जिसकी जैसी भावना थी, वह स्यंवर सभा में उसी प्रकार राम को देखा - शास्त्री रूक्मिड़ि

सहजनवा गोरखपुर। जनकपुर स्वयंवर सभा में अनेक देशों से आए राज-राजाओं ने जब गुरु विश्वामित्र के साथ पहुंचे राम-लक्ष्मण को देखा, तो अपनी-अपनी भावनाओं के अनुसार आंकलन किया और खुशी जाहिर की।
उक्त बातें वृन्दावन धाम से पधारीं रुक्मिणी शास्त्री ने कही। वह घघसरा नगर पंचायत के ग्राम कुसम्हा खुर्द में चल रहे श्री रूद्र महायज्ञ के सातवें दिन व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रही थीं। उन्होंने कहा कि सभा में उपस्थित
संंत-महात्माओं ने राम को भगवान के रूप में दर्शन कर बहुत खुश हुए। वहीं जनकपुर वासी संसार के सबसे सुंदर दुल्हे के रूप में राम को देखा । युवकों को अपना मित्र व शाखा दिखे,तो युवतियों को उनमें अपना कंत नज़र आने लगा।
कथा व्यास ने कहा कि- सभा में उपस्थित राक्षसों को भगवान काल के रूप में दिखाई दिए और कुटील राजाओं को प्रतिस्पर्धी व बहुत कमजोर बालक के रूप में दिखने लगे।
शास्त्री रुक्मिणी ने कहा कि-रंगभूमि में जब राम-सीता की नजर एक दूसरे पर पड़ी,तो सभा में श्रींगार रस की बारिश हो गयी। नजारा देख जनकपुर वासी बहुत खुश हुए और देवता फूल बरसाने लगे। उक्त अवसर पर गणेश निषाद, संतोष पांण्डे, रामचल चौरसिया, रामबचन चौरसिया, लोरिक, बालकुमार, बलई, ललित शर्मा, राजेश गुप्ता, ज्लाला पाण्डेय, लवकुश तिवारी, ध्रुवनराण शुक्ला, ब्रम्हानंद निषाद समेत कई लोग मौजूद थे।