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Gorakhpur News: बिना जांच किये एक ही मस्जिद का दोबारा कर दिया रजिस्ट्रेशन

Gorakhpur News: बिना जांच किये एक ही मस्जिद का दोबारा कर दिया रजिस्ट्रेशन

सहजनवा गोरखपुर। वक़्फ़ सम्पत्तियों की लूट की दास्तान पुरानी है। वक़्फ़ की इस लूट में वक़्फ़ लुटेरों के साथ वक़्फ़ बोर्ड के कर्मचारियों के शामिल होने से किसी वक़्फ़ पर कब्ज़ा करना और फिर उस वक़्फ़ में लूट आसान हो जाती हैं। आपको बता दें कि देश में रेलवे और सेना के बाद वक़्फ़ बोर्ड के पास सबसे अधिक भू सम्पत्तियां हैं। 


ताज़ा मामला सहजनवां क्षेत्र में स्थित मस्जिद लुचूई का है। लुचूई मस्जिद को सहजनवां की जामा मस्जिद भी कहा जाता है। वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद की कमेटी को 30 मई 2023 को वक्फ नंबर 1447/23 रजिस्ट्रेशन सनद और तौलिया सर्टिफिकेट दिया गया था। इसके ठीक एक महीने बाद इसी मस्जिद का वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा दूसरी वक़्फ़ कमेटी का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया । सबसे बड़ी बात यह है कि उ0प्र0 सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के लखनऊ कार्यालय में बैठकर वक़्फ़ इंस्पेक्टर ने बिना किसी जांच रिपोर्ट के सहजनवां लुचूई मस्जिद की दूसरी नई कमेटी का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया जिसका वक्फ नंबर 1462/23 है। 


बता दें की ये मस्जिद कितनी संवेदनशील है इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं कि सहजनवां में मुख्य मस्जिद यानी जामा मस्जिद के तौर पर लुचूई मस्जिद को जाना जाता है। बीते 20 वर्षो से मस्जिद की देखभाल समी अहमद पुत्र स्व सोहरत अली निवासी लुचुई कर रहे थे। शासन के मंशा के अनुसार पूरे प्रदेश के मस्जिद, कब्रिस्तान, मजार, आदि का वक्फ बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराने की मंशा के बाद मस्जिद लुचूई के जिम्मेदारों द्वारा जलसा कार्यवाही में एक मीटिंग रखी गई जिसके बाद लुचूई स्थित मदरसे के जिम्मेदार और आवाम के द्वारा कमेटी का चयन कर वक्फ बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराया गया। इसमें सदर के रूप में मोहम्मद इस्लाम और सचिव निजामुद्दीन कुरैशी के साथ 10 सदस्यों का चयन किया गया। 


वही कुछ दिन बाद जानकारी मिली कि इसी मस्जिद का दूसरा रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है। 


बहरहाल वक़्फ़ लूटरों की जड़े कितनी मजबूत और गहरी है इसका अन्दाज़ा सहजनवां मस्जिद प्रकरण से लगाया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है की तमाम जांच के बाद जब एक बार मस्जिद का रजिस्ट्रेशन वक्फ बोर्ड द्वारा कर दिया गया तो फिर उसी मस्जिद का दूसरा रजिस्ट्रेशन बिना किसी जांच किए लखनऊ कार्यालय में बैठे कर्मचारी द्वारा कैसे कर दिया गया।

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