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चन्दौली का जामडीह मेला: जहां संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं भैया दूज के दिन करती हैं पूजा अर्चना

चन्दौली का जामडीह मेला: जहां संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं भैया दूज के दिन करती हैं पूजा अर्चना

चंदौली। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के विकास खंड सकलडीहा में स्थित जामडीह कुंड और जामेश्वर महादेव मंदिर हर साल भैया दूज के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है। स्थानीय मान्यता है कि इस पवित्र कुंड में स्नान करने से महिलाओं का बंध्यत्व दूर होता है और उन्हें संतान का वरदान प्राप्त होता है। यही वजह है कि हर वर्ष भैया दूज के दिन यह स्थल श्रद्धालुओं से भर जाता है, जिसमें न केवल चंदौली बल्कि आसपास के जिलों गाजीपुर, वाराणसी और मिर्जापुर से भी लोग शामिल होते हैं।

चंदौली

मेला का इतिहास और मान्यता

किंवदंती है कि विक्रम संवत 1944 में गाजीपुर निवासी सुखलाल अग्रहरि घोड़े से वाराणसी जा रहे थे। यात्रा के दौरान थककर वे जामडीह में एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे। उसी समय उन्हें स्वप्न में भगवान शिव के दर्शन हुए और मंदिर निर्माण का आदेश मिला।

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अगले दिन उन्होंने उस स्थान की खुदाई की, जहाँ दो शिवलिंग प्राप्त हुए। सुखलाल अग्रहरि ने उन्हें तालाब के किनारे स्थापित किया और जामेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया। कहा जाता है कि स्वयं सुखलाल अग्रहरि नि:संतान थे, लेकिन शिवलिंग की स्थापना और पूजा-अर्चना के बाद उन्हें संतान का वरदान मिला। तभी से यह स्थल संतान प्राप्ति की आस्था से जुड़ा है।

भैया दूज के दिन यहां महिलाएं पूजन-अर्चन कर कुंड में स्नान करती हैं। मेला परिसर में स्नान और पूजा-पाठ के साथ-साथ खिलौने, मिठाइयाँ और ग्रामीण हस्तशिल्प की दुकानें भी सजती हैं, जिससे आस्था और मनोरंजन का संगम देखने को मिलता है। कई परिवार मन्नत पूरी होने पर बच्चों का मुंडन संस्कार भी यहां कराते हैं।

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विकास की उपेक्षा

स्थानीय निवासी बताते हैं कि सदियों पुराना यह धार्मिक स्थल विकास की कमी का शिकार है।

कुंड की सीढ़ियाँ अधूरी हैं।
पहुंच मार्ग कच्चा और खराब स्थिति में है।
शौचालय, पेयजल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से संरक्षण और पर्यटन विकास की मांग की, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई।

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ऐतिहासिक महत्व

कुछ लोग जामडीह मंदिर में स्थापित प्रतिमा को भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मानते हैं। यहां मिले शिलालेख और पुरातात्विक अवशेष इस दावे को मजबूत करते हैं। हालांकि, पुरातत्व विभाग द्वारा अभी तक औपचारिक अध्ययन नहीं हुआ है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि सड़क, सीढ़ियाँ, शौचालय और सुरक्षा व्यवस्था जैसी सुविधाएँ विकसित की जाएँ, तो जामडीह न केवल जनपद का प्रमुख धार्मिक केंद्र बन सकता है, बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी क्षेत्र की पहचान बढ़ा सकता है।

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