
गोरखपुर। आध्यात्मिकता मनुष्य का नैसर्गिक गुण होता है। भगवान् ने दो आंखें इसलिए उसे दिया है कि वह एक आंख से जगत् को देखे, तो दूसरी आंख से भगवान् का अवलोकन करे। तभी उसका पूर्ण कल्याण हो सकता है।
उक्त बातें अयोध्या धाम से पधारे पंडित आनंद भरद्वाज ने कही। वह नगर पंचायत घघसरा के वार्ड संख्या 7 अंबेडकर नगर के कुसम्हा खुर्द में चल रहे श्री रूद्र महा यज्ञ के तत्वावधान में व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रहे थे। उन्होंने कथा विस्तार करते हुए कहा कि भगवान की कृतियों में मनुष्य एक सर्वोत्तम कृति है। विचार व चिंतन करने की शक्ति परमात्मा ने उसे दिया है।
जगत में आने के बाद मनुष्य अपने आप को भूल जाता है कि वह कहां से आए हैं और कहां जाना है। यह बातें या तो उसे माँ की पेट में अथवा जीवन के अंतिम क्षणों में भान आती है। तब वह कुछ नहीं कर सकता। विषय भोगों व शरीर पोषण में लग हुआ मनुष्य अंत में दुख को प्राप्त होता है। संसार के आवागमन रूपी चक्र से बाहर नहीं निकल पाता। कथा व्यास ने कहा कि- जगत की कल्याणी माँ पार्वती ने जब भगवान् शिव से संसार के बारे में पूछा, तो भगवान शिव ने कहा कि हे पार्वती यह जगत एक स्वप्न की भांति है। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं भगवान् का भजन ही केवल सत्य है और मनुष्य का कल्याण करने में समर्थ है।
उमा कहउँ मैं अनुभव अपना। सत हरि भजन जगत सब सपना। इस अवसर पर नगर पंचायत अध्यक्ष घघसरा प्रभाकर दुबे, ईओ- अमित नायक,सभासद- संतोष पाण्डेय, सत्यप्रकाश, गणेश निषाद,संदीप पासवान, हरिकेश मौर्य, ब्रह्मा नंद, लौहर, संत प्रसाद गुप्ता, हैप्पी त्रिपाठी, परदेशी, मौहन मौर्य, अजय सहानी समेत भारी संख्या में लोग मौजूद थे।