Chanduali News: कृषि विभाग द्वारा धान के विभिन्न कीटों से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी

Chanduali News: जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने बताया कि इस समय जनपद में धान की फसल में बालियों के निकलने का समय आने वाला है। अतः जनपद के कृषक भाइयों को विभिन्न सामयिक कीटों के प्रबन्धन/उपचार के लिए संक्षिप्त एडवाइजरी जारी की जा रही है। पत्ती लपेटक कीट के उपचार हेतु उन्होंने बताया कि इसमें संतुलित उर्वरको का प्रयोग करना चाहिये तथा खेत में उपस्थित मकड़ियों को संरक्षित रखना चाहिये। दो ताजी पत्ती प्रति हिल नालीनुमा संरचना दिखाई देने पर क्यूनालफास 25 प्रति0 ए0एफ0 को 1.25 ली0 प्रति हेक्टे0 की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
तना बेधक संबंधित रोग के बारे में बताया कि इस कीट की सूड़ियां तने में छेदकर तने में मध्य में पोषक तत्वों को चूसती है जिससे पौधों की वानस्पतिक अवस्था में मृत गोभ बनता है।इसके उपचार हेतु इस कीट के अण्डे के झुण्ड या सूड़ी दिखाई पडने पर मोनोक्रोटोफास 36 प्रति0 एस0एल0 1.25 ली0 प्रति हेक्टे0 की दर से 500-800 ली0 पानी या क्लोरेन्ट्रानीलीप्रोल 18.50 प्रति0 एस0सी0 0.5 मिली प्रति लीटर की दर से डालकर छिड़काव करना चाहिये।
गन्धी कीट जी कि एक प्रमुख कीट है।इस कीट की शिशु एवं वयस्क धान की दुग्धावस्था की बालियों से रस चूसते है। इसके प्रभाव से धान की बालियों के उपरी लगभग दो तिहाई भाग सफेद होकर सूख जाते है तथा दाने नहीं बनते है। इस कीट के उपचार हेतु मैलाथियान 5 प्रति0 धूल या फेनवेलरेट 0.4 प्रति डी०पी० की 20-25 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से बुरकाव करना चाहिए। सैनिक कीट:इस कीट की सूंड़ियां बालियों को काटकर गिरा देती है। आद्रता की अवस्था में इसका प्रकोप बढ जाता है। इस कीट के उपचार हेतु कार्बोफ्यूरान 0.3 प्रतिशत सी.जी. की 20-25 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से खेत में छिड़काव करें।