Prayagraj News: 44 साल चली कानूनी लड़ाई, अदालत ने रिहा करने का दिया आदेश
Prayagraj News: चार दशक बेगुनाही की लड़ाई लड़ते लड़ते थक चुके बुजुर्ग विजय यादव ने हार मान ली। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 44 साल चले अपराधिक मुकदमे के दौरान चार मुल्जिमों के दम तोड़ने के बाद बुजुर्ग हो चुके विजय यादव ने अदालत में पेश होकर जुर्म कुबूल कर लिया। जिला अदालत ने उसे पूर्व में जेल में बिताई गई अवधि को जोड़ते हुए मंगलवार को अदालत उठने तक हिरासत में कैद रहने और दो हजार रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाते हुए चार दशक पुराने मामले का एक दिन में निपटारा कर दिया।
यह फैसला अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नरेंद्र कुमार की अदालत ने बुजुर्ग हो चुके मुल्जिम विजय यादव की ओर से 44 साल बाद गुनाह कुबूल करने की दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुनाया।
मामला प्रयागराज जिले के मऊआइमा थाना क्षेत्र का है। 31 अक्तूबर 1980 में मऊआइमा के तत्कालीन थानाध्यक्ष नरेंद्र कुमार सिंह ने 102 बोरी सीमेंट की कालाबाजारी के आरोप में पांच मुल्जिमों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। मामले की विवेचना के बाद मुल्जिम सुरेश, सत्य नारायण, पुरुषोत्तम मौर्या, बच्चा मियां, और विजय यादव के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 के अंतर्गत अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
पांच में से चार आरोपियों की हो गई थी मौत
अदालत ने मामले का संज्ञान लेते हुए पांचों मुल्जिमों के खिलाफ विचारण शुरू किया जो 44 साल चला। इस दौरान सुरेश, सत्य नारायण, पुरुषोत्तम मौर्या और बच्चा मियां की मौत हो गई, जिसके बाद भी बेगुनाही साबित करने लिए विजय यादव ने कानूनी जारी रखी। लगभग चार दशक तक चली कानूनी लड़ाई और बढ़ती उम्र के बीच विजय यादव शारीरिक रूप से चलने फिरने में भी असमर्थ हो गया।
लंबी न्यायिक प्रक्रिया से लड़ते लड़ते थक चुके बुजुर्ग विजय यादव ने मंगलवार को अदालत में पेश होकर अपना गुनाह कुबूल कर लिया। उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोर्ट से कम से कम सजा सुनने को दरख्वास्त की। हालांकि, इससे पहले वह इस मामले में कुछ दिनों तक जेल में निरुद्ध भी रह चुका था।
अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नरेंद्र कुमार की अदालत ने बुजुर्ग मुल्जिम की ओर से जुर्म इकबाल करने की अर्जी स्वीकार कर ली। कोर्ट ने दोषी विजय यादव को जेल में बिताई गई पिछली अवधि को जोड़ते हुए मंगलवार को अदालत उठने तक हिरासत में रहने तक की कैद और दो हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न अदा करने की दशा में उसे पांच दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होता। हालांकि, मुल्जिम की ओर से जुर्माना अदा कर दिया गया और अदालत उठने के बाद बुजुर्ग विजय यादव रिहा कर दिया गया। इस तरह 44 साल चली कानूनी लड़ाई एक दिन में खत्म हो गई।