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Neem Karoli Baba: होटल से लेकर ढाबे तक हर जगह दिखते हैं नीम करोली बाबा, कैंची धाम के वातावरण में कुछ तो है खास

Neem Karoli Baba: होटल से लेकर ढाबे तक हर जगह दिखते हैं नीम करोली बाबा, कैंची धाम के वातावरण में कुछ तो है खास

Neem Karoli Baba, Kainchi Dham Ground Report: नैनीताल से लगभग 20 किलोमीटर दूर पहाड़ में कैंची धाम बसा है। ऊंची- ऊंची पहाड़ियों में बने बाबा नीम करोली के मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग देश ही नहीं विदेश से भी आते हैं। हाल ही में हम भी बाबा नीम करोली के दर्शन करने के लिए जब कैंची धाम पहुंचे।

 

 

नैनीताल से लगभग 20 किलोमीटर दूर पहाड़ में कैंची धाम बसा है। ऊंची- ऊंची पहाड़ियों में बने बाबा नीम करोली के मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग देश ही नहीं विदेश से भी आते हैं। हाल ही में हम भी बाबा नीम करोली के दर्शन करने के लिए जब कैंची धाम पहुंचे।

 

 

तो वहां का नजारा देखकर हम हैरान रह गए। वहां हर होटल से लेकर गाड़ी तक में सिर्फ बाबा नीम करोली बाबा की ही तस्वीर दिख रही थी।

 

 

हम नैनीताल के बसे कैंची धाम पहुंचे तो वहां हर ढाबे से लेकर होटल तक हर जगह पर नीम करोली बाबा की ही तस्वीर दिख रही थी। जब हमने वहां लोगों से इसकी वजह पूछी तो उन लोगों ने कहा कि हमारे लिए तो ये भगवान ही हैं। इन्हीं की वजह से हमारी रोजी-रोटी चलती है।

 

 

हनुमान जयंती के दो दिन बाद यानी कि रविवार सुबह हम नैनीताल में थे। यहां से हमारा सबसे पहला टारगेट था कि जल्दी से कैंची धाम पहुंचे और देखें कि आखिर लोग वहां के इतने गुण क्यों गाते हैं। इसलिए सुबह 11 बजे हम मॉल रोड पहुंचे तो हमने बाइक रेंट पर ली।

 

 

इस दौरान बाइक वाले भैया ने हमें पूरा रास्ता समझाया कि हमें पहले भवाली जाना होगा और वहां से लेफ्ट लेना होगा। जिसके बाद ही हम कैंची धाम पहुंच पाएंगे। बाइक वाले भैया की बात सुनी और हमने अपने नीम करोली बाबा के सफर की शुरुआत कर दी।

कुछ दूर जाने पर जब हमने चाय नाश्ते के लिए अपनी गाड़ी रोकी तो वहां दुकान पर नीम करोली बाबा की तस्वीर लगी हुई थी। जब हमने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इनके दर्शन के लिए ही आप कैंची धाम आए हैं, और फिर मेरी दुकान पर। नीम करोली बाबा के कारण ही हमारा घर चल रहा है।

कुछ दूर सफर करने के बाद हम भवाली तक पहुंच गए। भवाली से जैसे ही हमारा सफर आगे बढ़ा तो कुछ दूर जाकर हमें गाड़ियों की लंबी लाइन दिखी। हम भी कुछ देर रुके हमें लगा कि शायद किसी की गाड़ी खराब हो गई होगी। इसलिए गाड़ियों की लंबी कतार लगी है।

हम कुछ आगे बढ़ें तो वहां का नजारा देखकर हैरान रह गए। वहां कोई गाड़ी खराब नहीं थी बल्कि ये लाइन इसलिए लगी थी क्योंकि कैंची धाम में गाड़ियों की पार्किंग भर गई थी।

आपको बता दें कि हनुमान जयंती के मौके पर कैंची धाम प्रशासन ने बड़ी पार्किंग का इंतजाम भी किया था लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ काफी अधिक बढ़ गई थी। जिसके कारण वहां पर गाड़ी पार्क करने की कोई जगह ही नहीं थी। हम बाइक से थे तो हम लोग धीरे- धीरे आगे बढ़ते गए।

जब कैंची धाम के आखिरी मोड़ पर पहुंचे तो वहां खड़ी पुलिस ने पार्किंग खाली नहीं है ये बोलकर आगे बढ़ने को बोल दिया।

जब हम मंदिर के आगे पहुंचे तो देखा कि पार्किंग नहीं मिलने के कारण वहां लोगों ने सड़क के किनारे ही अपनी गाड़ी खड़ी कर दी थी।दूसरों की तरह हमें भी मजबूरन सड़क किनारे अपनी बाइक खड़ी करनी पड़ी। गाड़ी खड़ी करके बाबा के दर्शन करने मंदिर पहुंच गए।

जैसे ही हमने मंदिर के मेन गेट से अंदर की तरफ कदम रखा तो देखा कि मंदिर के बाहर गाड़ियों की भीड़ थी तो मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं की भी भीड़ देखने को मिली।

करीब 30 मिनट में दर्शन करने के बाद हम बाहर निकले तो देखा कि गाड़ियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। हमने भी अपनी बाइक उठाई और वापिस जाने लगे। इस दौरान मंदिर आने के लिए श्रद्धालुओं का गाड़ियों का लाइन अभी भी लगी हुई थी।

कुछ श्रद्धालु तो अपनी गाड़ियों को एक किलोमीटर पहले ही छोड़कर पैदल धाम की तरफ निकल पड़े। जब हम वहां से वापिस आए तो हमने एक टैक्सी वाले शख्स से पूछा कि यहां इतनी भीड़ क्यों हो रही है? हमारे इस सवाल को सुनकर पहले तो उस टैक्सी वाले ने कहा कि साहब यहां भीड़ तो हमेशा होती है।

लेकिन दो दिन पहले हनुमान जयंती गई है और लंबा वीकेंड था। इसलिए यहां इतनी अधिक भीड़ है। उसके बाद जब हम खाने के लिए होटल में गए तो वहां घुसते ही हमें सबसे पहले नीम करोली बाबा की ही तस्वीर दिखी। जब हमने उनसे भी वही पुराना सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे लिए तो नीम करोली बाबा ही सब कुछ हैं।


 

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