
गोरखपुर। सीता स्यंवर में राम और सीता के पहुचते ही सभी स्त्री-पुरुष खुश हो गये। धनुष की कठोरता व उसकी गुरुता की कल्पना करके सभी मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करने लगे। उक्त बातें अयोध्या धाम से पधारे आचार्य कृपा शंकर जी महाराज ने कही। वह विकासखंड पाली के ग्राम सजनासजनापार में चल रहे श्री राम महायज्ञ के तीसरे दिन व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान कर रहे थे। उन्होंने कथा विस्तार करते हुए कहा कि- सुहागन वही है, जो पिया मन भाये। सभी की दुआएँ एक साथ राम सीता को मिलाने के लिए होने लगी। आचार्य कृपा शंकर जी ने कहा- की दावा फेल हो सकती है।
संसार के सारे तरकीब फेल हो सकतें हैं, परंतु परहित के लिए की गयी दुआ( प्रार्थना) फेल नहीं हो सकती। श्रद्धा व प्रेम की जननी मां पार्वती व भगवान भोलेनाथ की कृपा से धनुष भंग हुआ और सीताराम एक दूसरे से सदा के लिए एक हो गए।
ऐसी मनोहर जोड़ी को देखकर कौन नहीं मोहित हो सकता है? साधारण स्त्री-पुरुष को कौन कहे- देवता, दानव, नाग, गंधर्व,किन्नर यहाँ तक की ऋषि महात्मा भी मोहित हो गए। देवता गण आकाश से फूल बरसने लगे। उक्त अवसर पर मुख्य अजमान पूर्व प्रधान वीरेंद्र यादव तथा उनकी धर्म पत्नी संगीता यादव,रवींद्र यादव, शर्मा जी मास्टर, त्रिजुगी चौधरी, रामचरल, दीपक चौधरी,बेचन विश्वकर्मा, सुदामा चौधरी, संतराम चौधरी, राजदेव चौधरी,रामतौर, रामविलास, रामनिवास समेत कई लोग मौजूद थे।