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Gorakhpur News: सहजनवा नगर पंचायत में सोलह दिनों से चल रही गणगौर माता की पूजा का हुआ समापन

Gorakhpur News: सहजनवा नगर पंचायत में सोलह दिनों से चल रही गणगौर माता की पूजा का हुआ समापन

गोरखपुर। सहजनवा नगर पंचायत में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया गणगौर का पूजा महिलाओं ने किया पूजा का समापन नगर पंचायत में रहने वाली रिंकू अग्रवाल ने बताया की गणगौर या गौरी तृतीया एक जीवंत धार्मिक त्योहार है जो देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य प्रेम का जश्न मनाता है। गणगौर होलीका दहन के दूसरे दिन से मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंगों का त्योहार। गणगौर या गौर माता एक स्थानीय देवी और भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का एक रूप हैं।

गणगौर त्यौहार बड़े पैमाने पर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इन दोनों राज्यों के अलावा गणगौर मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी मनाया जाता है।हर राज्य की संस्कृति उसके रीति-रिवाजों, वेशभूषा और त्योहारों में दिखाई देती है। भारत के हर राज्य की अपनी-अपनी खासियत है जिसमें त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण हैं। राजस्थान, भारत का उत्तरी राज्य, मारवाड़ियों का राज्य है। गणगौर मारवाड़ियों का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राजस्थान ही नहीं बल्कि हर राज्य में रहने वाले मारवाड़ी इस त्योहार को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाते हैं। गणगौर को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के निमाड़ी लोग भी इसे मारवाड़ियों की तरह ही उतने ही उत्साह से मनाते हैं। दोनों समुदायों की पूजा पद्धतियां अलग-अलग हैं जबकि त्योहार एक ही है। मारवाड़ी सोलह दिनों तक गणगौर की पूजा करते हैं लेकिन गुजराती केवल तीन दिन ही गणगौर मनाते हैं।

गणगौर त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि वे अपने पतियों के स्वस्थ जीवन और स्वस्थ वैवाहिक संबंधों के लिए देवी पार्वती की पूजा करती हैं। भगवान शिव जैसा समझदार और सबसे अच्छा पति पाने के लिए कुंवारी लड़कियां भी पूजा और गणगौर उत्सव में भाग लेती हैं। उन्होंने बताया कि गणगौर की पूजा विधि मारवाड़ी महिलाओं द्वारा गणगौर की पूजा सोलह दिनों तक की जाती है। मुख्य रूप से शादी के बाद पहली होली पर विवाहित लड़की अपने माता-पिता के घर या ससुराल में सोलह दिनों तक गणगौर मनाती है। गणगौर की पूजा अकेले नहीं बल्कि  विवाहित लड़कियां पूजा के लिए अन्य 16 लड़कियों को आमंत्रित करती हैं। वह उन्हें सुपारी और अन्य सुहाग का सामान देती है। गणगौर सोलह दिनों तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और 16 दिनों के बाद उद्यापन कर गणगौर माता की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। वही नगर पंचायत की महिलाओं में शबिता क्याल,सुनीता, बबली, रुचि, किरन, अनिता, शिमा, सीता, अनिता, मंजू, राधा, समेत नगर पंचायत की तमाम महिलाओं ने बडे ही धूमधाम से गणगौर का पूजा किया।

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