नारियों के अनेक रूप हैं, गृहणी रूप में वह पूरे परिवार का पालन करती हैं-डा0 शशिकांत

सहजनवा गोरखपुर। भारतीय दर्शन में नारियों के अनेक रूपों की प्रशंसा की गई हैं। नारी जब गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करती है, तो गृहिणी के रूप में पूरे परिवार का पालन करती हैं। भोजन बनाने से लेकर घर के सभी कार्यों में दक्ष होती है।
स्वच्छता से लेकर शिष्टाचार तक की सभी बारीकियां बखूबी जानती है। उक्त बातें प्यारी देवी राजित महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शशि कांत मणि त्रिपाठी ने कही। वह महाविद्यालय भवन में छात्राओं के गृह विज्ञान एवं कौशल हस्तकला मेले के बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज भले ही लोग आधुनिकता का झूठा दंभ भरते हो, परन्तु घर के पकाये भोजन का स्वाद कहीं नहीं मिलता है । खाने में शुद्ध व स्वादिष्ट के साथ-साथ शरीर के लिए बहुत उपयुक्त होता है। उसमें प्रेम की मिठास पूरे परिवार को एक सूत्र में बांधकर रखता है, जो गृहस्थ जीवन की पूरी परिकल्पना है।
विद्यालय के गृह विज्ञान की छात्राओं द्वारा-चाय, चाट,काफी, छोले- बटूरे, लालमोहन, टिकिया, फुल्की समेत कई पकवानों का विभिन्न स्टाल तैयार किया था। इसके अतिरिक्त वस्त्र की व्यवस्थित प्रदर्शनी का भी परिचय दिया। उनकी कला प्रदर्शनी को देखने के लिए विद्यालय परिवार के अतिरिक्त क्षेत्र के गणमान्य लोग भी आए हुए थे।
उक्त अवसर पर-प्राचार्य डॉ शशिकांत मणि त्रिपाठी के अतिरिक्त डॉ अनिल कुमार, मिश्र डॉ अनीता त्रिपाठी, डॉ मंजू चौधरी, डॉ गौरी लता, डॉ हरिशंकर गौड़,दिनेश चौबे, डॉ अनितेश शर्मा,आरडी खान, अजीत यादव, सुषमा राय, रवि राज, शिवम सिंह, सर्वेश शुक्ला, रंगनाथ पांडे, राम अचल चौरसिया, देवी पाण्डेय समेत कई लोग मौजूद थे।