UP Nagar Nikay Chunav 2022: दिसंबर में 4 चरणों में हो सकते हैं चुनाव, जनवरी में आएंगे परिणाम, जानिए पूरा प्लान

दिसंबर में हो सकते हैं नगर निकाय चुनाव और जनवरी में घोषित किया जाएगा रिजल्ट यह चुनाव लोकसभा चुनाव के पहले सेमीफाइनल माना जा रहा निकाय चुनाव।
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनावों को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। लोग निकाय चुनाव को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। इस बीच नगर निकाय चुनावों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि दिसंबर महीने में नगर निकाय के चुनाव हो सकते हैं। चुनाव चार चरणों में होंगे। जनवरी के पहले सप्ताह में मतगणना होगी।
2017 में नवंबर में नगर निकाय के चुनाव हुए थे। ये चुनाव भी चार चरणों मे हुए थे। 2 दिसंबर 2017 को नगर निकाय चुनावों की मतगणना हुई थी। इस बार चुनाव एक महीने लेट दिसंबर में होने की बात कही जा रही है।
जिसका परिणाम जनवरी 2023 में आएगा। बताया जा रहा है कि 1 नवंबर से 18 नवंबर तक वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण कार्यक्रम चलेगा। जिसके बाद 18 नवंबर को फाइनल वोटर लिस्ट तैयार हो जाएगी।
परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया बांकी
शहरी निकाय निदेशालय द्वारा अभी क्षेत्रों का परिसीमन और वार्डों में आरक्षण की प्रक्रिया बाकी है इसलिए चुनाव दिसंबर में कराना चुनाव आयोग की मजबूरी है। 31अक्टूबर को आयोग ने मौजूदा वोटर लिस्ट प्रकाशित की है जिसमें 1 से 7 नवंबर तक लोग, वोटर लिस्ट में अपना नाम और अन्य विवरण देख सकते हैं। इसके बाद 8 से 12 नवंबर के बीच वोटर अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।
वोटर ऑनलाइन भी जुड़वा सकेंगे अपना नाम
बताया गया कि 14 नवंबर से लेकर 17 नवंबर के बीच दावे और आपत्तियों का निस्तारण होगा जिसके बाद 18 नवंबर को अंतिम रूप से तैयार वोटर लिस्ट जारी कर दी जाएगी। आयोग ने वोटरों की सुविधा के लिए ऑनलाइन वेबसाइट भी जारी किया है जिसमें लिंक के सहारे भी वोटर अपना नाम जुड़वा सकेंगे।
आप भी लिंक http://sec.up.nic.in के सहारे वेबसाइट में अपना नाम जुड़वा सकते हैं।
निकाय चुनाव लोकसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा
नगर निकाय चुनाव, लोकसभा 2024 के पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के बाद अब सीधे लोकसभा का चुनाव ही होना है। यही वजह है कि सभी पार्टियां चुनाव के लिए कमर कस चुकी हैं। निकाय चुनावों में जीत दर्ज करने वाली पार्टी लोकसभा चुनावों में मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ जाएगी।
कहा जाता है कि देश के सत्ता की चाभी उत्तर प्रदेश चुनावों से ही जाती है। यहां अच्छा प्रदर्शन करने वाली पार्टी ही केंद्र में सत्ता पाती है। यहां लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने 80 में से 62 सीटें जीती थी। पार्टी एक बार फिर अपने प्रदर्शन को दोहराने का प्रयास करेगी।
परिसीमन को लेकर 146 आपत्तियां, विपक्ष ने लगाए कई आरोप, निगम ने शासन को भेजी रिपोर्ट
नगर निकाय चुनाव में परिसीमन को लेकर कुल 146 आपत्तियां आई हैं। विपक्षी पार्टियों की तरफ से कई आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस और सपा के प्रतिनिधिमंडल ने पहले ही आपत्ति जताई है। अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार के अनुसार सभी आपत्तियों का समाधान करके शासन को रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई है। वहां से फाइनल होकर परिसीमन आएगा।
कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्षदों के वार्डों को काफी प्रभावित किया गया है। बलुआबीर और कटेहर के वार्ड को मिलाकर एक कर दिया गया। कुल मिलाकर भाजपा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है।
