
सहजनवा गोरखपुर। भारत सरकार द्वारा लाई गई यह योजना भारत की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा हेतु एक मजबूत कड़ी भविष्य में साबित होगी। आज भारत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ वाह्य सुरक्षा को लेकर चिंतित और सजग है, और तेजी से देश के भीतर बढ़ रही अर्बन नक्सल की घटनाओं को रोकने या पूर्णतः समाप्त करने हेतु इस तरह के सख्त कदम और पहले उठाने की जरूरत थी, क्योंकि आज ये घटनाएं वैश्विक पटल पर भारत देश की छवि को कही न कही धूमिल करनेका कार्य करती है,इसलिए देर से ही सही इसका स्वागत होना चाहिये न की विरोध।
भारत हमारा गंगा जमुनी तहजीब और वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांतों पर चलता है, इतिहास साक्षी है भारत कभी किसी देश की अखंडता अक्षुता पर वार नही किया है। इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में यह अत्यंत आवश्यक है और भगवद गीता में भी परिवर्तन ही संसार का नियम है बतलाया गया है।हम सब एक सभ्य समाज मे रहते है और भारत का संविधान हमे विरोध दर्ज कराने का अधिकार देता है तो वही संविधान हमे विरोध प्रदर्शन का तरीका और विधिसमंत करने का मार्ग भी दिखता है। लेकीन आज कुछ लोग अपने स्वार्थ वश इतने अंधे हो गए है कि उन्होंने देश हित को भी अपने स्वार्थ हेतु पीछे रख दिया है ।
इसलिए मेरा भारत के नौजवानों से अपील है की वो एक बार रूस अमेरिका, इजरायल, इत्यादि शकितशाली देशों के तरफ देखे और विचार करे क्योंकि वहां पर यही व्यवस्था किस तरह कारगर और अचूक है। आज भारत देश को कई मोर्चो पर युद्ध हेतु तैयार रहना होगा इसलिए अग्निपथ योजना एवं अग्निवीर की अत्यंत आवश्यकता थी। और जब भारत सरकार यह आस्वासन दिया जा रहा है की इस योजना के माध्यम से 25 प्रतिशत को प्रतिवर्ष सेवा में स्थाई किया जाएगा और सीपीएफ में 5 प्रतिशत का कोटा होगा और राज्य सरकारें अपने यहाँ सभी नियुक्तियों में आरक्षण देगी तथा इसके साथ ही देश की प्रमुख कंपनियां भी अपने यहाँ अग्निवीर को रोजगार देनी की बात कह रही है, तथा सरकार द्वारा सर्विस समाप्त होने पर 12 लाख रुपये प्रति अग्निवीर को देने की भी योजना है । और एक महत्वपूर्ण बात पर भी जरा ध्यान दिया जाए कि प्रति वर्ष सेना के आकड़ो के मुताबिक तकरीबन 15 हजार से अधिक सैनिक स्वेछा से सेवानिवृत्त लेते है ,क्या हमारा यही समाज उनसे पूछता है कि क्यों आपने ऐसा किया, आज जब सरकार स्वतः यह सहूलियत दे रही है तो इस योजना के विरोध में जगह जगह सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुचाया जा रहा है, क्या यह सही है क्या यही सभ्य समाज है, क्या यही हम अपने बच्चों को संस्कार दे रहे।
सोचिए जब हमारे सेना की आयु 26 वर्ष होगी और भारत सरकार द्वारा सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर दिया जाएगा तो हमारे देश के प्रति किसी भी मुल्क की हैसियत नही होगी कि भारतवर्ष की तरफ नजर उठाकर देखे। और सोचिये की आने वाले कल में समाज से अपराधिक घटनाएं कम होगी क्योंकी हमारे समाज मे सबसे ज्यादा प्रशिक्षित युवा सैनिक होंगे जो देश के अंदर और बाहर दोनों मोर्चो पर रक्षा करेंगे। इसलिए सभी नौजवानों से अनुरोध है की अब देश की सुरक्षा आप जैसे नौजवानों के हाथों में होगी और देश सैदव आप पर गर्व करेगा चाहे आपकी सेवा चार साल हो या चालीस वर्ष आपका मान सम्मान सदा अमर रहेगा।
कुछ लोग कहते है कि इतनी बड़ी से संख्या में यदि लोग आएंगे तो इनके भटकने और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता हो सकती है, लेकिन मेरा मानना है कि इससे पहले भी समाज मे बहुत सारे सैनिक है लेकिन उन सभी के द्वारा ऐसा कभी नही किया गया क्योंकि भारतीय सेना के प्रशिक्षण और नेतृत्व में वो क्षमता है कि एक बार जो प्रशिक्षण प्राप्त कर ले वह देश हित के लिए प्राणों की बाजी लगा देगा लेकिन कभी देश के तिरंगे झंडे को झुकने नही देगा।आप वहाँ से आने के उपरांत आप लोक सेवा आयोग, प्रदेश सेवा, बैंक, अधिवक्ता ,डॉक्टर बने क्योंकि आपके पास स्वर्णिम समय होगा और आप आत्मनिर्भर भी होंगे।