्गत चल रहा सड़क निर्माण कार्य अब किसानों और ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बनता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, निर्माण कार्य के दौरान कार्यदायी संस्था ने अपने भारी वाहनों को गुजारने के लिए चंदन नदी का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध कर दिया है। इस कारण जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बन गई है।


बताया जा रहा है कि विकासखण्ड चकिया, सकलडीहा और सदर क्षेत्र के हजारों हेक्टेयर में फैली फसलें पूरी तरह डूब गईं हैं। इससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं, कई ग्रामीण संपर्क मार्गों और कपल-कलवर्ट भी पानी में डूब गए हैं, जिससे स्थानीय आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है।

Chandauli

ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक न तो कोई सर्वे कराया गया और न ही प्रभावित किसानों को मुआवजा या राहत सामग्री प्रदान की गई है।

चन्दौली के सांसद वीरेंद्र सिंह ने इस मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कार्यदायी संस्थाओं की लापरवाही के चलते किसानों की मेहनत की पूरी फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने मांग की है कि सरकार या तो स्वयं मुआवजा दे या संबंधित निर्माण एजेंसी से हानि की भरपाई कराए।

वीरेंद्र सिंह ने इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और जिलाधिकारी चंदौली को भी भेजी है, ताकि प्रभावित क्षेत्रों का शीघ्र सर्वे कराकर किसानों को उचित राहत प्रदान की जा सके।

ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण एजेंसी ने नदियों और नालों के प्राकृतिक प्रवाह को रोक दिया, जिससे जलभराव की स्थिति बनी और हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गईं। अब गांवों में आर्थिक संकट और भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है।

किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि विकास के नाम पर हो रही लापरवाही ने उनके जीवन को संकट में डाल दिया है, और अब सरकार से ही न्याय की उम्मीद है।

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