सपा नेता वरुण सिंह ने दल विशेष के लोगों की सहमति से परिसीमन करने का आरोप लगाया। जंगमबाड़ी वार्ड, लल्लापुरा कला और खुर्द को एक किया गया है।
भदैनी को आधा नगवां और आधा शिवाला में मिला दिया गया है। सपा नेता रितेश केसरी ने आरोप लगाया कि जिस प्रकार से परिसीमन किया गया है, वहां से जान बूझकर कुछ लोगों के नाम काटे गए हैं।
दावे आपत्तियों के साथ आज से जोड़े जाएंगे मतदाता
निकाय चुनाव कार्यालय की ओर से सोमवार को नगर निगम और गंगापुर नगर पंचायत की मतदाता सूची का अनंतिम प्रकाशन किया गया। उप जिला निर्वाचन अधिकारी रणविजय सिंह ने बताया कि एक नवंबर से सात नवंबर तक इस पर दावा आपत्ति ली जाएगी।
एक जनवरी 2022 को 18 साल पूरे करने वाले मतदाताओं के नाम जोड़े जाएंगे। नाम जोड़ने, काटने, संशोधन, शिफ्टिंग से संबंधित कोई भी मतदाता आयोग की वेबसाइट एसईसी.यूपी.एनआईसी.इन पर एक से चार नवंबर के बीच आनलाइन आवेदन कर सकता है।
रैपिड सर्वे की रिपोर्ट आज, 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित
नगर निगम की ओर से रैपिड सर्वे का काम पूरा कर लिया गया, जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को आएगी। रैपिड सर्वे में शासन के निर्देश के अनुसार कुल सीटों का 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
इसके साथ ही 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग, आठ सीटें अनुसूचित जाति, एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगी। 31 प्रतिशत सीटें सामान्य वर्ग के लिए होंगी। फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही आरक्षण की स्थिति साफ होगी।
Dev Diwali 2022: काशी में ही देव दिवाली क्यों मनाई जाती है, क्या है इसके पीछे की कहानी?
Dev Diwali 2022: दीपावली के 15 दिन बाद क्यों मनाई जाती है देव दिवाली?
वाराणसी। दीयों की रोशनी से जगमाता दिवाली का पर्व खुशियां मनाने का प्रतीक माना जाता है। वहीं दिवाली के ठीक 15 दिन बाद देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है।
हर साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि को भगवान भोले शंकर की नगरी वाराणसी के काशी में देव दीपावली का महापर्व होता है। देव दीपावली को कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है।
काशी की देव दीपावली के इस महापर्व का भगवान शिव से सीधा संबंध होता है।
क्या है इसके पीछे की कहानी?
शिव की नगरी काशी में महोत्सव की भांति मनाई जाने वाली देव दीपावली मुख्य रूप से शिव को समर्पित होती है। इस दिन गंगा घाट, गली मोहल्ले और शहर दीए की रोशनी में सरोबार होते हैं।
जहां भी नजरें जाती हैं वहां दीयों की जगमगाहट नजर आती है। वहीं संध्या के समय परंपरागत गंगा आरती होती है और लोग घाटों और सरोवरों के तट को सुंदर दीपों से रोशन करते हैं। इसके अलावा, लोग अपने घर को दीए और रंगोली से सजाते हैं।
काशी में ही देव दिवाली क्यों मनाई जाती है?
इस साल कार्तिक पूर्णिमा का दिन 8 नवंबर, मंगलवार को पड़ रहा है। सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग लोक से नीचे धरती पर आते हैं। यही नहीं सभी देवतागण गंगा स्नान कर दीपोत्सव का हिस्सा भी बनते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का संघार कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी।
त्रिपुरासुर द्वारा चारों तरफ मचाई गई तबाही उसके वध के बाद शांति में बदल गई, जिसका जश्न देवताओं ने भी मनाया।
तभी से त्रिपुरासुर के अत्याचारों से मिली मुक्ति और भगवान शिव के इस कृत्य पर सभी देवता अपनी प्रसन्नता जाहिर करने के लिए भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचकर दीप प्रज्वलित करते हैं और खुशियां मनाते हैं।
नोट:- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। लाइव भारत न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है।